October 6, 2025 8:16 am
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सोनम वांगचुक की गिरफ्तारी से आएगा लद्दाख की राजनीति में नया तूफ़ान

लद्दाख में सोनम वांगचुक की गिरफ्तारी से नया राजनीतिक संकट। शांतिपूर्ण आंदोलन को दबाने की कोशिश, फेक न्यूज़ और बीजेपी आईटी सेल की भूमिका पर बड़ा सवाल।

पहले से अशांत इलाके में आग में क्यों घी डाल रही है केंद्र की मोदी सरकार!

अखिरकार वही हुआ जिसका डर था—लद्दाख के प्रख्यात पर्यावरणविद और वैज्ञानिक सोनम वांगचुक को गिरफ्तार कर लिया गया है। यह गिरफ्तारी न सिर्फ लद्दाख की राजनीति में नया उबाल लेकर आई है बल्कि पूरे क्षेत्र को अस्थिरता की ओर धकेलने वाली घटना साबित हो सकती है।

गिरफ्तारी का राजनीतिक असर

सोनम वांगचुक लंबे समय से यह आशंका जता रहे थे कि सरकार उन्हें निशाना बना सकती है। लेह में हाल के दिनों में जो GenZ आंदोलन (GenZ Protest) हुआ था, उसमें उनका सीधा संबंध साबित नहीं हुआ, बावजूद इसके शांतिपूर्ण आंदोलन को कुचलने की तैयारी पहले से की जा रही थी।

  • यह गिरफ्तारी लद्दाख के लोगों की संवैधानिक मांगों—छठी अनुसूची (Sixth Schedule) में शामिल करने और राज्य का दर्जा बहाल करने—को और भी मज़बूती से सामने लाती है।
  • सवाल यह भी उठ रहा है कि क्या मोदी सरकार लद्दाख को दूसरा मणिपुर बनाना चाहती है?

फेक न्यूज़ और बीजेपी आईटी सेल की भूमिका

गिरफ्तारी के साथ ही पूरा विवाद फेक न्यूज़ इंडस्ट्री के इर्द-गिर्द भी घूम रहा है।

  • बीजेपी आईटी सेल प्रमुख अमित मालवीय ने एक्स (Twitter) पर दावा किया कि आंदोलन में कांग्रेस काउंसलर फूटस्ट्रॉन्ग शामिल थे।
  • बाद में खुद उस व्यक्ति ने वीडियो जारी कर कहा कि उसका आंदोलन से कोई लेना-देना नहीं है और वह मानहानि का मुकदमा करेगा।
  • सोनम वांगचुक ने भी साफ कहा कि यह फेक न्यूज़ है, जिसे आंदोलन को बदनाम करने के लिए फैलाया गया।

यह सवाल और गंभीर हो जाता है कि जब फर्जी खबर से किसी निर्दोष नागरिक और उसके परिवार को निशाना बनाया गया तो इसकी कीमत कौन चुकाएगा?

मीडिया और प्रोपेगेंडा का खेल

मीडिया ने बिना जांच किए यह खबर फैलाई कि आंदोलन में कश्मीरी, नेपाली और बाहरी लोग शामिल हैं। हकीकत यह है कि एक मजदूर जो काम के सिलसिले में लेह आया था, हिंसा का शिकार हुआ और इलाज करा रहा है। लेकिन गोदी मीडिया ने उसे विदेशी तत्व करार दे दिया।

सोनम वांगचुक पर सरकार की कार्रवाई

सोनम वांगचुक न सिर्फ पर्यावरणविद हैं बल्कि 100 से अधिक पेटेंट्स वाले अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त वैज्ञानिक हैं।

  • उनकी संस्था का FCRA लाइसेंस रद्द कर दिया गया।
  • विदेश से मिली चंदे की रकम, जो सेवाओं के बदले आई थी, उसे संदिग्ध बताकर निशाना बनाया गया।
  • यह वही सोनम वांगचुक हैं जिन्होंने 2019 में अनुच्छेद 370 हटाए जाने पर मोदी सरकार का समर्थन किया था।

लद्दाखियों की नाराज़गी

आज लद्दाख के लोग पूछ रहे हैं:

  • मोदी सरकार उनकी संवैधानिक मांगों को क्यों नहीं मान रही?
  • फेक न्यूज़ और बदनाम करने की राजनीति क्यों चलाई जा रही है?
  • क्या आंदोलनकारी जनता को देशद्रोही और अपराधी साबित करने की साजिश हो रही है?

निष्कर्ष

सोनम वांगचुक की गिरफ्तारी शांतिपूर्ण आंदोलन पर कुठाराघात है। यह केवल एक व्यक्ति की गिरफ्तारी नहीं, बल्कि लद्दाखियों की आवाज़ को दबाने का प्रयास है। फर्जी खबरों और आईटी सेल की प्रोपेगेंडा मशीनरी ने इसे और खतरनाक बना दिया है। अगर यह सिलसिला जारी रहा तो लद्दाख को और अधिक अस्थिरता की ओर धकेल दिया जाएगा, जो पूरे देश के लिए भी खतरनाक संकेत है।

भाषा सिंह

1971 में दिल्ली में जन्मी, शिक्षा लखनऊ में प्राप्त की। 1996 से पत्रकारिता में सक्रिय हैं।
'अमर उजाला', 'नवभारत टाइम्स', 'आउटलुक', 'नई दुनिया', 'नेशनल हेराल्ड', 'न्यूज़क्लिक' जैसे
प्रतिष्ठित मीडिया संस्थानों

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