असम में गरजे कांग्रेस नेता, दी सीधी चुनौती, लोकतंत्र को बचाने की लड़ाई अब सड़कों पर
कांग्रेस नेता और सांसद राहुल गांधी ने अपने असम दौरे में मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा के खिलाफ जमकर हमला बोला। उन्होंने कहा,
“मैं आज आपकी आंखों के सामने कह रहा हूं, बहुत जल्दी यही मीडिया वाले आपको आपके मुख्यमंत्री को जेल जाते हुए दिखाएंगे। उन्हें न मोदी बचा पाएंगे, न अमित शाह। आप देखना, वह जेल के अंदर नजर आएंगे।”
राहुल गांधी के इस बयान के बाद असम की राजनीति में उबाल आ गया है। उनके इस बयान को बीजेपी और मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा पर सीधी चुनौती माना जा रहा है। उन्होंने असम के छह गांवों में जनसभाओं को संबोधित किया और कहा कि बीजेपी और आरएसएस डर की राजनीति करते हैं लेकिन सच यह है कि “इनकी आंखों में डर नजर आता है”।
अडानी-अंबानी का भी किया जिक्र
राहुल गांधी ने अपने भाषण में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी की नीतियों पर भी जमकर हमला बोला। उन्होंने कहा कि असम का मुख्यमंत्री अपने आपको राजा समझता है, लेकिन वह 24 घंटे अडानी और अंबानी की सेवा में लगा रहता है। उन्होंने कहा,
“असम का राजा चौबीस घंटे कभी अडानी को, कभी अंबानी को आपकी जमीन, आपका धन देने में लगा रहता है।”
राहुल गांधी ने अनंत अंबानी की शादी में हुए खर्च का भी जिक्र किया और कहा कि देश के अरबपति अपने शौक पूरे करने में लगे हैं जबकि गरीब और मजदूर महंगाई और बेरोजगारी से जूझ रहे हैं।
मुस्लिम मुद्दे पर चुप्पी क्यों?
राहुल गांधी ने अपने भाषण में असम में मुसलमानों पर हो रहे अत्याचार, बस्तियों पर बुल्डोजर, और सांप्रदायिक राजनीति का जिक्र नहीं किया। हिमंत बिस्वा सरमा की सरकार जिस तरह असम में ‘सांप्रदायिक प्रयोगशाला’ चला रही है, उस पर चुप्पी उनके भाषण की सबसे बड़ी कमी मानी जा रही है।
क्या राहुल गांधी इस मुद्दे को जानबूझकर टाल रहे हैं? क्या कांग्रेस असम में बीजेपी की सांप्रदायिक राजनीति का खुलकर विरोध करने से कतरा रही है? ये सवाल राजनीतिक विश्लेषकों के बीच चर्चा का विषय बन चुके हैं।
“मैं जो बोलता हूं, वह होता है”
राहुल गांधी ने अपने भाषण में कहा,
“मैं जो बोलता हूं, वह होता है। मैंने कोविड के समय बोला था, नोटबंदी के समय बोला था, गलत GST के समय बोला था, और नतीजे सबने देखे। आज मैं कह रहा हूं कि आपके मुख्यमंत्री को जेल जाते हुए आप जल्द देखेंगे।”
हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि सिर्फ बोलने से कुछ नहीं होगा, जब तक कांग्रेस का कार्यकर्ता और आम लोग नफरत की इस राजनीति के खिलाफ जमीन पर मोर्चा नहीं खोलेंगे, तब तक बदलाव संभव नहीं है।
चुनौती देने की राजनीति
राहुल गांधी का यह बयान कांग्रेस कैडर में जोश भर सकता है लेकिन जमीनी स्तर पर कांग्रेस की तैयारी अभी कमजोर नजर आती है। हिमंत बिस्वा सरमा फिलहाल अपने राजनीतिक एजेंडे को खुलकर लागू कर रहे हैं। ऐसे में राहुल गांधी का यह बयान कांग्रेस के लिए कितना फायदेमंद होगा, यह आने वाले समय में स्पष्ट होगा।