आरा से बेबाक भाषा की ग्राउंड रिपोर्ट — पीएम मोदी की रैली से पहले बनी चमचमाती सड़कों के पीछे छिपी बिहार के ‘डुप्लिकेट विकास’ की सच्चाई। जनता क्या कह रही है, पढ़िए ज़मीनी...
Author - भाषा सिंह
1971 में दिल्ली में जन्मी, शिक्षा लखनऊ में प्राप्त की। 1996 से पत्रकारिता में सक्रिय हैं।
'अमर उजाला', 'नवभारत टाइम्स', 'आउटलुक', 'नई दुनिया', 'नेशनल हेराल्ड', 'न्यूज़क्लिक' जैसे
प्रतिष्ठित मीडिया संस्थानों में कार्य कर चुकी हैं। मैला ढोने जैसी अमानवीय प्रथा पर गहन काम किया है।
दलितों, अल्पसंख्यकों, लैंगिक मुद्दों और अन्य हाशिए के समुदायों पर लेखन के लिए जानी जाती हैं।
2005 में प्रभा दत्त संस्कृति फ़ेलोशिप से सम्मानित हुईं। 2007 में रामनाथ गोयनका पुरस्कार
(प्रिंट, हिंदी) से वर्ष की सर्वश्रेष्ठ पत्रकार के रूप में सम्मानित किया गया। इसके अलावा उन्हें
एनएफ़आई फ़ेलोशिप, पैनोस फ़ेलोशिप और परी फ़ेलोशिप भी प्राप्त हुई हैं।
दो पुस्तकों की लेखिका हैं – अनसीन (अदृश्य भारत) और शाहीन बाग: लोकतंत्र की नई करवट।
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बिहार चुनाव में राहुल गांधी के तीखे बयानों और व्यंग्य से मचा राजनीतिक घमासान। छठ पूजा, मोदी-ट्रम्प, और तेजस्वी की साझेदारी पर “रोजनामा” का विश्लेषण।
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