कितने मॉडल: पानीपत ग्राम प्रधान से नैनीताल ज़िला पंचायत तक
देश में आज रोटी और रोज़गार के साथ-साथ वोट की हिफाज़त भी एक बड़ा मुद्दा बन गया है। हरियाणा से लेकर उत्तराखंड और कर्नाटक से लेकर चंडीगढ़ तक चुनावी धांधली और वोट लूट की घटनाएँ लगातार सामने आ रही हैं। यहाँ तक कि सुप्रीम कोर्ट को भी बार-बार हस्तक्षेप करना पड़ रहा है और चुनाव परिणाम पलटे जा रहे हैं। यह सब दर्शाता है कि लोकतंत्र का खुला अपहरण हो रहा है—और यह सब मोदी राज में “न्यू नॉर्मल” बन चुका है।
चुनाव आयोग पर सवाल
निष्पक्ष और पारदर्शी चुनाव कराने की जिम्मेदारी चुनाव आयोग और राज्य निर्वाचन आयोग की होती है। लेकिन पिछले कुछ वर्षों में इन संस्थाओं की भूमिका कटघरे में है। वोट चोरी और धांधली के इतने “मॉडल” सामने आ चुके हैं कि अब यह कहना भी गलत नहीं होगा कि लोकतंत्र को सुनियोजित तरीके से कमजोर किया जा रहा है।
महादेवपुरा मॉडल: कर्नाटक में 1 लाख वोट का घोटाला
राहुल गांधी ने हाल ही में खुलासा किया था कि बेंगलुरु सेंट्रल की महादेवपुरा विधानसभा क्षेत्र में एक लाख से अधिक फर्जी वोट जोड़े गए। उन्होंने इसे दस्तावेज़ और सबूतों के साथ रखा। यहाँ तक कि भाजपा नेताओं ने भी विपक्ष पर आरोप लगाते हुए परोक्ष रूप से इस धांधली को स्वीकार किया।
पानीपत सरपंच चुनाव: सुप्रीम कोर्ट ने पलटा परिणाम
हरियाणा के पानीपत जिले के बुआना लाखू गांव में नवंबर 2022 के सरपंच चुनाव में कुलदीप सिंह को विजेता घोषित किया गया था। उनके प्रतिद्वंद्वी मोहित कुमार ने EVM में गड़बड़ी की शिकायत की। लंबी कानूनी लड़ाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने अगस्त 2025 में EVM खोलकर पुनर्मतगणना कराई और मोहित कुमार विजेता घोषित हुए। यह उदाहरण दिखाता है कि एक ग्राम प्रधान चुनाव के लिए भी सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में मतगणना करानी पड़ रही है।
चंडीगढ़ मेयर चुनाव: चोरी कैमरे में कैद
जनवरी 2024 में चंडीगढ़ मेयर चुनाव के दौरान पीठासीन अधिकारी अनिल मसी ने विपक्ष के 8 वोट अवैध घोषित कर भाजपा प्रत्याशी को विजेता बना दिया। लेकिन यह चोरी CCTV कैमरे में कैद हो गई। सुप्रीम कोर्ट ने परिणाम पलटा और कांग्रेस समर्थित प्रत्याशी कुलदीप कुमार को विजेता घोषित किया। इसके बावजूद चुनाव अधिकारी पर कोई आपराधिक कार्रवाई नहीं हुई।
उत्तराखंड पंचायत चुनाव: अपहरण का आरोप
नैनीताल जिला पंचायत अध्यक्ष पद के चुनाव से पहले कांग्रेस ने आरोप लगाया कि भाजपा ने उसके 4 समर्थक सदस्यों का अपहरण कर लिया। मामला हाईकोर्ट पहुंचा और अदालत ने नतीजों पर रोक लगाते हुए नए निर्देश जारी किए। यहाँ तक कि मतगणना सीलबंद कर रखी गई है।
वोट चोरी के अन्य मॉडल
- रामपुर और मीरापुर (यूपी): मुस्लिम मतदाताओं को बूथ तक पहुँचने से रोका गया।
- इंदौर (मध्यप्रदेश): कांग्रेस प्रत्याशी ने नामांकन वापसी के आखिरी दिन नाम वापस लेकर भाजपा जॉइन कर लिया।
- सूरत (गुजरात): कांग्रेस प्रत्याशी का नामांकन रद्द कर दिया गया और भाजपा प्रत्याशी निर्विरोध चुना गया।
बड़ा सवाल: लोकतंत्र की रक्षा कौन करेगा?
चाहे EVM हो या बैलेट, हर स्तर पर धांधली के उदाहरण अब आम हो गए हैं। राहुल गांधी ने सही ही कहा कि जब तक चुनाव आयोग स्वतंत्र और निष्पक्ष नहीं होगा, पारदर्शी चुनाव संभव नहीं हैं। सवाल सिर्फ एक वोट या एक सीट का नहीं, बल्कि पूरे लोकतंत्र की रक्षा का है।
अब समय आ गया है कि देश अपने वोट की हिफाज़त के लिए संगठित होकर खड़ा हो।