December 29, 2025 2:07 am
Home » समाज-संस्कृति » RSS के दुनिया भर में सैकड़ों संगठन, काम एक– हिंदू राष्ट्र, इस्लामोफ़ोबिया

RSS के दुनिया भर में सैकड़ों संगठन, काम एक– हिंदू राष्ट्र, इस्लामोफ़ोबिया

RSS के 36 संगठनों के दावे के पीछे छुपा 2,500 संगठनों का अंतरराष्ट्रीय जाल। जानिए कैसे RSS भारत से अमेरिका तक फैला है।

दुनिया भर में RSS का घना जाल, 36 संगठनों का दावा और 2,500 की हकीकत

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) को दुनिया का सबसे बड़ा NGO बताया। लेकिन जिस संगठन को वे “सबसे बड़ा” कह रहे हैं, वह न तो रजिस्टर है, न ही उसके आर्थिक लेन-देन का कोई सार्वजनिक हिसाब उपलब्ध है। ऐसे में सवाल उठता है कि RSS वास्तव में कितना बड़ा है, और उसका अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क किस हद तक फैला हुआ है।

डिकोडिंग RSS की इस कड़ी में हम इसी सवाल की पड़ताल करते हैं।

RSS का दावा बनाम अंतरराष्ट्रीय अध्ययन

RSS खुद यह दावा करता रहा है कि उससे केवल 36 संगठन जुड़े हुए हैं। लेकिन फ्रांस स्थित International Centre for Studies द्वारा पिछले कई वर्षों से किए गए एक गंभीर अध्ययन में इस दावे की पूरी तरह से पोल खुलती है।

इस अध्ययन का उद्देश्य यह समझना था कि दुनिया भर में ऐसे कौन-कौन से संगठन हैं—

  • जो RSS की विचारधारा से मेल खाते हैं
  • जो प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से RSS के काम को आगे बढ़ाते हैं
  • जो अलग-अलग क्षेत्रों—सांस्कृतिक, सामाजिक, शैक्षणिक, धार्मिक, राजनीतिक—में उसी एजेंडे को आगे ले जाते हैं

इस अध्ययन की विस्तृत रिपोर्ट अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिष्ठित पत्रिका Caravan (अंग्रेज़ी) की वेबसाइट पर भी प्रकाशित हुई है।

2,500 संगठन और ग्रेडिंग सिस्टम

इस अध्ययन में सामने आया कि दुनिया भर में करीब 2,500 संगठन ऐसे हैं, जो किसी न किसी रूप में RSS की विचारधारा से जुड़े हुए हैं।

इन संगठनों का मूल्यांकन एक ग्रेडिंग सिस्टम के तहत किया गया—

  • जो संगठन खुलकर RSS की विचारधारा का प्रचार करते हैं, उन्हें 1 अंक
  • जो आंशिक रूप से विचारधारा साझा करते हैं, उन्हें 0.5 अंक

इस पूरी जानकारी को सार्वजनिक रूप से दस्तावेज़ों के साथ रखा गया है।

गैर-पंजीकृत RSS और 150 करोड़ की इमारत

दिल्ली में हाल ही में बनी RSS की भव्य इमारत—जो किसी फाइव-स्टार होटल से कम नहीं लगती—इस बहस को और गहरा करती है। अनुमान के मुताबिक इस इमारत की लागत करीब 150 करोड़ रुपये है।

RSS कोई रजिस्टर्ड संस्था नहीं है।
RSS चंदा लेने का दावा भी नहीं करता।
वे कहते हैं कि यह इमारत “गुरुदक्षिणा” से बनी है।

लेकिन—

  • गुरुदक्षिणा का कोई लेखा-जोखा नहीं
  • इनकम टैक्स का कोई बंधन नहीं
  • सार्वजनिक ऑडिट नहीं

