October 20, 2025 2:12 am
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आनंदु अपनी जान देकर क्या RSS में यौन शोषण का काला चिट्ठा खोल गए!

केरल के सॉफ्टवेयर इंजीनियर आनंदू अजी की आत्महत्या ने आरएसएस के भीतर यौन शोषण और नैतिकता के पाखंड को उजागर कर दिया है। यह लेख दिखाता है कि कैसे कट्टर नैतिकता अपराध को जन्म देती है।

आरएसएस के भीतर यौन शोषण और नैतिकता के पाखंड पर गंभीर सवाल

आरएसएस से आगे ही नहीं, पीछे भी सावधान रहने की ज़रूरत है।
यह वाक्य एक पुराने संपादक ने मज़ाक में कहा था, लेकिन केरल के 26 वर्षीय सॉफ्टवेयर इंजीनियर आनंदू अजी की आत्महत्या ने इस कथन को भयावह सच्चाई में बदल दिया है। यह घटना सिर्फ एक युवक की त्रासदी नहीं, बल्कि उस संगठनात्मक और वैचारिक सड़ांध का सबूत है जो ‘चरित्र निर्माण’ के नाम पर भीतर से सड़ चुकी है।

आनंदू की आत्महत्या और सुसाइड नोट का सच

9 अक्टूबर को केरल के आनंदू अजी ने आत्महत्या की। मरने से पहले उन्होंने इंस्टाग्राम पर एक सुसाइड नोट पोस्ट किया, जिसमें उन्होंने बताया कि वे आरएसएस (राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ) के सदस्यों द्वारा किए गए यौन शोषण का शिकार हुए।
उन्होंने एक व्यक्ति ‘एन.एम.’ का नाम लिया, जिसने उन्हें बार-बार शोषित किया। आनंदू ने लिखा कि यह उत्पीड़न आरएसएस के ITC और OTC कैम्पों में हुआ — वही प्रशिक्षण शिविर जहां किशोरों को ‘संघ संस्कृति’ सिखाई जाती है।

उन्होंने बताया कि इस लगातार शोषण और दबाव ने उन्हें Obsessive Compulsive Disorder (OCD) जैसी मानसिक स्थिति में पहुँचा दिया — जिसमें व्यक्ति हर समय डर और अपराधबोध से घिरा रहता है। अंततः उन्होंने लिखा —

“कोई माने या न माने, मेरी ज़िंदगी ही सबूत है। RSS वालों से दोस्ती मत करो। चाहे वह पिता, भाई या बेटा ही क्यों न हो, उनसे दूर रहो।”

सिर्फ एक मौत नहीं, एक चेतावनी

आनंदू की यह आत्महत्या एक व्यक्ति की निजी त्रासदी नहीं है। यह उस गहरी सामाजिक और धार्मिक बीमारी की निशानी है जो हर कट्टरवादी संगठन में मौजूद है — जहाँ स्त्री-द्वेष, सेक्सुअल दमन और पाखंडी नैतिकता को ‘संस्कार’ के नाम पर पोषित किया जाता है।

केरल की CPI(M) लोकल कमेटी और DYFI ने इस मामले में FIR दर्ज कराई है, और पुलिस ने जांच शुरू कर दी है। कांग्रेस सहित कई विपक्षी दलों और संगठनों ने भी इस मामले में कठोर कार्रवाई की मांग की है। प्रियंका गांधी ने इसे गंभीर अपराध बताते हुए न्याय की मांग की है।

पाखंड की जड़: स्त्री और काम से भय

आरएसएस और इसी तरह के संगठनों में युवकों को बचपन से सिखाया जाता है कि स्त्री से दूरी रखो, क्योंकि वह “माया” है, “नरक का द्वार” है। प्रचारकों से आजीवन अविवाहित रहने की शपथ ली जाती है। लेकिन यही ‘संयम’ और ‘मर्यादा’ जब स्वाभाविक इच्छाओं को कुचल देती है, तो वही व्यक्ति अपराधी बन जाता है।

आरएसएस में महिलाएं सदस्य नहीं बन सकतीं। यह विचार कि प्रेम या सहमति से किया गया यौन संबंध “भारतीय संस्कृति के खिलाफ” है, एक अस्वस्थ मानसिकता को जन्म देता है — जहाँ प्रेम अपराध बन जाता है और बलात्कार नैतिकता की ओट में छिप जाता है

कट्टर नैतिकता और यौन अपराध

राम रहीम, आसाराम जैसे बाबाओं के अपराध इसका प्रमाण हैं। अब ‘नया बाबा चेतन्य आनंद स्वामी’ जैसे नाम इसी परंपरा को आगे बढ़ा रहे हैं।
वहीं, RSS और भाजपा वही समूह हैं जो समलैंगिक विवाह और लिव-इन संबंधों का विरोध करते हैं। सुप्रीम कोर्ट में वे हलफनामा देते हैं कि यह “भारतीय संस्कृति के अनुकूल नहीं” है —
पर सवाल यह है कि क्या शोषण, बलात्कार और छिपे अपराध भारतीय संस्कृति के अनुकूल हैं?

आनंदू की आत्महत्या नहीं, हत्या

लेखक मूकुल सरल ने अपने कार्यक्रम में कहा —

“आनंदू की आत्महत्या दरअसल हत्या है — उस विचार की जो प्रेम से डरता है, और उस व्यवस्था की जो नफरत से पोषित होती है।”

यह घटना चेतावनी है —
उन सबके लिए जो नैतिकता और मर्यादा का मुखौटा पहनकर यौन अपराधों को ढकते हैं।
अब समय है कि समाज और परिवार ऐसे संगठनों से खुद को और अपने बच्चों को दूर रखें, क्योंकि इनकी “संस्कारशाला” से अक्सर निकलते हैं शोषक, अपराधी और हिंसक व्यक्ति।

मुकुल सरल

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