October 6, 2025 2:28 pm
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बिहार में वोटबंदी पर CPIML का हमला: “ये लोकतंत्र को मिटाने की साजिश”

CPIML ने बिहार में वोटर लिस्ट रिवीजन को लेकर चुनाव आयोग पर गंभीर आरोप लगाए। Dipankar Bhattacharya ने कहा कि यह वोटबंदी दरअसल लोकतंत्र को खत्म करने की साजिश है। पढ़ें पूरी रिपोर्ट।

एक-एक वोट बचाने के लिए सड़क से संसद तक होगा संग्राम

बिहार में विशेष मतदाता सूची संशोधन (SIR) के खिलाफ CPIML ने बड़ा हमला बोला है। पार्टी महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य ने एक प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि यह सिर्फ वोटर लिस्ट रिवीजन नहीं, बल्कि लोकतंत्र को खत्म करने की साजिश है। उन्होंने सवाल उठाया कि जब फॉर्म भरने की प्रक्रिया भी पूरी नहीं हुई, तब चुनाव आयोग कैसे दावा कर रहा है कि 35 लाख से 70 लाख नाम हटाए जाएंगे।

दीपांकर ने कहा,

“यह साफ दिखाता है कि यह सारा अभियान बिहार के गरीब, मजदूर, दलित, पिछड़े और अल्पसंख्यक मददाताओं के खिलाफ चलाया जा रहा है, ताकि उनका वोटिंग अधिकार छीना जा सके। यह वोटबंदी दरअसल लोकतंत्र की लूट है।”

सांसद राजाराम का बयान

प्रेस कांफ्रेंस में मौजूद CPIML के सांसद राजाराम ने कहा,

“यह लड़ाई हम संसद के भीतर और बाहर दोनों जगह लड़ेंगे। सरकार को अपना रवैया बदलना होगा। बुलडोजर राज और वोटबंदी बंद करनी होगी। गरीबों के घर तोड़े जा रहे हैं और अब उनके वोट भी छीने जा रहे हैं।”

प्रवासी मजदूरों की मुश्किलें

पार्टी ने प्रवासी मजदूरों के लिए हेल्पलाइन शुरू करने की घोषणा की है। दीपांकर ने कहा,

“चुनाव आयोग पहले कहता है कि मजदूर गांव लौटकर BLO को फॉर्म दें। फिर कहता है कि ऑनलाइन भी कर सकते हैं। पर सच यह है कि लाखों प्रवासी मजदूर ऑनलाइन फॉर्म सबमिट करने की स्थिति में नहीं हैं। इसलिए हमने तमिलनाडु, कर्नाटक, महाराष्ट्र, पंजाब और दिल्ली में हेल्पलाइन शुरू की है ताकि मजदूर अपने अधिकार की लड़ाई लड़ सकें।”

एनआरसी और नागरिकता पर भी सवाल

प्रेस कांफ्रेंस में यह भी कहा गया कि सरकार लोगों की नागरिकता पर सवाल खड़ा कर रही है।

“बिहार में बाढ़ और बारिश से गांव के गांव डूब रहे हैं, लोग परेशान हैं। लेकिन सरकार को उनकी मदद की जगह उनकी नागरिकता का प्रमाण चाहिए। यह अपमानजनक है,” दीपांकर ने कहा।

उन्होंने असम का उदाहरण देते हुए कहा कि वहाँ की तरह अब बिहार में भी वोटर लिस्ट से लोगों के नाम हटाए जा रहे हैं। पार्टी का कहना है कि वोटर कार्ड, आधार कार्ड, मनरेगा जॉब कार्ड जैसे सरकारी दस्तावेजों को अमान्य बताकर नया प्रमाण मांगा जा रहा है, जो संविधान और लोकतंत्र पर सीधा हमला है।

सुप्रीम कोर्ट जाने की तैयारी

दीपांकर ने कहा कि पार्टी इस मुद्दे को सुप्रीम कोर्ट में भी उठाएगी।

“SIR एक स्कैम बन गया है। जैसे सुप्रीम कोर्ट ने इलेक्टोरल बॉन्ड को असंवैधानिक बताया, वैसे ही इस वोटर लिस्ट संशोधन की प्रक्रिया पर भी तत्काल रोक लगनी चाहिए।”

अगस्त में बड़े आंदोलन की तैयारी

पार्टी ने कहा कि अगस्त में ड्राफ्ट वोटर लिस्ट आने के बाद आंदोलन और तेज किया जाएगा।

“हर वोटर महत्वपूर्ण है। हर वोट मायने रखता है। अगर लाखों नाम कटे तो यह चुनाव चोरी होगी। इसके खिलाफ बिहार में बड़ा जनआंदोलन खड़ा होगा।”

इंडिया गठबंधन की मीटिंग

दीपांकर ने बताया कि जल्द ही इंडिया गठबंधन की बैठक में भी इस मुद्दे को उठाया जाएगा।

“यह सिर्फ बिहार का सवाल नहीं है। यह पूरे देश के लोकतंत्र का सवाल है।”

भाषा सिंह

1971 में दिल्ली में जन्मी, शिक्षा लखनऊ में प्राप्त की। 1996 से पत्रकारिता में सक्रिय हैं।
'अमर उजाला', 'नवभारत टाइम्स', 'आउटलुक', 'नई दुनिया', 'नेशनल हेराल्ड', 'न्यूज़क्लिक' जैसे
प्रतिष्ठित मीडिया संस्थानों

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