October 6, 2025 2:33 pm
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दो साल की हिंसा के बाद क्या तीन घंटे की मौजूदगी काफी है?

पीएम मोदी का प्रस्तावित मणिपुर दौरा 13 सितंबर को है। लेकिन दो साल की हिंसा और अस्थिरता के बाद क्या तीन घंटे की मौजूदगी शांति ला पाएगी? नगा, मैतेई और कुकी समुदाय की नाराज़गी और कांग्रेस के सवालों पर गहन विश्लेषण।

PM मोदी के स्वागत को तैयार नहीं लहूलुहान मणिपुर!, दौरे से पहले पोस्टर-बैनर फाड़े

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का मणिपुर दौरा 13 सितंबर, शनिवार को प्रस्तावित है। लेकिन क्या यह दौरा वास्तव में होगा? और अगर हुआ भी, तो क्या यह मणिपुर के ज़ख्मों पर मरहम रख पाएगा? दो साल से हिंसा झेल रहे लोगों के बीच यह सवाल अब और तेज़ हो गया है।

क्या मोदी का दौरा सिर्फ प्रतीकात्मक है?

दौरे की समयसीमा महज़ तीन घंटे बताई जा रही है। क्या इतने लंबे समय तक अस्थिरता, मौतों और विस्थापन के बाद केवल तीन घंटे की मौजूदगी से हालात बदल सकते हैं? कांग्रेस ने सही सवाल उठाया है—क्या यह दौरा एक गंभीर पहल है या सिर्फ प्रतीकात्मक उपस्थिति?

नगा समुदाय का असंतोष क्यों नज़रअंदाज़?

अब तक मणिपुर संकट को मैतेई और कुकी संघर्ष तक सीमित माना जा रहा था। लेकिन अब नगा समुदाय भी खुलकर विरोध में आ गया है। यूनाइटेड नगा काउंसिल ने म्यांमार के साथ फ्री मूवमेंट रेजीम खत्म करने और सीमा पर बाड़ लगाने के खिलाफ 9 सितंबर से राजमार्गों पर व्यापार प्रतिबंध लगाया।
सवाल यह है कि—क्या प्रधानमंत्री इन असंतोषों को सीधे सुनेंगे? या यह मुद्दे सिर्फ कागज़ी वार्ताओं में सिमटकर रह जाएंगे?

भाजपा समर्थक मैतेई भी क्यों नाराज़?

मणिपुर का सबसे प्रभावशाली और भाजपा समर्थक माना जाने वाला मैतेई समुदाय अब सरकार से असंतुष्ट है। उन्होंने मोदी के आगमन पर ‘पूरा बंद’ का ऐलान किया है। तो सवाल उठता है—अगर अपने ही समर्थक सड़क पर उतरकर विरोध कर रहे हैं, तो यह दौरा किसके लिए है?

कुकी स्वागत करेंगे या नई नाराज़गी जन्म लेगी?

कुकी संगठनों के मंच कुकी जो काउंसिल ने दौरे का स्वागत किया है, लेकिन एक शर्त पर—अलग प्रशासन की मांग पर आश्वासन।
यहां सवाल है—क्या प्रधानमंत्री इतनी पुरानी मांग पर स्पष्ट रुख अपनाएंगे, या एक बार फिर भरोसे का सिर्फ भाषण देंगे?

विपक्ष की चुनौती और जनता की उम्मीदें

कांग्रेस ने पीएम से अपील की है कि वे सभी विधायकों से मिलें और हिंसा प्रभावित जिलों का दौरा करें। लेकिन कार्यक्रम में ऐसी कोई संभावना नहीं दिख रही।
तब एक बड़ा सवाल खड़ा होता है—क्या यह यात्रा सच में शांति बहाली की कोशिश होगी या केवल राजनीतिक औपचारिकता?

निष्कर्ष

दो साल से हिंसा झेल रहे मणिपुर की ज़मीन पर मोदी की यह संभावित यात्रा कई सवालों के घेरे में है।

  • क्या प्रधानमंत्री जनता से सीधा संवाद करेंगे?
  • क्या वह पीड़ित जिलों का दौरा करेंगे?
  • क्या नगा, कुकी और मैतेई की शिकायतों पर कोई ठोस कदम उठेगा?

अगर इन सवालों का जवाब नहीं मिलता, तो यह दौरा केवल राजनीतिक इवेंट भर रह जाएगा। लेकिन अगर शांति की ठोस पहल होती है, तो मणिपुर के लिए यह एक अहम मोड़ साबित हो सकता है।

मुकुल सरल

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