December 16, 2025 7:20 pm
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सरकार ने अचानक पेश किए तीन अहम व विवादित बिल

प्रधानमंत्री और नेता प्रतिपक्ष की अनुपस्थिति में 15 दिसंबर को लोकसभा में परमाणु ऊर्जा विधेयक, शिक्षा अधिष्ठान विधेयक 2025 और निरसन-संशोधन विधेयक पेश। पढ़िए पूरा संसद अपडेट।

जबकि लोकसभा में न तो प्रधानमंत्री थे और न ही नेता प्रतिपक्ष

सोमवार, 15 दिसंबर को संसद का शीतकालीन सत्र उस वक्त खासा चर्चा में रहा, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी—दोनों की अनुपस्थिति में सरकार ने लोकसभा में एक साथ तीन महत्वपूर्ण और विवादास्पद विधेयक अचानक supplementary agenda के तौर पर पेश कर दिए।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इन दिनों तीन देशों की विदेश यात्रा पर हैं, जबकि नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी जर्मनी के दौरे पर हैं। ऐसे में सदन में सरकार ने जिन विधेयकों को पेश किया, उन पर विपक्ष की ओर से तीखी आपत्तियाँ दर्ज की गईं।

परमाणु ऊर्जा विधेयक: निजी कंपनियों की एंट्री पर विवाद

इन तीनों विधेयकों में सबसे अहम परमाणु ऊर्जा विधेयक (Atomic Energy Bill) माना जा रहा है। इस विधेयक को लोकसभा में राज्यमंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने पेश किया। सरकार का दावा है कि यह विधेयक देश में परमाणु ऊर्जा क्षेत्र के प्रमोशन और डेवलपमेंट के लिए लाया गया है।

हालाँकि विपक्ष का कहना है कि यह विधेयक परमाणु ऊर्जा जैसे अत्यंत संवेदनशील क्षेत्र में निजी कंपनियों को प्रवेश देने का रास्ता खोलता है, जो राष्ट्रीय सुरक्षा और सार्वजनिक हित के लिहाज़ से गंभीर चिंता का विषय है। विपक्ष ने इसे सरकार की कॉरपोरेट-परस्त नीतियों का विस्तार बताया।

विकसित भारत शिक्षा अधिष्ठान विधेयक 2025 पर विरोध

दूसरा अहम विधेयक विकसित भारत शिक्षा अधिष्ठान विधेयक 2025 है, जिसे शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने लोकसभा में पेश किया। विपक्ष ने इस विधेयक पर भी कड़ा एतराज़ जताया।

विपक्षी दलों का आरोप है कि यह विधेयक शिक्षा जैसे विषय में केंद्र सरकार के अत्यधिक हस्तक्षेप को बढ़ाता है और इससे देश के फेडरल स्ट्रक्चर यानी संघीय ढांचे को नुकसान पहुँच सकता है। विपक्ष का कहना है कि शिक्षा राज्यों का विषय है और इस तरह के क़ानून राज्यों के अधिकारों को कमजोर करते हैं।

निरसन और संशोधन विधेयक 2025

तीसरा विधेयक निरसन और संशोधन विधेयक 2025 है, जिसे संसदीय कार्य राज्य मंत्री अर्जुन मेघवाल ने लोकसभा में पेश किया। इस विधेयक के ज़रिये कुछ पुराने क़ानूनों को निरस्त करने और कुछ अन्य क़ानूनों में संशोधन का प्रस्ताव रखा गया है।

हालाँकि सरकार इसे एक तकनीकी और प्रशासनिक प्रक्रिया बताती है, लेकिन विपक्ष का कहना है कि इस तरह के विधेयकों के ज़रिये सरकार बिना पर्याप्त बहस के क़ानूनी ढाँचे में बड़े बदलाव कर रही है।

राज्यसभा में चुनाव सुधार पर चर्चा

इसी दिन राज्यसभा में चुनाव सुधार से जुड़े मुद्दों पर चर्चा हुई। यह चर्चा ऐसे समय में हुई है जब देश में मतदाता सूची, चुनाव प्रक्रिया और निर्वाचन आयोग की भूमिका को लेकर लगातार सवाल उठ रहे हैं।

लेकिन प्रधानमंत्री और नेता प्रतिपक्ष की अनुपस्थिति में लोकसभा में तीन अहम विधेयकों का पेश होना अपने आप में कई सवाल खड़े करता है—खासतौर पर तब, जब ये विधेयक परमाणु ऊर्जा, शिक्षा और क़ानूनी ढांचे जैसे संवेदनशील क्षेत्रों से जुड़े हों।

मुकुल सरल

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