ऑपरेशन सिंदूर पर चुप्पी क्यों? CDS का बयान और राफेल पर खामोशी से उठते सवाल
6-10 मई के बीच चले ऑपरेशन सिंदूर को लेकर अब सवालों की गूंज संसद से लेकर जनता के बीच तक पहुंच चुकी है। यह सिर्फ एक सैन्य कार्रवाई नहीं थी—यह एक राष्ट्रीय विमर्श बन गया है। सवाल सीधा है: क्या देश की जनता को यह जानने का अधिकार नहीं कि ऑपरेशन सिंदूर में क्या खोया, क्या पाया?
रक्षा मंत्रालय, प्रधानमंत्री कार्यालय और तीनों सेनाओं की शीर्षस्थ संस्थाओं की ओर से कोई स्पष्ट और सार्वजनिक जवाब अब तक नहीं आया है।
विदेश में बोले CDS, देश में खामोशी क्यों?
भारत के चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) जनरल अनिल चौहान ने सिंगापुर के शांग्री-ला डायलॉग में ब्लूमबर्ग और रॉयटर्स को दिए इंटरव्यू में स्वीकारा कि ऑपरेशन सिंदूर के शुरुआती दिनों में भारत को “कुछ नुकसान” हुआ, और फिर “रणनीति में बदलाव” किया गया।
उन्होंने कहा:
“शुरुआत में हमारी गलतियाँ थीं। हमने उन्हें सुधारा और फिर बड़ी कार्रवाई की।”
यह बयान ऐसे समय आया जब देश के भीतर विपक्षी नेता, खासकर राहुल गांधी और रेवंत रेड्डी, बार-बार यही सवाल पूछ रहे थे—क्या भारतीय वायुसेना के विमान गिरे? कितने गिरे? कौन ज़िम्मेदार है?
एयर चीफ मार्शल एपी सिंह का दर्द
इसी बीच वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल एपी सिंह ने दिल्ली में खुले मंच से कहा:
“हमें एक भी फाइटर जेट समय पर नहीं मिलता। क्या हम वादे निभाने वाले देश नहीं हैं?”
यह वाक्य सिर्फ टेक्निकल संकट नहीं दर्शाता, बल्कि भारत की सैन्य तैयारी पर गंभीर सवाल उठाता है।
राफेल: गिरे लेकिन माने नहीं?
सबसे ज्यादा चिंता की बात यह है कि फ्रांस की डसॉल्ट कंपनी, जिसने राफेल विमानों की आपूर्ति की, भारत में आकर ऑपरेशन सिंदूर में शामिल विमानों का ऑडिट करना चाहती है—but भारत सरकार ने अब तक उन्हें इसकी अनुमति नहीं दी।
The Wire की रिपोर्ट के मुताबिक, फ्रांस सरकार के प्रतिनिधियों ने आधिकारिक रूप से भारत से अनुरोध किया है कि वे राफेल की युद्ध-स्थिति का विवरण दें। यह इतिहास में पहली बार है जब किसी युद्ध में राफेल विमान को नुकसान हुआ हो—और सरकार इस पर चुप है।
सुब्रमण्यम स्वामी और 5 राफेल का दावा
बीजेपी के पूर्व सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने दावा किया है कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान 5 राफेल विमान गिराए गए। उन्होंने यहां तक कहा कि:
“अगर ये सच है तो किसी को इस्तीफ़ा देना चाहिए।”
हालांकि सरकार ने उनके इस बयान पर कोई टिप्पणी नहीं की।
ब्रह्मा चेलानी की खरी टिप्पणी
विदेश नीति के विशेषज्ञ ब्रह्मा चेलानी ने सवाल उठाया:
“CDS को भारत में बोलने के बजाय सिंगापुर जाकर यह बयान क्यों देना पड़ा? क्या यह डिप्लोमैटिक डैमेज कंट्रोल है?”
उन्होंने यह भी जोड़ा कि:
“जब 2 दिन तक वायुसेना हवा में नहीं दिखी, तो भारत यह कैसे कह सकता है कि ऑपरेशन सिंदूर सफल रहा?”
ट्रम्प और मोदी का नैरेटिव क्लैश
इस बीच पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 20 दिनों में 11 बार दावा किया कि भारत-पाकिस्तान सीज़फायर उनके कहने पर हुआ। इससे प्रधानमंत्री मोदी द्वारा पेश की गई “ऑपरेशन सिंदूर की विजय कथा” अंतरराष्ट्रीय मंच पर संदिग्ध हो गई है।
सवाल अब भी अनुत्तरित हैं
- क्या वाकई भारत ने ऑपरेशन सिंदूर में पाकिस्तान को झुका दिया?
- कितने भारतीय विमान गिरे? क्या उनमें राफेल भी शामिल थे?
- फ्रांस को जवाब क्यों नहीं दिया जा रहा?
- सीडीएस का बयान देश में क्यों नहीं आया?
- क्या देश की जनता को सिर्फ प्रचार और चुनावी भाषणों से जवाब मिलेगा?
निष्कर्ष
आज जब भारत दुनिया भर में ग्लोबल आउटरीच मिशन चला रहा है, जब 59 सांसद 32 देशों में भारत की छवि चमका रहे हैं—उसी समय देश के भीतर यह चुप्पी संदेह, भ्रम और राजनीतिक दोहरेपन को जन्म दे रही है।
क्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सच का सामना करेंगे?
क्या रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह सदन में आकर पारदर्शिता दिखाएंगे?
देश को जवाब चाहिए—अब।