ट्रंप का खुलासा और मोदी सरकार की चुप्पी: क्या है जिसकी पर्देदारी है?
भारत और अमेरिका के बीच चल रही ट्रेड डील पर एक बड़ा सवाल उठ खड़ा हुआ है – आखिर मोदी जी चुप क्यों हैं और ट्रम्प बोल क्यों रहे हैं? यह सवाल इसलिए अहम है क्योंकि दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र का प्रधानमंत्री देश की जनता को इस डील के बारे में कोई जानकारी नहीं दे रहा, जबकि अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प खुलकर इसके ब्योरे दे रहे हैं।
ट्रम्प ने हाल ही में कहा कि भारत के साथ उनकी ट्रेड डील “इंडोनेशिया के साथ हुई डील जैसी होगी”। उन्होंने इंडोनेशिया को अपनी मुट्ठी में लेने जैसी भाषा का इस्तेमाल किया और बताया कि किस तरह उन्होंने पहले इंडोनेशिया को धमकाया – 32% टैरिफ लगाने की चेतावनी दी, फिर समझौते के बाद 19% पर मान गए। ट्रम्प के मुताबिक, इसी तर्ज पर भारत के साथ भी डील होगी जिसमें भारत को अमेरिकी कृषि उत्पाद और दवाइयों के लिए अपना बाजार पूरी तरह खोलना होगा।
भारत की चुप्पी क्यों?
मोदी सरकार की चुप्पी पर सवाल इसलिए और गंभीर हो जाते हैं क्योंकि:
- तीन कृषि कानूनों की वापसी के बावजूद अमेरिकी दबाव
अमेरिकी कंपनियां भारतीय कृषि बाजार में पूरी घुसपैठ चाहती हैं। ट्रम्प की डील का सीधा मतलब है – भारतीय किसानों का विनाश और अमेरिकी कृषि उत्पादों की भरमार। - भारतीय दवा उद्योग पर खतरा
भारत की फार्मा इंडस्ट्री विश्व में सबसे सस्ती और असरदार दवाइयों के लिए जानी जाती है। अमेरिका चाहता है कि भारतीय दवाओं पर भारी टैक्स लगाया जाए ताकि उनकी महंगी दवाइयां बाजार में बेची जा सकें। ट्रम्प ने साफ कहा – “पहले थोड़ा टैक्स लगाएंगे, एक साल बाद बहुत ज्यादा टैक्स लगा देंगे।” - मोदी सरकार की खतरनाक चुप्पी
ट्रम्प के हर खुलासे पर मोदी सरकार का मौन रहना यह संकेत दे रहा है कि कहीं न कहीं अंदरखाने ऐसी शर्तें मान ली गई हैं जिनसे भारत की अर्थव्यवस्था और संप्रभुता पर सीधा हमला होगा।
इंडोनेशिया जैसी डील का भारत पर असर
इंडोनेशिया ने ट्रम्प के दबाव में 15 अरब डॉलर की अमेरिकी एनर्जी और 4.5 अरब डॉलर के कृषि उत्पाद खरीदने की डील की। अगर भारत भी यही रास्ता अपनाता है तो:
- भारतीय किसानों के उत्पादों की कीमत और मांग दोनों गिरेंगी
- अमेरिकी GMO फसलें और कृषि कंपनियां भारतीय बाजार पर कब्जा कर लेंगी
- दवाइयां महंगी होंगी और आम जनता के इलाज का खर्च दुगुना-तिगुना होगा
ट्रम्प की भाषा और भारत की गरिमा
ट्रम्प की यह बात कि “इंडोनेशिया की तरह भारत भी झुकेगा” न सिर्फ अपमानजनक है, बल्कि भारत की संप्रभुता पर सीधा हमला भी है। हैरानी की बात यह है कि प्रधानमंत्री मोदी, जिनके ‘56 इंच’ का सीना चुनावी सभाओं में गूंजता है, इस पर कुछ नहीं बोल रहे।
क्या संसद में होगा खुलासा?
संसद का सत्र जुलाई के अंत में शुरू होगा। उम्मीद की जा रही है कि विपक्ष इस मुद्दे को जोरशोर से उठाएगा। सवाल साफ है – क्या मोदी सरकार ने देश की खेती और दवाइयों के बाजार को अमेरिकी कंपनियों के हवाले करने का समझौता कर लिया है? अगर ऐसा है तो यह सिर्फ अर्थव्यवस्था नहीं, बल्कि देश की संप्रभुता और संविधान के खिलाफ साजिश होगी।