December 25, 2025 3:31 am
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बीजेपी का चाल, चरित्र और चेहरा उजागर

अंकिता भंडारी हत्याकांड और कुलदीप सेंगर को मिली जमानत ने बीजेपी की ‘बेटी बचाओ’ राजनीति को बेनकाब कर दिया है। पढ़िए बेबाक भाषा की विशेष रिपोर्ट।

अंकिता भंडारी से कुलदीप सेंगर तक, बलात्कारियों के संरक्षण की राजनीति

“बेटी बचाओ” के नारों से भरी भारतीय जनता पार्टी की असल राजनीति एक बार फिर बेनकाब हो चुकी है।
उत्तराखंड के अंकिता भंडारी हत्याकांड (2022) और उत्तर प्रदेश के उन्नाव बलात्कार कांड (2017) — ये दो अलग-अलग राज्य, दो अलग-अलग समय, लेकिन सत्ता, संरक्षण और अपराधियों को बचाने का तरीका एक जैसा है।

एक तरफ अंकिता भंडारी की हत्या के पीछे VIP सेक्स रैकेट की परतें खुल रही हैं, दूसरी तरफ कुलदीप सिंह सेंगर, जो आजीवन कारावास की सजा काट रहा था, उसे दिल्ली हाईकोर्ट से जमानत मिल जाती है।
इन दोनों मामलों ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि
क्या बीजेपी में “हिंदू बेटी” सिर्फ चुनावी नारा है, इंसाफ का मुद्दा नहीं?

कुलदीप सिंह सेंगर: बलात्कार, हत्या और फिर जमानत

उन्नाव का पूर्व बीजेपी विधायक कुलदीप सिंह सेंगर कोई साधारण अपराधी नहीं है।
एक नाबालिग हिंदू लड़की के साथ गैंगरेप, फिर उसके परिवार को खत्म करने की साजिश — यह मामला किसी फिल्मी स्क्रिप्ट से भी ज्यादा भयावह है।

क्रोनोलॉजी देश जानता है:

  • पीड़िता के पिता की जेल में संदिग्ध मौत
  • चाचा की हत्या
  • मां और चाची की कार “दुर्घटना” में मौत
  • और अंततः पीड़िता का पूरा परिवार तबाह

इसके बावजूद दिल्ली हाईकोर्ट से सेंगर को जमानत मिल जाती है।
उसकी उम्रकैद की सजा सस्पेंड कर दी जाती है।

यह वही कुलदीप सेंगर है, जिससे 2019 में बीजेपी सांसद साक्षी महाराज जेल में मिलने गए थे और कथित तौर पर कहा था —
“थैंक यू कुलदीप सेंगर, तुम्हारी वजह से मैं सांसद बना।”

आज सवाल सिर्फ जमानत का नहीं है, सवाल है उस राजनीतिक संरक्षण का, जिसने एक सिद्ध अपराधी को बार-बार बचाया।

अंकिता भंडारी हत्याकांड: VIP कौन है?

18 सितंबर 2022 को उत्तराखंड के पौड़ी जिले में अंकिता भंडारी की हत्या हुई।
वह एक रिसॉर्ट में काम करती थी और आरोप है कि उसे एक VIP को “स्पेशल सर्विस” देने के लिए मजबूर किया जा रहा था
इंकार करने पर उसकी हत्या कर दी गई।

मई 2025 में अदालत का फैसला आया।
160 पन्नों के फैसले में बार-बार VIP शब्द मौजूद है —
लेकिन VIP का नाम नहीं

यह संयोग नहीं, साजिश का हिस्सा है।

बीजेपी के भीतर से उठते नाम, लेकिन चुप्पी बरकरार

अब इस मामले में नए खुलासे सामने आए हैं।
बीजेपी के ही पूर्व विधायक सुरेश राठौर की दूसरी पत्नी उर्मिला सनावर ने सीधे आरोप लगाया है कि:

  • अंकिता की हत्या सेक्स रैकेट से जुड़ी थी
  • इस रैकेट में “बहुत बड़ा VIP” शामिल था
  • और उस VIP का नाम है दुष्यंत कुमार गौतम, बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव और उत्तराखंड प्रभारी

महत्वपूर्ण बात यह है कि:

  • ये नाम बीजेपी के भीतर से आ रहे हैं
  • कांग्रेस ने इसे अपने आधिकारिक सोशल मीडिया हैंडल से साझा किया
  • लेकिन न राज्य सरकार बोल रही है
  • न केंद्र सरकार
  • न मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी

पूरी बीजेपी पर सन्नाटा पसरा हुआ है।

बुलडोजर एक्शन: इंसाफ या सबूत मिटाने की साजिश?

अंकिता भंडारी हत्याकांड के बाद जिस रिसॉर्ट में वह काम करती थी, वहां बुलडोजर चला दिया गया
तब कहा गया — “कानून का सख्त एक्शन।”

लेकिन आज सवाल उठ रहा है:

  • बुलडोजर चलाने का आदेश किसने दिया?
  • मुख्यमंत्री पहले इसका श्रेय ले रहे थे, अब चुप क्यों हैं?
  • पुलिस, विधायक, प्रशासन — कोई जिम्मेदारी क्यों नहीं ले रहा?

अदालत के फैसले से पता चलता है कि:

  • कमरे में कहीं भी फिंगरप्रिंट नहीं मिले
  • दरवाजों, प्लेटों, अलमारियों — हर जगह सबूत गायब थे

तो क्या बुलडोजर सबूत मिटाने का हथियार था?

UCC और ‘हिंदू बेटी’ की सुरक्षा का झूठ

उत्तराखंड देश का पहला राज्य है जहां यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) लागू किया गया।
दावा किया गया — इससे “हिंदू बेटियां सुरक्षित होंगी।”

लेकिन हकीकत क्या है?

  • अंकिता भंडारी का परिवार आज भी कहता है कि उन्हें पूरा न्याय नहीं मिला
  • असली अपराधी अब भी बेनकाब नहीं हुए
  • VIP आज भी “VIP” बना हुआ है

बीजेपी की राजनीति में
धर्म दिखता है, लेकिन बेटी नहीं।
नारे दिखते हैं, लेकिन न्याय नहीं।

बीजेपी का चाल, चरित्र और चेहरा

कुलदीप सेंगर हो या अंकिता भंडारी केस —
हर बार पैटर्न एक जैसा है:

  • आरोपी सत्ता से जुड़ा
  • जांच भटकी हुई
  • सरकार की चुप्पी
  • और अंत में अपराधियों को राहत

यह सिर्फ दो मामले नहीं हैं,
यह बीजेपी की उस राजनीति का चेहरा है,
जहां “हिंदू बेटी” चुनावी हथियार है,
और बलात्कारियों को संरक्षण सत्ता की रणनीति।

आज सवाल प्रधानमंत्री से है,
बीजेपी से है,
और उन तमाम संगठनों से है जो हर मुद्दे पर सड़क पर उतर आते हैं —

क्या हिंदू बेटी की इज्जत सिर्फ भाषणों तक सीमित है?

भाषा सिंह

1971 में दिल्ली में जन्मी, शिक्षा लखनऊ में प्राप्त की। 1996 से पत्रकारिता में सक्रिय हैं।
'अमर उजाला', 'नवभारत टाइम्स', 'आउटलुक', 'नई दुनिया', 'नेशनल हेराल्ड', 'न्यूज़क्लिक' जैसे
प्रतिष्ठित मीडिया संस्थानों

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