October 6, 2025 8:25 pm
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चुनाव आयोग की चोरी, ऊपर से सीनाज़ोरी के खिलाफ़ विपक्ष की ललकार

बिहार में वोट चोरी विवाद गहराया। 65 लाख नाम मतदाता सूची से डिलीट, गैर-मौजूद घरों पर सैकड़ों वोटर दर्ज। राहुल गांधी की अगुवाई में विपक्ष ने "मतदाता अधिकार यात्रा" शुरू की। पढ़ें पूरी रिपोर्ट।

बिहार में वोट चोरी का आरोप: विपक्ष की “मतदाता अधिकार यात्रा” से चुनाव आयोग पर बढ़ा दबाव

बिहार के गांवों से उठ रही आवाज़ें साफ कह रही हैं—”हम ज़िंदा हैं, लेकिन चुनाव आयोग ने हमें मृत घोषित कर दिया।” पिंटू पासवान जैसे नौजवान सुप्रीम कोर्ट तक पहुँचे, सिर्फ इसलिए कि आयोग ने उन्हें वोटर लिस्ट में मृत बता दिया था। वहीं एक और महिला, मोनु देवी, आक्रोश में कहती हैं—”हम रोज़ खेतों में काम करते हैं, लेकिन हमारे नाम को काटकर आयोग ने हमारी पहचान छीन ली।”

हालात इतने बदतर हैं कि फतेहपुर जिले में जारी एक आवासीय प्रमाणपत्र में मतदाता के नाम पर बाकायदा कुत्ते की फोटो चिपकाकर “डॉग बाबू” को निवासी घोषित कर दिया गया। वहीं “कैट आंटी” का भी नाम वोटर सूची में दर्ज पाया गया। यह मज़ाक नहीं बल्कि मतदाता सूची की विश्वसनीयता पर करारा तमाचा है।

रिपोर्टर्स कलेक्टिव की जांच ने और चौंकाने वाले तथ्य उजागर किए—

  • पिपरा विधानसभा क्षेत्र के गलीमपुर गांव में 509 मतदाता एक ऐसे मकान पर दर्ज मिले जो अस्तित्व में ही नहीं है।
  • वहीं एक और गैर-मौजूद घर पर 459 वोटर रजिस्टर किए गए।
  • बगहा और मोतिहारी में तो एक-एक घर में 200 से अधिक वोटर पंजीकृत पाए गए।

यह तस्वीर सिर्फ धांधली नहीं, बल्कि लोकतंत्र पर सीधा हमला है। विपक्ष का कहना है कि यह सब “योजना बद्ध वोट चोरी” है और इसी के खिलाफ अब “मददाताअधिकार यात्रा” का बिगुल फूंका गया है।

बिहार में विशेष संक्षिप्त पुनरीक्षण (Special Intensive Revision – SIR) को लेकर घोटालों और धांधलियों के आरोपों ने चुनाव आयोग की साख पर गहरे सवाल खड़े कर दिए हैं। विपक्षी दलों का दावा है कि आयोग ने न केवल 65 लाख नाम मतदाता सूची से डिलीट कर दिए, बल्कि कई ऐसे घोटाले भी सामने आए हैं जिनसे मतदाता अधिकारों का खुला उल्लंघन होता दिख रहा है।

वोट चोरी और चुनाव आयोग की “सीना जोरी”

चुनाव आयोग पर आरोप है कि उसने मोदी सरकार की चमचागिरी करते हुए विपक्ष के आरोपों की अनदेखी की और प्रेस कॉन्फ्रेंस करके ज़िम्मेदारी से बचने की कोशिश की।

  • 65 लाख नाम डिलीट – जिनमें से 33 लाख को “स्थायी रूप से प्रवासी” और 22 लाख को “मृत” दिखाया गया।
  • फर्जी पते पर वोटर – बिहार के पिपरा विधानसभा क्षेत्र के गलीमपुर गांव में एक ऐसे मकान पर 509 मतदाता दर्ज हैं जो अस्तित्व में ही नहीं है।
  • एक और मामला – उसी गांव में एक और गैर-मौजूद मकान पर 459 वोटर दर्ज पाए गए।
  • बगहा, मोतिहारी और पिपरा – रिपोर्टर्स कलेक्टिव की जांच में सामने आया कि तीन विधानसभाओं में 3,590 ऐसे मामले मिले जहां एक ही पते पर 20 या उससे अधिक मतदाता दर्ज किए गए।

