October 6, 2025 4:29 pm
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मां के नाम चुनावी आंसू! मोदीजी को बिहार जाकर क्यों रोना आया

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिहार चुनावी रैली में अपनी मा का अपमान होने की बात कहकर भावनात्मक अपील की। लेकिन क्या यह "Mother of All Cards" सचमुच वोटरों को प्रभावित करेगा, या फिर जनता अब तथ्यों की मांग करेगी?

क्या भावनात्मक कार्ड से है बिहार की बाज़ी पलटने की कोशिश?

बिहार की राजनीति हमेशा से पूरे देश में चर्चित रही है। यहाँ की जनता न सिर्फ़ भावनात्मक है बल्कि राजनीतिक समझ भी रखती है। इसी पृष्ठभूमि में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का हालिया बयान चर्चा का विषय बन गया है। उन्होंने कहा:

“मेरी मां का अपमान सिर्फ मेरी मां का अपमान नहीं, बल्कि पूरे देश की माताओं और बहनों का अपमान है।”

लेकिन इस बयान के पीछे छिपा राजनीतिक संदेश क्या है? क्या यह वास्तव में बिहार चुनाव में भाजपा के लिए भावनात्मक कार्ड साबित होगा?

मोदी जी के आँसू और बिहार चुनाव

मंच से गिरे आँसू

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब मंच पर यह बयान दे रहे थे तो उनकी आँखें भर आईं। सिर्फ़ वही नहीं, भाजपा नेता और कार्यकर्ता भी आंसू बहाने लगे। पूरा मंच मानो एक भावनात्मक लहर से भर गया।

भाजपा के लिए बिहार क्यों अहम है?

  • बिहार में भाजपा और उसके सहयोगियों की चुनावी साख दांव पर है।
  • जातीय समीकरण और विपक्षी एकता भाजपा के लिए चुनौती बने हुए हैं।
  • ऐसे में “मा का अपमान” का भावनात्मक कार्ड भाजपा को वोटरों के बीच सहानुभूति दिला सकता है।

FIR का सच: अपमान किसने किया?

मोदी जी ने अपने बयान में कांग्रेस और आरजेडी को दोषी ठहराया। लेकिन बिहार पुलिस की FIR में कहीं यह दर्ज नहीं है कि आरोपी किसी पार्टी का सदस्य था।

👉 यानी, FIR के अनुसार न तो यह कांग्रेस का कार्यकर्ता था और न ही आरजेडी का।
👉 फिर भी भाजपा इसे विपक्ष से जोड़ रही है।

“Mother of All Cards” — एक चुनावी हथियार

टेलीग्राफ की हेडलाइन

अंग्रेजी अख़बार Telegraph ने इस बयान को हेडलाइन दी:
“Mother of All Cards”

यानी इसे साफ़ तौर पर एक राजनीतिक कार्ड बताया गया है, जो सीधे चुनावी लाभ के लिए खेला गया है।

भावनात्मक अपील की राजनीति

यह कोई नई बात नहीं है। भारतीय राजनीति में भावनाओं का इस्तेमाल अक्सर वोटों के लिए किया जाता है। लेकिन सवाल यह है कि क्या जनता अब भी इसे स्वीकार करेगी?

महिलाओं के सम्मान पर दोहरे मापदंड

भाजपा नेताओं के विवादित बयान

प्रधानमंत्री ने मां के अपमान को राष्ट्रीय मुद्दा बना दिया। लेकिन सवाल उठता है कि क्या भाजपा ने कभी अपने नेताओं के अपमानजनक बयानों पर कार्रवाई की?

  • भाजपा नेताओं ने विपक्षी नेताओं की माताओं पर आपत्तिजनक टिप्पणी की।
  • “दिदी-ओ-दिदी” जैसी हुटिंग पर मोदी जी ने कभी आपत्ति नहीं जताई।

गंभीर केस, लेकिन चुप्पी

  • बिलकिस बानो केस: 2002 दंगों में बलात्कारियों को रिहा कर मिठाई खिलाई गई।
  • कुलदीप सेंगर: भाजपा विधायक, नाबालिग से बलात्कार का दोषी।
  • बृजभूषण शरण सिंह: महिला पहलवानों पर यौन शोषण के आरोप, फिर भी राजनीतिक संरक्षण।
  • राम रहीम और आसाराम बापू: बलात्कार के दोषी, लेकिन भाजपा नेताओं से नज़दीकी।

👉 क्या इन घटनाओं पर भी प्रधानमंत्री ने कभी मा के नाम पर भावनात्मक अपील की?

विपक्ष का हमला

नेहा सिंह राठौर का सवाल

भोजपुरी गायिका नेहा सिंह राठौर ने गाने के अंदाज़ में पूछा:

“मोदी जी, जब मणिपुर में महिलाओं को नंगा कर घुमाया गया तब आपके आँसू कहाँ थे?”

प्रियंका भारती की दबंग आवाज़

आरजेडी प्रवक्ता प्रियंका भारती ने कहा:

  • मा का अपमान सिर्फ मोदी जी की मा का अपमान नहीं है।
  • भाजपा नेताओं ने दलित महिला नेता सरिका पासवान तक का अपमान किया।
  • क्या भाजपा ने कभी उनके सम्मान की रक्षा की?

बिहार की जनता क्या सोचेगी?

भावनात्मक राजनीति बनाम असली मुद्दे

बिहार की जनता भावुक है, लेकिन वह यह भी जानती है कि चुनाव असली मुद्दों पर लड़े जाते हैं।

  • 65 लाख वोटर लिस्ट से हटाए गए।
  • बेरोज़गारी चरम पर है।
  • महँगाई जनता को तोड़ रही है।

👉 ऐसे में क्या सिर्फ मा के नाम पर आँसू बहाने से जनता प्रभावित होगी?

निष्कर्ष

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मा का अपमान निंदनीय है और किसी भी सभ्य समाज में इसकी जगह नहीं होनी चाहिए। लेकिन जब बाकी महिलाओं और बेटियों के अपमान पर सरकार चुप रहती है, तब सवाल उठना लाज़मी है।

👉 क्या मा सिर्फ मोदी जी की मा हैं, या फिर इस देश की हर महिला मा है?
👉 क्या भावनात्मक कार्ड से चुनावी बाज़ी पलटेगी या बिहार की जनता इस बार जवाब वोट से देगी?

भाषा सिंह

1971 में दिल्ली में जन्मी, शिक्षा लखनऊ में प्राप्त की। 1996 से पत्रकारिता में सक्रिय हैं।
'अमर उजाला', 'नवभारत टाइम्स', 'आउटलुक', 'नई दुनिया', 'नेशनल हेराल्ड', 'न्यूज़क्लिक' जैसे
प्रतिष्ठित मीडिया संस्थानों

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