इस्राइल का ‘E1 सेटलमेंट प्लान’ जमीन पर, पश्चिमी देशों का ड्रामा एक्सपोज
इस्राइल ने एक बार फिर गाज़ा और पूरे फ़िलिस्तीन को मिटाने की योजना का खुला नक्शा दुनिया के सामने रख दिया है। प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू और उनके सहयोगी मंत्री खुलेआम ऐलान कर रहे हैं कि अब फ़िलिस्तीन का नाम ‘टेबल से मिटा दिया जाएगा’। यह केवल बयानबाज़ी नहीं, बल्कि ज़मीन पर उतर चुका E1 सेटलमेंट प्रोजेक्ट है—जो पश्चिमी तट को काटकर नए इस्राइली उपनिवेश बसाने की योजना है।
गाज़ा पर युद्ध और जनसंहार
अक्टूबर 2023 से अब तक गाज़ा में जारी इस्राइली हमले को कई अंतरराष्ट्रीय संगठन “जनसंहार (Genocide)” कह रहे हैं।
- 1.3 लाख से अधिक सैनिकों को गाज़ा में तैनात किया गया है।
- अस्पतालों, स्कूलों और राहत केंद्रों पर हमले हुए हैं।
- संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, लाखों लोग भूख और दवाइयों की कमी से मरने के कगार पर हैं।
- अब तक 65,000 से अधिक मौतें और डेढ़ लाख से ज़्यादा घायल दर्ज किए जा चुके हैं।
पत्रकारों और डॉक्टरों तक को निशाना बनाया गया है। अल-जज़ीरा और अन्य स्वतंत्र मीडिया संस्थानों के कई संवाददाताओं की हत्या कर दी गई है।
E1 प्लान और नक्शे की राजनीति
हाल ही में इस्राइल के वित्त मंत्री बेज़ालेल स्मोट्रिच ने हाथ में वह नक्शा उठाकर दिखाया जिसमें E1 सेटलमेंट प्लान अंकित था। यह योजना पश्चिमी तट (West Bank) को दो हिस्सों में बाँट देगी, जिससे फ़िलिस्तीन राज्य की कोई भौगोलिक निरंतरता नहीं बचेगी।
स्मोट्रिच का साफ़ बयान था:
“हम फ़िलिस्तीन को नारेबाज़ी से नहीं, बल्कि कार्रवाई से टेबल से मिटा रहे हैं।”
पश्चिमी देशों और अमेरिका की भूमिका
ग़ौर करने वाली बात है कि अमेरिका और यूरोप ने रूस-यूक्रेन युद्ध में सैंकड़ों प्रतिबंध लगाए, लेकिन गाज़ा पर इस्राइल के हमलों पर चुप्पी साधी हुई है।
- अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प खुलेआम नेतन्याहू का समर्थन कर रहे हैं।
- पश्चिमी मीडिया इस्राइल के अपराधों को “रक्षा अभियान” बताकर पेश कर रहा है।
- वहीं, फ़िलिस्तीन के समर्थन में ऑस्ट्रेलिया, ब्रिटेन, फ्रांस, बेल्जियम, कनाडा समेत कई देशों में लगातार विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं।
मानवीय संकट की भयावहता
- 20 लाख से अधिक लोग गाज़ा में फंसे हुए हैं।
- पांच महीने से ज़्यादा समय से राहत सामग्री की एंट्री पर पाबंदी है।
- हज़ारों बच्चे कुपोषण और भूख से मर रहे हैं।
- डॉक्टर बिना दवाइयों और उपकरणों के इलाज कर रहे हैं।
मानवाधिकार संगठनों का कहना है कि यह “इतिहास में पहली बार लाइव-स्ट्रीम किया गया जनसंहार” है।
निष्कर्ष
आज जब पूरी दुनिया आँखों के सामने गाज़ा में बच्चों की मौत देख रही है, तब भी सत्ता और साम्राज्य की राजनीति इंसानियत से बड़ी नज़र आ रही है।
फ़िलिस्तीन को नक्शे से मिटाने की यह साज़िश केवल एक भूगोल का सवाल नहीं, बल्कि मानवता के अस्तित्व का प्रश्न है।