October 6, 2025 8:23 pm
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मोहन भागवत का मोदी के लिए संकेत या RSS की नई रणनीति

मोहन भागवत ने 75 साल में रिटायरमेंट की बात कहकर क्या पीएम मोदी को संकेत दिया? पढ़िए इस बयान के पीछे की पूरी राजनीति।

संघ प्रमुख के 75 साल वाले बयान से राजनीतिक खलबली, क्या मोदी जी पर पड़ेगा असर

क्या RSS प्रमुख मोहन भागवत का ‘75 साल में रिटायरमेंट’ वाला बयान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए संकेत था? यह सवाल इस समय राजनीतिक हलकों में तेजी से तैर रहा है। भागवत ने हाल ही में अपने भाषण में कहा कि “जब आदमी 75 साल का हो जाता है तो उसे शॉल ओढ़ कर रिटायरमेंट ले लेना चाहिए।” भले ही उन्होंने इसे मजाकिया लहजे में कहा, लेकिन देश भर में इसे नरेंद्र मोदी के लिए सीधा संदेश माना जा रहा है।

मोहन भागवत स्वयं 74 वर्ष के हैं और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसी वर्ष 75 साल के होने जा रहे हैं। ऐसे में, यह बयान महज संयोग नहीं लगता। याद दिला दें कि 2014 में सत्ता में आने के बाद मोदी ने पार्टी के सभी वरिष्ठ नेताओं के लिए ‘मार्गदर्शक मंडल’ बना दिया था जिसमें लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी जैसे दिग्गजों को उम्र का हवाला देकर साइडलाइन कर दिया गया। अब जब भागवत वही उम्र सीमा प्रधानमंत्री पर लागू करने की बात कर रहे हैं तो इसे हल्के में नहीं लिया जा सकता।

क्या RSS चाहता है पूरी सत्ता पर नियंत्रण?

मोहन भागवत का यह बयान तब आया है जब RSS अपने 100 वर्ष पूरे करने वाला है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि संगठन अब परदे के पीछे नहीं, बल्कि सीधे सत्ता पर नियंत्रण चाहता है। 2014 से लेकर अब तक भाजपा सरकार ने जितनी भी नीतियां बनाईं, उनमें RSS का एजेंडा साफ नजर आया। लेकिन 2024 लोकसभा चुनावों के बाद जब भाजपा को बहुमत नहीं मिला, तभी से संघ में मोदी के नेतृत्व को लेकर असंतोष बढ़ा है।

याद करें, जून 2024 में चुनाव परिणामों के बाद नागपुर में दिए अपने भाषण में मोहन भागवत ने कहा था –

“सच्चा सेवक वही है जिसमें अहंकार न हो। जो मर्यादा में रहे। आज की राजनीति मर्यादा से बाहर जाती दिख रही है।”

यह बयान भी राजनीतिक गलियारों में प्रधानमंत्री के लिए ‘वॉर्निंग’ के तौर पर देखा गया था। भागवत का यह कहना कि “75 की उम्र के बाद बाजू में बैठना चाहिए”, कहीं न कहीं यह दर्शाता है कि RSS अब भाजपा में नए नेतृत्व को आगे लाना चाहता है।

मोहन भागवत बनाम नरेंद्र मोदी – RSS का असली एजेंडा क्या?

मोदी और भागवत के संबंधों को लेकर कहा जाता रहा है कि भाजपा और RSS अलग नहीं, बल्कि एक ही विचारधारा के दो पहलू हैं। लेकिन जानकारों का मानना है कि मोदी का व्यक्तित्व और कार्यशैली संघ के लिए भी चुनौतीपूर्ण हो गई है। भाजपा के सत्ता में आने के बाद कई बार मोहन भागवत ने सार्वजनिक रूप से नाखुशी जताई है – चाहे किसानों के आंदोलन का मसला हो या मुसलमानों को लेकर की गई नीतियां।

अब जब मोहन भागवत ने खुद ‘75 साल की उम्र में रिटायरमेंट’ का संदेश दिया है तो सवाल उठता है – क्या यह भाजपा के अंदर नेतृत्व परिवर्तन की तैयारी है?

निष्कर्ष

मोहन भागवत के इस बयान ने न सिर्फ भाजपा के भीतर हलचल मचा दी है बल्कि यह भी साफ कर दिया है कि RSS आने वाले समय में पर्दे के पीछे नहीं, बल्कि सामने से सत्ता की बागडोर थामना चाहता है। क्या नरेंद्र मोदी के लिए यह संदेश है कि अब वह भी आडवाणी और जोशी की तरह मार्गदर्शक मंडल में बैठने को तैयार रहें?

भविष्य में भाजपा की राजनीति किस दिशा में जाएगी, यह देखने लायक होगा। लेकिन फिलहाल इतना तो तय है कि मोहन भागवत का यह बयान भारतीय राजनीति में बड़ी हलचल पैदा कर चुका है।

भाषा सिंह

1971 में दिल्ली में जन्मी, शिक्षा लखनऊ में प्राप्त की। 1996 से पत्रकारिता में सक्रिय हैं।
'अमर उजाला', 'नवभारत टाइम्स', 'आउटलुक', 'नई दुनिया', 'नेशनल हेराल्ड', 'न्यूज़क्लिक' जैसे
प्रतिष्ठित मीडिया संस्थानों

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