मानसून सत्र में होगा बिहार की वोटबंदी पर संग्राम! सीज़ फ़ायर पर भी घेरेगा विपक्ष
आखिरकार वह समय आ ही गया जब मोदी सरकार को संसद और विपक्ष का सीधा सामना करना होगा। 21 जुलाई से शुरू हो रहे संसद के मानसून सत्र को लेकर घमासान तय है। बीते सौ दिनों में देश में कई बड़ी घटनाएं घटीं – आतंकी हमला, संघर्ष विराम, चुनावी फैसले – लेकिन विपक्ष की मांग के बावजूद मोदी सरकार ने विशेष सत्र नहीं बुलाया। अब इस सत्र में इन सभी सवालों पर सरकार को जवाब देना ही होगा।
SIR यानी वोटबंदी पर बड़ा सवाल
सबसे बड़ा मुद्दा बिहार में चल रहा S.I.R. (Special Intensive Revision) है, जिसे विपक्ष ‘वोटबंदी’ और ‘छिपी NRC’ कह रहा है। इस प्रक्रिया के जरिए करोड़ों मददाताओं के नाम हटाए जाने की आशंका जताई गई है। विपक्षी दलों ने इसे लोकतंत्र पर सीधा हमला बताया है। अब TDP ने भी इसपर सवाल उठाए हैं। यह मुद्दा इस मानसून सत्र का कोर मुद्दा होगा।
पहलगांव आतंकी हमला और संघर्ष विराम पर सवाल
22 अप्रैल को पहलगांव में हुआ आतंकी हमला और उसके बाद 10 मई को भारत-पाकिस्तान के बीच अचानक हुआ सीजफायर भी चर्चा का विषय बनेगा। अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रम्प ने दावा किया कि उनके कहने पर यह सीजफायर हुआ। इस पर सरकार से स्पष्टीकरण मांगा जाएगा।
विपक्ष की विशेष सत्र मांग को नजरअंदाज
हमले के बाद राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे ने विशेष सत्र बुलाने की मांग की थी ताकि देश सुरक्षा पर मंथन कर सके। लेकिन मोदी सरकार ने इस मांग को अनसुना कर दिया। विपक्ष का आरोप है कि सरकार संसद से भाग रही है क्योंकि वहां उसे आधिकारिक जवाब देने पड़ते हैं, जबकि रैली और गोधी मीडिया में मनमाफिक बयान दिए जा सकते हैं।
सरकार के एजेंडे में क्या है
सरकार इस मानसून सत्र में आठ विधेयक पास कराने की तैयारी में है, जिनमें शामिल हैं:
- इंकम टैक्स बिल 2025
- डिजिटल डेटा प्रोटेक्शन बिल (जिसे विपक्ष ने विवादित कहा)
- माइन एंड मिनरल्स अमेंडमेंट बिल
इसके अलावा, मणिपुर में राष्ट्रपति शासन बढ़ाने का प्रस्ताव भी पेश किया जाएगा।
इंडिया ब्लॉक की तैयारी
विपक्ष ने भी सरकार को घेरने की रणनीति बना ली है। कांग्रेस संसदीय दल की 15 जुलाई की बैठक में तय मुद्दे:
- पहलगांव आतंकी हमला: जवाबदेही और कार्रवाई
- ऑपरेशन सिंदूर और संघर्ष विराम: अमेरिकी दबाव का सच
- बिहार SIR मामला: सुप्रीम कोर्ट में 28 जुलाई को सुनवाई भी है
- जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा: 2019 के वादे की याद दिलाई गई
- लद्दाख को संविधान की छठी अनुसूची में शामिल करने की मांग
- एयर इंडिया विमान दुर्घटना पर चर्चा
- महंगाई, बेरोजगारी, महिला सुरक्षा और किसान मुद्दे
- जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव
लोकतंत्र में संसद का महत्व
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि जब तक सरकार और विपक्ष के बीच आम सहमति नहीं बनती, संसद नहीं चल सकती। आम सहमति बनाने की जिम्मेदारी सरकार की होती है। संसद में जो कहा जाता है, वह सरकार की जिम्मेदारी होती है, वहां यूटर्न नहीं लिया जा सकता।
क्या मानसून सत्र में आएगी जवाबदेही की बारिश?
21 जुलाई से शुरू हो रहे सत्र में कई नए मुद्दे भी जुड़ सकते हैं। चीन से बातचीत, ट्रम्प की ट्रेड डील, NATO का दबाव – ये सारे मुद्दे संसद में उठेंगे। अब देखना होगा कि क्या मोदी सरकार इस बार संसद को उसका हक देगी और देश को विश्वास में लेगी, या फिर बहस से बचने की पुरानी रणनीति अपनाएगी।