December 18, 2025 2:34 am
Home » देशकाल » नीतीश कुमार को इस हरकत के लिए क्या माफ़ी नहीं मांगनी चाहिए!

नीतीश कुमार को इस हरकत के लिए क्या माफ़ी नहीं मांगनी चाहिए!

नीतीश कुमार द्वारा महिला डॉक्टर का हिजाब खींचने की घटना, संजय निषाद के बयान और महिलाओं के साहसी प्रतिरोध पर विस्तृत रिपोर्ट।

बिहार के मुख्यमंत्री का महिला डॉक्टर का हिजाब खींचना: सत्ता के अहंकार और लोकतांत्रिक गरिमा पर सवाल

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा एक सार्वजनिक कार्यक्रम में महिला डॉक्टर नुसरत परवीन का हिजाब खींचने की घटना ने देश की राजनीति, सत्ता की संवेदनशीलता और महिलाओं की सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। यह कोई मामूली ‘अशिष्ट व्यवहार’ नहीं था, बल्कि एक संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति द्वारा एक महिला के व्यक्तिगत सम्मान, धार्मिक स्वतंत्रता और शारीरिक स्वायत्तता पर सीधा हमला था।

क्या कभी माफी मांगेंगे नीतीश कुमार?

सबसे बुनियादी सवाल यही है—क्या नीतीश कुमार ने कभी इस हरकत के लिए सार्वजनिक रूप से माफी मांगी? जिस तरह से एक महिला डॉक्टर के हिजाब को सार्वजनिक रूप से खींचा गया, वह न सिर्फ अपमानजनक था बल्कि सत्ता के दुरुपयोग का खुला उदाहरण भी था। यह घटना बताती है कि सत्ता में बैठे लोग खुद को कानून, मर्यादा और नैतिकता से ऊपर समझने लगे हैं।

योगी सरकार के मंत्री का और भी आपत्तिजनक बयान

मामला यहीं नहीं रुका। उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार में मंत्री संजय निषाद ने इस घटना पर और भी अधिक आपत्तिजनक टिप्पणी की। उनके बयान ने महिलाओं के खिलाफ घृणित और अश्लील मानसिकता को उजागर कर दिया। सवाल यह है कि क्या ऐसे व्यक्ति को मंत्री पद पर बने रहने का नैतिक अधिकार है?

नुसरत परवीन का साहसिक प्रतिरोध

इस पूरे घटनाक्रम में महिला डॉक्टर नुसरत परवीन का जवाब ऐतिहासिक है। जिस तरह उन्होंने मुख्यमंत्री के सामने उनका ही सरकारी नियुक्ति पत्र फेंककर विरोध दर्ज कराया, वह सत्ता के सामने नागरिक साहस का दुर्लभ उदाहरण है। यह घटना नीतीश कुमार और उनकी सरकार को जीवन भर याद रहेगी।

सुमैया राना की FIR: एक जरूरी और साहसी कदम

मशहूर शायर मुनव्वर राना की बेटी सुमैया राना द्वारा नीतीश कुमार और संजय निषाद के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराना इस लड़ाई को कानूनी और लोकतांत्रिक दिशा देता है। यह स्पष्ट संदेश है कि इस देश की महिलाएं अब चुप नहीं बैठेंगी। सत्ता में बैठे ‘बेहया मर्दों’ को यह समझना होगा कि उनका हर कृत्य जवाबदेह है।

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की छवि को नुकसान

इस घटना के बाद सोशल मीडिया पर अनगिनत प्रतिक्रियाएं सामने आईं। लोग पूछ रहे हैं—नीतीश कुमार इस्तीफा कब देंगे? योगी आदित्यनाथ अपने मंत्री संजय निषाद को कब हटाएंगे? यह सिर्फ घरेलू मामला नहीं रह गया है; पूरी दुनिया में भारत की छवि को गंभीर नुकसान पहुंचा है।

ममता बनर्जी का उदाहरण और दोहरा मापदंड

यह महज इत्तेफाक नहीं है कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने खेल मंत्री से सिर्फ एक आयोजन में अव्यवस्था के कारण इस्तीफा ले लिया, जबकि बिहार और उत्तर प्रदेश में महिलाओं के खुले अपमान पर भी सत्ता मौन है। क्या महिलाओं को सिर्फ वोटर समझा जाता है, इंसान नहीं?

पद की गरिमा और ‘ट्रिकल डाउन इफेक्ट’

मुख्यमंत्री जैसे संवैधानिक पद की अपनी एक गरिमा होती है। जब वही पद महिलाओं के अपमान का उदाहरण बने, तो उसका ‘ट्रिकल डाउन इफेक्ट’ समाज के लिए बेहद खतरनाक हो सकता है। अगर मुख्यमंत्री ही ऐसा व्यवहार करें, तो आम नागरिक सुरक्षा के लिए किसके पास जाएगा?

बीमारी का बहाना या मानसिकता का सवाल?

नीतीश कुमार की तबीयत को लेकर तरह-तरह की बातें कही जा रही हैं, लेकिन संजय निषाद के मामले में यह साफ है कि समस्या बीमारी नहीं, बल्कि महिलाओं के प्रति उनकी घृणित सोच है। यह वही देश है जहां कहा गया—‘यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवताः’, और यहां मंत्री ऐसी शर्मनाक बातें कर रहे हैं।

निष्कर्ष: हम नुसरत और सुमैया के साथ हैं

इस मंच से हम नुसरत परवीन और सुमैया राना के साहस को सलाम करते हैं और उनके साथ खड़े होने का ऐलान करते हैं। आप मुख्यमंत्री हो सकते हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि आप किसी महिला, खासकर मुस्लिम महिला, को सार्वजनिक रूप से अपमानित करें। यह लड़ाई सिर्फ एक महिला की नहीं, बल्कि लोकतंत्र, संविधान और इंसानी गरिमा की है।

भाषा सिंह

1971 में दिल्ली में जन्मी, शिक्षा लखनऊ में प्राप्त की। 1996 से पत्रकारिता में सक्रिय हैं।
'अमर उजाला', 'नवभारत टाइम्स', 'आउटलुक', 'नई दुनिया', 'नेशनल हेराल्ड', 'न्यूज़क्लिक' जैसे
प्रतिष्ठित मीडिया संस्थानों

Read more
View all posts

ताजा खबर