रिपोर्टर्स कलेक्टिव का बड़ा खुलासा

रिपोर्ट में बताया गया है कि:

  • बगहा की मतदाता सूची में 9 घर ऐसे मिले जिनमें से प्रत्येक पर 100 से ज्यादा मतदाता दर्ज थे।
  • एक घर में 248 मतदाताओं का पंजीकरण किया गया।
  • मोतिहारी में 294 मतदाता एक गैर-मौजूद घर पर दर्ज पाए गए।
  • केवल तीन विधानसभा क्षेत्रों में ही 80,000 संदिग्ध वोटर दर्ज हुए।

विपक्ष का बिगुल: “वोट चोर, गद्दी छोड़”

राहुल गांधी की अगुवाई में विपक्षी दलों ने सासाराम से “मतदाता अधिकार यात्रा” शुरू की है। यह यात्रा 16 दिन चलेगी, 23 जिलों और 50 विधानसभा क्षेत्रों से गुज़रेगी और 1,300 किलोमीटर की दूरी तय करेगी।

  • इसमें कांग्रेस, राजद, भाकपा माले, माकपा, समाजवादी पार्टियों और वामपंथी संगठनों के नेता शामिल हैं।
  • यात्रा का मुख्य नारा है: “वोट चोर गद्दी छोड़”
  • इस अभियान के ज़रिए विपक्ष चुनाव आयोग की धांधली को ज़मीन पर उजागर करने की कोशिश कर रहा है।

बड़ा सवाल: क्या न्याय मिलेगा?

सुप्रीम कोर्ट पहले ही इस मामले में सुनवाई कर चुका है और माना है कि वोटर डिलीशन पर गंभीर सवाल हैं। लेकिन आयोग लगातार यह कहकर बचाव करता रहा कि विपक्षी दलों और बूथ एजेंट्स ने समय पर आपत्ति दर्ज नहीं कराई।

वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण के अनुसार,

“चुनाव आयोग पूरी तरह से बेहया हो चुका है। यह अपने संवैधानिक दायित्व की मर्यादा का सम्मान नहीं कर रहा है।”

बिहार के मज़दूरों के साथ नाइंसाफी

बिहार से लगभग 2 करोड़ लोग रोज़गार की तलाश में बाहर जाते हैं। लेकिन आयोग ने इन्हीं को “स्थायी प्रवासी” बताकर सूची से नाम काट दिया। सवाल उठ रहा है कि जब सरकार NRI और OCI कार्ड धारकों को वोटिंग अधिकार देने की बात कर रही है, तब बिहार के प्रवासी मज़दूरों को मताधिकार से वंचित क्यों किया जा रहा है?

निष्कर्ष

बिहार में SIR प्रक्रिया के बाद जो तस्वीर सामने आई है, वह चुनाव आयोग की विश्वसनीयता पर गंभीर सवाल खड़े करती है। विपक्ष ने इसे लोकतंत्र पर सीधा हमला बताया है और अब “मददाताअधिकार यात्रा” के जरिए ज़मीन से बड़ा राजनीतिक आंदोलन खड़ा करने की कोशिश की जा रही है। सवाल यह है कि क्या यह अभियान वोट चोरी के खिलाफ निर्णायक मोड़ साबित होगा या चुनाव आयोग अपनी “सीना जोरी” जारी रखेगा?

भाषा सिंह

1971 में दिल्ली में जन्मी, शिक्षा लखनऊ में प्राप्त की। 1996 से पत्रकारिता में सक्रिय हैं।
'अमर उजाला', 'नवभारत टाइम्स', 'आउटलुक', 'नई दुनिया', 'नेशनल हेराल्ड', 'न्यूज़क्लिक' जैसे
प्रतिष्ठित मीडिया संस्थानों

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