बिहार में विपक्ष की वोटर अधिकार यात्रा ने भरी नई ऊर्जा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए संसद का मानसून सत्र इस बार एक यादगार लेकिन कड़वा अनुभव बन गया। आमतौर पर जब भी वे सदन में प्रवेश करते हैं तो बीजेपी सांसद मेज थपथपाकर और “मोदी, मोदी” के नारे लगाकर उनका स्वागत करते हैं। लेकिन इस बार तस्वीर बदल चुकी थी। विपक्षी सांसदों ने सत्ता पक्ष के नारों पर हावी होकर पूरे सदन में गूंजा दिया —
“वोट चोर गद्दी छोड़”।
संसद में बदला माहौल
21 जुलाई से 21 अगस्त तक चले मानसून सत्र में विपक्ष ने अपने सभी सवालों और आक्रोश को इसी नारे पर केंद्रित रखा। संसद के भीतर और बाहर दोनों जगह विपक्षी एकता साफ नज़र आई। विपक्ष के INDIA गठबंधन ने यह दिखा दिया कि लोकतंत्र में उनकी आवाज़ अब और अनसुनी नहीं की जा सकती।
मोदी सरकार ने भी अपनी ओर से कई प्रयास किए, यहां तक कि 130वां संविधान संशोधन विधेयक भी पेश किया, लेकिन विपक्ष ने इसे सत्ता का डर फैलाने वाला कदम बताया।
बिहार से नई करवट: वोटर अधिकार यात्रा
संसद के भीतर की गरमी के समानांतर बिहार में भी विपक्षी राजनीति गरमाई हुई है। राहुल गांधी की अगुवाई में चल रही वोटर अधिकार यात्रा ने विपक्ष को नई ऊर्जा दी है। लखीसराय में पहुंचे राहुल गांधी को भारी जनसमर्थन मिला। इस यात्रा की तस्वीरें और वीडियो गोधी मीडिया भी नज़रअंदाज़ नहीं कर पा रहा।
यह यात्रा 1 सितंबर तक जारी रहेगी और इसके जरिए विपक्ष ने साफ कर दिया है कि “वोट चोरी” अब उसका मुख्य मुद्दा होगा। यह केवल बिहार तक सीमित नहीं है, बल्कि बंगाल, असम, तमिलनाडु और अन्य राज्यों में भी यह चर्चा का विषय बन चुका है।
लोकतंत्र की असली जंग
यह संघर्ष महज़ सत्ता और विपक्ष के बीच का नहीं है, बल्कि वोट के अधिकार की असली जंग है। बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर ने “वन वोट, वन वैल्यू” का जो सपना दिया था, वही दांव पर लगा दिख रहा है। सवाल है कि क्या भारत का लोकतंत्र इस अधिकार को बचा पाएगा या नहीं।
नतीजा: विपक्ष की नैरेटिव जीत
संसद में नारेबाज़ी और सड़क पर वोटर अधिकार यात्रा, दोनों तस्वीरें एक साथ भारत की राजनीति में बड़ा बदलाव दिखा रही हैं। विपक्ष ने एकजुट होकर यह संदेश दिया है कि वोट की चोरी अब स्वीकार्य नहीं होगी।