October 6, 2025 4:41 pm
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‘फोटोशूट डिप्लोमेसी’: असली संकट की अनदेखी

ट्रंप टैरिफ़ से भारत पर गहरा संकट, 20 लाख नौकरियाँ खतरे में। मोदी सरकार फोटोशूट में व्यस्त, लेकिन समाधान कहाँ है?

शी+पुतिन से नई दोस्ती ठीक, पर old दोस्त ट्रंप की टैरिफ मार से कैसे निपटेंगे मोदी

2 सितंबर को भारत का मीडिया केवल एक मुद्दे पर फोकस कर रहा था—प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का रूस और चीन के राष्ट्रपतियों से हाथ मिलाना और अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को “मिर्ची लगाना”। लेकिन असली सवाल यह है कि 140 करोड़ भारतीयों पर मंडरा रहे 50% अमेरिकी टैरिफ़ संकट का क्या होगा?

1. मीडिया का फोकस: फोटोशूट, असली मुद्दे गायब

  • अखबार और टीवी चैनल सिर्फ इस बात पर केंद्रित कि मोदी ने पुतिन और शी जिनपिंग से कैसे हाथ मिलाया।
  • सच्चाई: इस पूरे “फील गुड” नैरेटिव में 50% अमेरिकी टैरिफ़ का जिक्र तक नहीं।
  • यही टैरिफ़ भारत की अर्थव्यवस्था और करोड़ों नौकरियों को हिला रहा है।

2. ट्रंप का टैरिफ़: भारत पर सबसे बड़ा संकट

  • अमेरिका ने भारत के निर्यात पर 50% टैरिफ़ लगाया।
  • सीधा असर:
    • टेक्सटाइल, लेदर, डायमंड, सिरेमिक जैसे श्रम-प्रधान उद्योग बुरी तरह प्रभावित।
    • ऑर्डर कैंसल, फैक्ट्रियाँ बंद, लाखों मजदूर बेरोज़गार।
  • पूर्व RBI गवर्नर रघुराम राजन का बयान: 20 लाख नौकरियाँ खतरे में, GDP पर गहरा असर।

3. ‘नया वर्ल्ड ऑर्डर’ बनाम हकीकत

  • मोदी सरकार और समर्थक इस बैठक को “नया वर्ल्ड ऑर्डर” बता रहे हैं।
  • लेकिन सवाल यह है:
    • क्या चीन और रूस भारत का निर्यात खरीदेंगे?
    • क्या पाकिस्तान और तुर्की जैसे देशों से रिश्ते सुधर गए?
  • असली कूटनीतिक संतुलन गायब, सिर्फ फोटो-ऑप पर ध्यान।

4. उद्योग जगत की हकीकत

  • टेक्सटाइल: तैयार कपड़ों का निर्यात घटा, फैक्ट्रियाँ रो रही हैं।
  • लेदर: कोलकाता, कानपुर, अम्बूर क्लस्टर पर गहरा असर।
  • डायमंड: सूरत और मुंबई के कारोबारी तबाह।
  • सिरेमिक (गुजरात): मंदी से बड़े पैमाने पर नुकसान।
  • कुल असर: छोटे उद्योगपति और मज़दूर तबाह, लेकिन सरकार का ध्यान “इमेज मैनेजमेंट” पर।

5. अंबानी-अडानी अपवाद: किसे फायदा हो रहा है?

  • ट्रंप टैरिफ से जहां ज्यादातर उद्योग प्रभावित, वहीं रिलायंस इंडस्ट्रीज को कोई नुकसान नहीं।
  • कारण:
    • रिलायंस मुख्य रूप से एनर्जी प्रोडक्ट्स का निर्यात करता है, जिन्हें टैरिफ से छूट मिली है।
    • रूस से सस्ता तेल खरीदकर रिलायंस ने अरबों डॉलर कमाए।
  • परिणाम: आम जनता को महँगा तेल, लेकिन कॉर्पोरेट्स को बंपर मुनाफ़ा।

6. रघुराम राजन का समाधान

  • सरकार को सलाह:
    • रूस से तेल खरीदकर मुनाफ़ा कमाने वाली कंपनियों पर विंडफॉल टैक्स लगाया जाए।
    • इस टैक्स से प्राप्त राशि का उपयोग भारतीय निर्यातकों और छोटे उद्योगों की मदद के लिए किया जाए।
  • यानी संकट का समाधान संभव है, बशर्ते सरकार कॉर्पोरेट हितों से ऊपर उठकर फैसले ले।

7. जनता के लिए संकट गहरा

  • महँगाई बढ़ी, नौकरियाँ जा रही हैं।
  • निर्यात घटा, रुपया कमजोर।
  • मोदी सरकार की “फोटोशूट डिप्लोमेसी” इस संकट का समाधान नहीं।

निष्कर्ष

भारत का मीडिया और सत्ता प्रतिष्ठान ट्रंप को “मिर्ची” लगाने वाली तस्वीरों और वीडियो में व्यस्त है। लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि 20 लाख से अधिक नौकरियाँ खतरे में हैं और छोटे उद्योग बर्बाद हो रहे हैं। अगर सरकार ने तत्काल ठोस कदम नहीं उठाए, तो यह संकट भारत की अर्थव्यवस्था को लंबे समय तक पंगु बना देगा।

भाषा सिंह

1971 में दिल्ली में जन्मी, शिक्षा लखनऊ में प्राप्त की। 1996 से पत्रकारिता में सक्रिय हैं।
'अमर उजाला', 'नवभारत टाइम्स', 'आउटलुक', 'नई दुनिया', 'नेशनल हेराल्ड', 'न्यूज़क्लिक' जैसे
प्रतिष्ठित मीडिया संस्थानों

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