नया इनकम टैक्स बिल 2025: डिजिटल दरोगा या निजता पर हमला
मोदी सरकार ने संसद में नया इनकम टैक्स बिल 2025 पास करवा लिया है। इसे “आधुनिक और पारदर्शी टैक्स व्यवस्था” के नाम पर पेश किया गया, लेकिन असली सवाल यह है कि क्या यह कानून टैक्स सुधार है या फिर नागरिकों की निजता पर सीधा हमला?
सरकार कह रही है कि यह बिल डिजिटल युग में टैक्स चोरी रोकने के लिए ज़रूरी है। लेकिन विपक्ष, नागरिक संगठनों और विशेषज्ञों का मानना है कि यह क़ानून हर नागरिक पर एक डिजिटल दरोगा बैठा देगा—जो बिना आपकी इजाजत आपके ईमेल, क्लाउड, सोशल मीडिया और मैसेजिंग ऐप्स तक घुसपैठ कर सकता है।
कैसे पास हुआ बिल?
- 11 अगस्त को लोकसभा में और 12 अगस्त को राज्यसभा में विपक्ष की गैर-मौजूदगी में यह बिल ध्वनिमत से पारित कर दिया गया।
- न कोई बहस, न वोटिंग, न गंभीर चर्चा।
- विपक्ष ने विरोध किया, लेकिन वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मौके का फायदा उठाकर बिल पास करा लिया।
- कांग्रेस, समाजवादी पार्टी और अन्य विपक्षी नेताओं ने इसे लोकतंत्र और नागरिक स्वतंत्रता के लिए “खतरनाक” कहा।
बिल का सबसे विवादास्पद हिस्सा: सेक्शन 247
नए इनकम टैक्स बिल का अध्याय “पावर” (अधिकार शक्तियां) सबसे ज़्यादा विवादित है।
- पहले कानून के तहत अधिकारी केवल तिजोरी, लॉकर या दस्तावेज़ की तलाशी ले सकते थे।
- अब नया प्रावधान कहता है कि अगर कंप्यूटर सिस्टम, क्लाउड या सोशल मीडिया अकाउंट का पासवर्ड उपलब्ध न हो, तो अधिकारी उसे ओवरराइड करके एक्सेस कर सकते हैं।
- यानी आयकर अधिकारी अब आपकी डिजिटल जिंदगी के हर हिस्से तक पहुँच सकते हैं।
सरकार का तर्क
वित्त मंत्रालय कह रहा है कि:
- डिजिटल लेनदेन और संपत्ति छिपाने के मामलों में सबूत इकट्ठा करने के लिए यह ज़रूरी है।
- व्हाट्सएप, इंस्टाग्राम, गूगल मैप या क्लाउड डेटा जैसी डिजिटल जानकारी टैक्स चोरी पकड़ने में मददगार हो सकती है।
क्यों है विवाद?
विशेषज्ञ और नागरिक संगठन इसे संवैधानिक अधिकारों पर हमला मानते हैं:
- निजता (Privacy) को सुप्रीम कोर्ट ने मौलिक अधिकार (अनुच्छेद 21) माना है।
- डिजिटल एक्सेस का यह अधिकार बिना न्यायिक अनुमति के दिया गया है।
- यह कानून आर्टिकल 19 (अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता) और डेटा प्रोटेक्शन अधिकारों का उल्लंघन कर सकता है।
- आदेश न मानने पर दो साल की सजा का भी प्रावधान है।
सत्ता के औज़ार बन चुके जांच एजेंसियां
ED और CBI पहले ही विपक्ष को दबाने के औज़ार माने जा रहे हैं।
- हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने ED को “बदमाश की तरह काम” करने पर फटकार लगाई।
- CBI को भी कई बार “पिंजरे का तोता” कहा गया।
- अब आयकर विभाग को भी डिजिटल घुसपैठ की शक्तियां देकर वही रास्ता खोल दिया गया है।
निष्कर्ष
नया इनकम टैक्स बिल 2025 टैक्स सुधार से ज़्यादा डिजिटल निगरानी का उपकरण लगता है। यह कानून आम नागरिक को शक की नज़र से देखता है और सरकारी अधिकारियों को मनमानी घुसपैठ का लाइसेंस देता है।
सवाल यह है कि क्या टैक्स चोरी रोकने के नाम पर सरकार हर नागरिक की निजता की बलि चढ़ाने को तैयार है? और क्या हम अब सचमुच उस दौर में प्रवेश कर चुके हैं, जहां “कुछ भी हमारा निजी नहीं”?