सुप्रीम कोर्ट ने वक़्फ़ में कलेक्टर के अधिकार पर रोक लगाई, गैर मुस्लिमों की संख्या सीमित की
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार, 15 सितंबर 2025 को वक्फ संशोधन अधिनियम 2025 पर अपना अंतरिम आदेश सुनाया। यह फैसला न पूरी तरह सरकार के पक्ष में गया और न ही पूरी तरह याचिकाकर्ताओं के। अदालत ने बीच का रास्ता अपनाते हुए कुछ प्रावधानों को बरकरार रखा और कुछ पर रोक लगा दी। यानी, सरकार इसे अपनी जीत बता सकती है और मुस्लिम पक्ष भी राहत का दावा कर सकता है।
पृष्ठभूमि
सरकार ने अप्रैल 2025 के बजट सत्र में विपक्ष की आपत्तियों को दरकिनार करते हुए वक्फ संशोधन अधिनियम पारित किया था। इस कानून के खिलाफ देशभर में विरोध प्रदर्शन हुए। All India Muslim Personal Law Board सहित कई संगठनों और व्यक्तियों ने इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी।
22 मई को सुनवाई पूरी हुई और फैसला सुरक्षित रख लिया गया था। अब 15 सितंबर को CJI डी.वाई. चंद्रचूड़ की अनुपस्थिति में CJI बी.आर. गवई और जस्टिस ए.जी. मसीही की बेंच ने अंतरिम आदेश दिया।
सरकार के पक्ष में क्या गया?
- अदालत ने संशोधित कानून को पूरी तरह निरस्त नहीं किया।
- कोर्ट ने कहा कि किसी कानून को पूरी तरह खारिज करना सिर्फ दुर्लभ परिस्थितियों में संभव है।
- वक्फ संपत्ति के पंजीकरण (registration) का प्रावधान जस का तस लागू रहेगा।
- बोर्ड के सीईओ का मुस्लिम होना केवल सुझाव के तौर पर कहा गया, कोई बाध्यता नहीं।
मुस्लिम पक्ष को क्या राहत मिली?
- वक्फ करने वाले (वाकिब) के लिए 5 साल इस्लाम का अभ्यास करने की अनिवार्यता को स्थगित किया गया, जब तक राज्य अपने नियम न बनाए।
- कलेक्टर को वक्फ संपत्ति विवाद निपटाने का अधिकार देने पर रोक लगी। अब यह अधिकार केवल वक्फ ट्रिब्यूनल या अदालत का होगा।
- जब तक किसी वक्फ संपत्ति का विवाद लंबित रहेगा, उस पर किसी तीसरे व्यक्ति को नए अधिकार नहीं दिए जा सकेंगे।
- वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिम सदस्यों की संख्या पर सीमा तय की गई—
- केंद्रीय वक्फ बोर्ड: अधिकतम 4 गैर-मुस्लिम सदस्य
- राज्य वक्फ बोर्ड: अधिकतम 3 गैर-मुस्लिम सदस्य
दोनों पक्षों की प्रतिक्रिया
- सरकार के लिए यह फैसला राहत भरा है क्योंकि कानून पूरी तरह रद्द नहीं हुआ।
- All India Muslim Personal Law Board ने कहा कि उनके कई बिंदुओं को मान लिया गया है, इसलिए यह निर्णय संतोषजनक है।
निष्कर्ष
यह अंतरिम आदेश सरकार और मुस्लिम पक्ष, दोनों के लिए “आधे-अधूरे” फैसले जैसा है। अंतिम निर्णय आने तक यह सवाल बना रहेगा कि वक्फ संपत्तियों और संशोधन कानून का भविष्य किस दिशा में जाएगा।