✈️ अन्धेरनगरी चोपट राजा: मोनोपोली, मोदी सरकार और इंडिगो फ्लाइट संकट
देश के हवाई अड्डों से आने वाली तस्वीरें डराने वाली हैं। पूरा एवियेशन सिस्टम ध्वस्त-सा पड़ा है।
यात्रियों की चीख-पुकार, नारों का शोर, भारी भीड़, गुस्सा और निराशा — यह सब ठीक उसी समय हो रहा है जब दिल्ली में रूस के राष्ट्रपति मेहमान हैं और प्रधानमंत्री मोदी उनके स्वागत, फोटोशूट और डिनर में व्यस्त हैं। लेकिन देश में क्या चल रहा है?
भारत की सबसे बड़ी एयरलाइन, IndiGo, जिसका बाजार पर 60% से ज़्यादा कब्ज़ा है, ने अचानक यह घोषणा की कि दिल्ली से उसकी सभी उड़ानें — लगभग 1300 फ्लाइट्स — कैंसल की जा रही हैं।
इसके बाद जो दृश्य सामने आए, वह केवल संकट नहीं, बल्कि एक पूरी व्यवस्था के गिर जाने का सबूत हैं।
❗ किसकी ज़िम्मेदारी है यह कोहराम?
यह सवाल हर यात्री पूछ रहा है:
- एविएशन मिनिस्ट्री कहाँ है?
- संकट के समय सरकार गायब क्यों?
- यात्रियों के लिए कोई वैकल्पिक व्यवस्था क्यों नहीं?
तीन दिनों से लगातार खबरें थीं कि उड़ानें रद्द हो रही हैं।
लोग फँसे हैं, जिनको ज़रूरी यात्रा करनी थी, वे नहीं जा पा रहे।
लेकिन कोई जवाबदेही नहीं।
⚠️ DGCA के नए नियम और मोनोपोली का खेल
इस संकट की शुरुआत 1 नवंबर से लागू हुए DGCA के नए नियमों से होती है।
नियम साफ थे — यात्रियों की सुरक्षा और सुविधा के लिए:
- पर्याप्त क्रू
- विश्राम के घंटे
- पायलट युद्धक स्थिति में काम न करें
- समय पर फ्लाइट ऑपरेशन
IndiGo ने इन्हें मानने से इंकार कर दिया।
IndiGo कर्मचारियों का पत्र वायरल है —
वे हाथ जोड़कर यात्रियों से कह रहे हैं कि हमारी गलती नहीं, कंपनी हमारी सुनती ही नहीं।
💥 मोनोपोली कितनी खतरनाक होती है
यह वही मॉडल है जिसका गुणगान मोदी सरकार ने किया था:
“प्राइवेट, प्राइवेट, प्राइवेट ही सबसे बेहतर। सरकार को एयरलाइन क्यों चलानी?”
पर अब संकट में:
- सरकार के पास अपनी कोई एयरलाइन नहीं
- सबसे बड़ा खिलाड़ी IndiGo ही है
- उसने नियम नहीं माने
- क्रू और पायलट नहीं बढ़ाए
- लागत घटाई
- मुनाफ़ा निचोड़ा
आज उसकी मोनोपोली का दंश यात्री झेल रहे हैं।
📢 यात्रियों का प्रदर्शन, सरकार नदारद
देशभर के एयरपोर्ट पर प्रदर्शन।
लोग ज़मीन पर बैठे, नारे लगा रहे।
सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल।
सरकार का व्यवहार — पूर्ण अनुपस्थिति।
यह emergency सिचुएशन है।
लेकिन:
- कोई नियंत्रण कक्ष नहीं
- कोई समन्वय नहीं
- कोई सरकारी संवाद नहीं
📉 राहुल गांधी की चेतावनी सही साबित
पिछले साल नवंबर में राहुल गांधी ने लिखा था:
“A New Deal for Indian Business”
उनकी बात थी:
- मोनोपोली आम नागरिक को मार देगी
- बाज़ार में प्रतियोगिता खत्म होगी
- सरकार की मिलीभगत संकट पैदा करेगी
आज वही हुआ।
🎭 चरम विडम्बना: पुतिन स्वागत, देश अंधेरनगरी
एक तरफ़ देश में सायरन बज रहे हैं
दूसरी तरफ़ राजधानी में:
- स्वागत समारोह
- फोटोशूट
- भोज
टाइमिंग बताती है —
शासन का प्राथमिकता क्रम क्या है।
❓स्टेकहोल्डर्स से बात कब होगी?
जब DGCA नियम बना रहा था —
टिकट खरीदने वाले लोग, क्रू, पायलट, एयरपोर्ट प्रबंधन — किसी से बात नहीं हुई।
अब जो परिणाम सामने हैं:
- यात्री मजबूर
- एयरपोर्ट अराजक
- देश की प्रतिष्ठा धूल में
🔍 यह सिर्फ उड़ान संकट नहीं — शासन संकट है
मनोपोली मॉडल चुनाव आयोग में भी दिखा।
किसी को चुनौती नहीं।
निर्णय ऊपर से, जनता नीचे भुगते।
IndiGo का कोहराम सिर्फ एविएशन सेक्टर की विफलता नहीं,
बल्कि यह बताता है कि भारत में सार्वजनिक हित किस तरह सबसे आखिरी स्थान पर है।
✍️ निष्कर्ष
अन्धेरनगरी चोपट राजा
जब नियम नहीं माने जाते,
जब सरकार गायब रहती है,
जब पब्लिक सेक्टर को खत्म कर दिया जाता है,
जब मोनोपोली को बढ़ावा दिया जाता है —
तो परिणाम यही होता है:
- कोहराम
- त्राही-त्राही
- आम नागरिक की कीमत
IndiGo ने जो किया, वह सिर्फ एक कंपनी का निर्णय नहीं।
यह एक पूरे मॉडल की विफलता है।
आने वाले दिन इससे भी भारी हो सकते हैं।
क्योंकि अभी तक कोई योजना, कोई व्यवस्था, कोई जवाबदेही — नहीं दिखाई देती।