जब आयकर ट्रिब्यूनल ने इसकी पड़ताल की, तब भी यही कहा गया कि यह इमारत “लोगों के योगदान” से बनी है—लेकिन कितना, किससे, कैसे—इसका कोई स्पष्ट विवरण नहीं।

एक और “RSS” और असली RSS का फर्क

नागपुर में एक और संगठन है जो खुद को RSS कहता है और वह रजिस्टर्ड भी है। लेकिन यह वह RSS नहीं है—

  • जिसके कार्यकर्ता बजरंग दल, VHP, BHP से जुड़े दिखते हैं
  • जो ईसाइयों पर हमले करते हैं
  • जो क्रिसमस का विरोध करते हैं
  • जो मुस्लिम त्योहारों के समय मस्जिदों के सामने भगवा झंडे लगाकर उकसावे करते हैं

वह संगठन दरअसल RSS के विरोध में खड़ा एक छोटा समूह है, जिसकी सामाजिक-राजनीतिक हैसियत बेहद सीमित है।

असल RSS वही है—

  • जिसके सरसंघचालक मोहन भागवत हैं
  • जिसके सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले हैं
  • जिसके नेटवर्क से दुनिया भर में करीब 2,500 संगठन जुड़े हैं

भारत से लेकर अमेरिका तक फैला नेटवर्क

अध्ययन के मुताबिक—

  • भारत में ही करीब 2,000 संगठन
  • अमेरिका में 107
  • कनाडा में 113
  • ब्रिटेन में 26

भारत के भीतर—
उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, केरल जैसे राज्यों में इनकी उपस्थिति बेहद मजबूत है, लेकिन कोई भी राज्य ऐसा नहीं जहां RSS का नेटवर्क न हो।

समाज के हर तबके में पैठ

RSS की रणनीति साफ है—

  • प्रचारक (पूर्णकालिक)
  • स्वयंसेवक (अंशकालिक)

ये दोनों मिलकर समाज के हर क्षेत्र में संगठन खड़े करते हैं—

  • शिक्षा
  • छात्र राजनीति (ABVP)
  • आदिवासी इलाक़े (वनवासी कल्याण आश्रम)
  • धार्मिक संगठन
  • महिला संगठन
  • मजदूर, किसान, वकील, डॉक्टर, व्यापारी

हर संगठन अलग नाम से काम करता है, लेकिन विचारधारा एक—
हिंदू राष्ट्र, साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण और इस्लामोफोबिया।

प्रवासी भारतीय और RSS

सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि विदेशों में बसे प्रवासी भारतीय—चाहे वे व्यापार में हों या अन्य क्षेत्रों में—RSS के इस नेटवर्क को बेहद प्रतिबद्धता से आगे बढ़ाते हैं। यही कारण है कि अमेरिका और यूरोप में इतने बड़े पैमाने पर RSS से जुड़े संगठन खड़े हो चुके हैं।

नॉर्वे हमला और RSS विचारधारा

2011 में नॉर्वे में हुए भयावह नरसंहार का दोषी एंडर्स ब्रेविक जब पकड़ा गया, तो उसके पास से जो लंबा घोषणापत्र बरामद हुआ, उसमें RSS की विचारधारा के कई उद्धरण थे।

यह बताता है कि RSS का वैचारिक प्रभाव सिर्फ भारत तक सीमित नहीं है।

आधुनिक मूल्यों के खिलाफ एक परियोजना

RSS की राजनीति—

  • स्वतंत्रता
  • समानता
  • बंधुत्व

जैसे आधुनिक लोकतांत्रिक मूल्यों के खिलाफ खड़ी दिखाई देती है।
यह WHO और वैश्विक मानवाधिकार ढांचे के खिलाफ “हिंदू विशिष्टता” के नाम पर समाज को ढालने की परियोजना है।

यही कारण है कि RSS को सिर्फ एक संगठन नहीं, बल्कि एक अंतरराष्ट्रीय वैचारिक नेटवर्क के रूप में समझना ज़रूरी है।

राम पुनियानी

View all posts

ताजा खबर