उत्तराखंड में पेपर लीक के मामले में नौजवानों का आंदोलन चौथे दिन भी आक्रामक
उत्तराखंड में पेपर लीक कांड ने युवाओं का गुस्सा भड़का दिया है। रामलीला मंचन से लेकर सोशल मीडिया तक, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और उनकी सरकार को कठघरे में खड़ा किया जा रहा है। पिथौरागढ़ की रामलीला में भी पेपर लीक का मुद्दा उठाया गया और बीजेपी नेताओं के नाम सार्वजनिक रूप से लिए गए।
आंदोलन की पृष्ठभूमि
UKSSSC परीक्षा में पेपर लीक का आरोप सामने आने के बाद युवाओं का आक्रोश फूट पड़ा। कई जिलों में आंदोलन भड़क गए, जिनमें पुलिस फायरिंग में 4 लोगों की मौत और 70 से अधिक घायल होने की खबर है। बेरोजगार छात्रों का कहना है कि वे वर्षों से तैयारी कर रहे हैं, माता-पिता की गाढ़ी कमाई खर्च हो रही है, लेकिन सरकार पारदर्शी परीक्षा कराने में नाकाम है।
युवाओं की साफ मांग: निष्पक्ष परीक्षा और CBI जांच
आंदोलनकारियों का कहना है कि धामी सरकार लगातार पेपर लीक रैकेट को बचा रही है। छात्रों का आरोप है कि दोषियों के बीजेपी से संबंध हैं और यही कारण है कि सरकार ठोस कार्रवाई नहीं कर रही।
एक छात्रा ने साफ कहा:
“मैंने माँ से कहा कि धरने पर जा रही हूँ, पता नहीं कब लौटूँगी। माँ ने कहा – सच की लड़ाई लड़ो।”
युवाओं की यही जिद और साहस सरकार की मुश्किलें बढ़ा रहा है।
आंदोलन को बदनाम करने की कोशिशें
जैसा कि हमने मनीपुर और लद्दाख में देखा, यहाँ भी सरकार और सत्ता-समर्थित मीडिया ने आंदोलन को “एंटी-नेशनल” और “विदेशी ताकतों से प्रेरित” बताने का प्रयास किया। सोशल मीडिया पर ट्रोल आर्मी सक्रिय है, लेकिन असल सवाल कोई नहीं पूछ रहा –
युवाओं को निष्पक्ष परीक्षा क्यों नहीं मिल रही?
‘नकल जेहाद’ और नफरत की राजनीति
धामी सरकार ने इस आंदोलन को भी सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश की। लेकिन युवा साफ कह रहे हैं कि यह न तो चुनाव का मुद्दा है और न ही कोई राजनीतिक साजिश। यह उनकी जिंदगी और भविष्य का सवाल है।
जनाक्रोश और सरकार की चुनौती
आज उत्तराखंड की गलियों में नारा गूंज रहा है –
“पेपर चोर, गद्दी चोर”
युवाओं का यह गुस्सा सिर्फ परीक्षा व्यवस्था पर नहीं बल्कि धामी सरकार की राजनीति पर भी है। राम दरबार से लेकर जनता के दरबार तक, यह आंदोलन बीजेपी की मुश्किलें बढ़ा रहा है।