राजनीतिक बदला? वाड्रा पर ईडी चार्जशीट और बघेल के बेटे की गिरफ्तारी से उठे सवाल
चुनावी मौसम है और मोदी सरकार ने अपने सबसे बड़े राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी, गांधी परिवार, को घेरने की पूरी तैयारी कर ली है। बीते दो दिनों में जो घटनाएं घटी हैं, उसने इस रणनीति को और साफ कर दिया है।
रॉबर्ट वाड्रा के खिलाफ 11 साल बाद चार्जशीट
रॉबर्ट वाड्रा, जो कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी के पति हैं, उनके खिलाफ 2008 की हरियाणा जमीन डील के मामले में पहली बार प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने चार्जशीट दाखिल की है। यह वही रॉबर्ट वाड्रा हैं जिन्हें भाजपा ने 2012 से ‘दामादजी घोटाले’ का प्रतीक बनाकर पेश किया था। ग्यारह साल बीत जाने के बाद अब यह चार्जशीट दाखिल होना एक बड़ा राजनीतिक संकेत दे रहा है।
भूपेश बघेल के बेटे की गिरफ्तारी
दूसरी तरफ छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के बेटे, चैतन्य बघेल, को ED ने 3200 करोड़ के शराब घोटाले के मामले में गिरफ्तार कर लिया। भूपेश बघेल गांधी परिवार के बेहद करीबी माने जाते हैं। उनका कहना है कि,
“पिछली बार मेरी जन्मतिथि पर ED आई थी, इस बार मेरे बेटे के जन्मदिन पर उसे गिरफ्तार किया गया। चुनाव से पहले ये कार्रवाई कोई संयोग नहीं, बल्कि स्पष्ट राजनीतिक साजिश है।”
उन्होंने आरोप लगाया कि यह गिरफ्तारी अडानी से जुड़े मुद्दों से जनता का ध्यान हटाने के लिए की गई है, क्योंकि कांग्रेस विधान सभा में अडानी मुद्दे को उठाने वाली थी।
क्या यह गांधी परिवार को घेरने की रणनीति है?
राहुल गांधी ने रॉबर्ट वाड्रा पर ED की चार्जशीट को ‘पॉलिटिकल विच हंट’ बताया। उन्होंने ट्वीट किया,
“मेरे जीजा रॉबर्ट वाड्रा को पिछले 10 सालों से निशाना बनाया जा रहा है। मैं अपनी बहन प्रियंका, रॉबर्ट और उनके बच्चों के साथ खड़ा हूं। सत्य की ही जीत होगी।”
कांग्रेस का सवाल – 2008 की डील पर चार्जशीट 2025 में क्यों?
कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि,
- 2008 की जमीन डील पर 2025 में चार्जशीट दाखिल हो रही है।
- क्या कोई सरकारी जमीन वाड्रा को दी गई? नहीं।
- क्या जमीन के इस्तेमाल में बदलाव की कोई अनुमति मिली? नहीं।
- क्या स्टाम्प ड्यूटी की चोरी हुई? नहीं।
सुरजेवाला ने पूछा, “संपत्ति की खरीदी-बिक्री कब से अपराध हो गया?”
विपक्षी नेताओं को डराने की राजनीति
यह पहली बार नहीं है। महाराष्ट्र में अजित पवार पर सिंचाई घोटाले का मामला हो या असम के मुख्यमंत्री हेमंत बिस्व सरमा पर पुराने केस – भाजपा में आते ही सारे मामले ‘धुल’ जाते हैं। लेकिन भाजपा में शामिल न होने वाले नेताओं पर केंद्रीय एजेंसियां ताबड़तोड़ कार्रवाई कर रही हैं। इसका ताजा उदाहरण भूपेश बघेल और रॉबर्ट वाड्रा हैं।
राजनीतिक विश्लेषण
- टाइमिंग महत्वपूर्ण है। बिहार समेत कई राज्यों में चुनाव होने वाले हैं। कांग्रेस और गांधी परिवार को उलझाकर भाजपा उन्हें कमजोर करने की कोशिश कर रही है।
- एजेंसियों का खुला उपयोग। PMLA, ED, CBI जैसी एजेंसियां मोदी सरकार की रणनीति का अहम हिस्सा बन चुकी हैं।
- विपक्षी एकजुटता की चुनौती। विपक्ष यह सवाल पूछ रहा है कि जब भाजपा नेताओं के घोटाले ‘सफेद’ हो सकते हैं, तो कांग्रेस नेताओं के मामले में कार्रवाई क्यों?
निष्कर्ष
जैसे-जैसे चुनाव करीब आएंगे, ऐसी गिरफ्तारियां, चार्जशीट और जांचें बढ़ेंगी। यह स्पष्ट है कि राजनीतिक लड़ाई अब कानूनी मोर्चे पर भी लड़ी जाएगी। सवाल यह है कि क्या भारत का लोकतंत्र ऐसी एजेंसी राजनीति को सह सकेगा?