सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद नफरत की राजनीति क्यों?
11 जुलाई से कांवड़ यात्रा शुरू होने जा रही है। लेकिन यात्रा शुरू होने से पहले ही धर्म के नाम पर हिंसा और धमकी का खेल शुरू हो गया है।
उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर के नई मंडी इलाके में हालिया घटना इसका ताज़ा उदाहरण है।
📌 क्या हुआ?
- एक हिंदू संगठन की भीड़ वैष्णो ढाबे पर पहुंची।
- कर्मचारियों से उनका धर्म पूछा, धमकाया, गालीगलौज की।
- खुद वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर डाला, यह कहकर कि वे धर्म की रक्षा कर रहे हैं।
- पुलिस ने अभी तक सिर्फ नोटिस जारी किया है, कोई गिरफ्तारी नहीं हुई।
🗣️ “हिंदू से धर्म पूछ कर मारना आतंकवाद है, तो मुसलमान से धर्म पूछ कर अपमान करना क्या है?”
यह सवाल समाजवादी पार्टी के नेता इमरान मसूद समेत कई लोग पूछ रहे हैं।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद कांवड़ यात्रा के रूट पर दुकानों, ढाबों, होटलों से मालिक और कर्मचारियों के धर्म की जानकारी मांगने का ट्रेंड तेज हो रहा है।
⚠️ सुप्रीम कोर्ट का आदेश क्या कहता है?
पिछले साल जुलाई 2024 में सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड सरकारों के उस आदेश पर रोक लगाई थी, जिसमें कहा गया था:
कांवड़ रूट पर सभी दुकानों पर मालिक और कर्मचारियों के नाम व धर्म की नेम प्लेट लगाना अनिवार्य होगा।
🔴 स्टेटस:
यह रोक अभी भी लागू है। कोर्ट ने अंतिम फैसला नहीं दिया। यानी किसी सरकार को यह अधिकार नहीं कि वह धर्म के आधार पर नेम प्लेट लगाने को बाध्य करे।
👤 मुख्य किरदार: कौन है यशवीर महाराज?
- वह व्यक्ति जिसके नेतृत्व में यह घटना हुई।
- पिछले कुछ सालों से मुसलमानों के खिलाफ ‘घर वापसी’ और 100% सनातनी मार्ग बनाने का अभियान चला रहा है।
- सुप्रीम कोर्ट, संविधान – किसी का डर नहीं।
- कांवड़ यात्रा को हिंदू-मुस्लिम ध्रुवीकरण का हथियार बना रहा है।
💬 राजनीतिक प्रतिक्रियाएं
🔹 नेता | बयान |
स्टी हसन (सपा) | “यह वही आतंकवाद है, जैसे पहलगाम में हिंदुओं से धर्म पूछ कर मार दिया गया।” |
इमरान मसूद (कांग्रेस सांसद) | “हर साल मुस्लिम इलाके कांवड़ियों का स्वागत करते हैं, फिर यह नफरत क्यों?” |
ओवैसी (AIMIM) | “शिव का नाम इस्तेमाल कर रहे हैं नफरत फैलाने के लिए।” |
📰 मीडिया की भूमिका
घटना को “मुस्लिमों का अपराध” बताकर पेश किया जा रहा है।
उन लोगों के खिलाफ कोई कड़ी कार्रवाई नहीं, जिन्होंने:
- खुद वीडियो बनाया
- सोशल मीडिया पर वायरल किया
- भीड़ को उकसाया
🛑 क्या यह शिवभक्ति है या संविधान पर हमला?
सवाल यह है कि क्या यूपी और उत्तराखंड की सरकारें सुप्रीम कोर्ट के आदेश का सम्मान करेंगी?
- योगी आदित्यनाथ (UP CM) और पुष्कर सिंह धामी (UK CM) ने अब तक इस रोक के बावजूद टीमों का गठन किया है, जो दुकानों की जांच करेगी।
- लेकिन जांच का अधिकार किसके पास होगा?
- प्रशासन या पुलिस?
- या भीड़ खुद तय करेगी कौन हिंदू है, कौन मुसलमान?
🚨 रामराज्य या डर का माहौल?
योगी मॉडल में यह नया ट्रेंड दिख रहा है –
- धार्मिक पहचान की जांच
- सार्वजनिक अपमान
- संविधान और सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवहेलना
क्या यह शिवभक्ति का उदाहरण है? या नफरत की राजनीति का वीभत्स चेहरा?