October 6, 2025 2:32 pm
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टेक्सटाइल से ऑटो तक संकट की दस्तक

Donald Trump’s 25% tariff on Indian exports hits textile, leather, auto, and SME sectors. Modi government under fire as millions of jobs face threat.

भारत की अर्थव्यवस्था पर ट्रम्प का 25% टैरिफ़ बम

एक अगस्त से डोनाल्ड ट्रम्प ने भारतीय सामानों पर 25% टैरिफ़ लगाकर भारत की अर्थव्यवस्था को सीधा झटका दिया है। मोदी सरकार पहले से ही बेरोज़गारी, महँगाई और धीमी विकास दर से जूझ रही थी। अब यह नया व्यापारिक हमला भारत के उन उद्योगों पर सबसे भारी पड़ेगा जो अमेरिका पर निर्भर हैं। सवाल यह है कि क्या मोदी सरकार इस संकट से निपटने में सक्षम है या फिर यह निर्णय भारतीय अर्थव्यवस्था को और “डेड इकॉनमी” की तरफ़ धकेल देगा?

टेक्सटाइल उद्योग पर करारी चोट

भारत का टेक्सटाइल क्षेत्र अमेरिका पर भारी निर्भर है। बनारस की साड़ियों से लेकर तिरुपुर के गारमेंट्स तक, एक्सपोर्ट का बड़ा हिस्सा अमेरिका को जाता है।

  • असर: ऑर्डर रद्द होने लगे हैं, छोटे यूनिट्स बंद होने के कगार पर।
  • रोज़गार संकट: इस उद्योग में लगभग 4.5 करोड़ लोग काम करते हैं, जिनमें से लाखों की नौकरी पर संकट मंडरा रहा है।
  • राजनीतिक प्रश्न: क्या मोदी सरकार ‘मेक इन इंडिया’ का सपना दिखाकर अब उद्योगपतियों और मज़दूरों को अंधेरे में छोड़ रही है?

लेदर इंडस्ट्री की दुर्दशा

कानपुर और चेन्नई जैसे शहरों की अर्थव्यवस्था लेदर निर्यात पर टिकी है।

  • असर: टैरिफ़ बढ़ने से भारतीय लेदर प्रोडक्ट्स अमेरिकी बाज़ार में महँगे हो जाएँगे, जिससे चीन और वियतनाम को सीधा फ़ायदा मिलेगा।
  • लोन और बंदी: छोटे कारोबारी बैंकिंग संकट के बीच और दबाव में आ जाएँगे।

ऑटोमोबाइल और पार्ट्स सेक्टर

भारत का ऑटोमोबाइल सेक्टर अमेरिका में पार्ट्स और कंपोनेंट्स सप्लाई करता है।

  • असर: पुणे, गुरुग्राम और चेन्नई जैसे हब में सप्लाई चेन टूटने लगी है।
  • SMEs पर दबाव: बड़ी कंपनियों की सर्विसिंग के लिए काम करने वाले छोटे और मंझोले उद्योग सबसे पहले बर्बाद होंगे।

आईटी और सर्विस सेक्टर

आईटी सेक्टर में सीधी टैरिफ़ मार नहीं है, लेकिन अमेरिकी क्लाइंट्स पर निर्भरता भारी पड़ सकती है।

  • डॉलर की मजबूती और अमेरिकी संरक्षणवाद के कारण भारतीय आईटी कंपनियों के लिए प्रोजेक्ट्स सिकुड़ेंगे।
  • H-1B वीज़ा पॉलिसी में और सख़्ती आने के संकेत हैं।

छोटे और मंझोले उद्योग (SMEs) पर संकट

भारत के लगभग 6.3 करोड़ SMEs एक्सपोर्ट पर किसी न किसी रूप में निर्भर हैं।

  • अमेरिकी बाज़ार से दूरी का मतलब होगा सीधा घाटा।
  • बैंकों और NBFC से लोन लेने वाले इन उद्यमियों पर NPA का खतरा और बढ़ेगा।

राजनीतिक प्रतिक्रिया और विपक्ष का हमला

  • मोदी सरकार चुप है, जबकि विपक्ष ने इसे “आर्थिक आत्मसमर्पण” बताया है।
  • राहुल गांधी ने सवाल उठाया कि मोदी-ट्रम्प की नज़दीकियों का भारत को क्या लाभ हुआ?
  • उद्योग संगठनों ने चेताया कि यदि सरकार तुरंत कूटनीतिक कदम नहीं उठाती तो लाखों रोज़गार ख़तरे में पड़ जाएँगे।

वैश्विक परिप्रेक्ष्य: चीन से सीख

ट्रम्प ने पहले चीन पर भी इसी तरह के टैरिफ़ लगाए थे। नतीजा यह हुआ कि कंपनियाँ वियतनाम, मैक्सिको और बांग्लादेश की तरफ़ शिफ्ट हो गईं। अब वही कहानी भारत के साथ दोहराई जा रही है।

निष्कर्ष

ट्रम्प का 25% टैरिफ़ भारत की अर्थव्यवस्था के लिए सीधी चेतावनी है। टेक्सटाइल, लेदर, ऑटो और SMEs पर इसका असर गहरा होगा। सवाल यह है कि क्या मोदी सरकार केवल चुनावी भाषणों में ‘विश्वगुरु’ बनेगी या वास्तविकता में अमेरिकी दबाव का मुक़ाबला करेगी? आने वाले महीनों में यह टैरिफ़ बम भारतीय अर्थव्यवस्था को हिला सकता है।

मुकुल सरल

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