PMO फाइल्स की आहट? मोदी सरकार पर भ्रष्टाचार के नए आरोपों से क्यों घबराई BJP
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके कार्यालय—यानी PMO—को सीधे निशाने पर लेकर कांग्रेस आखिर क्या हासिल करना चाहती है? क्या यह महज़ एक राजनीतिक हमला है, या फिर वाकई PMO फाइल्स के नाम पर किसी बड़े खुलासे की तैयारी हो चुकी है?
दिल्ली में कांग्रेस के तीखे प्रवक्ता पवन खेड़ा की प्रेस कॉन्फ्रेंस ने इस सवाल को और गहरा कर दिया है। जिस तरह से एक के बाद एक नाम, फाइलें, रिपोर्ट और संदर्भ सामने रखे गए, उससे साफ है कि कांग्रेस किसी एक व्यक्ति नहीं, बल्कि पूरी सत्ता संरचना को कठघरे में खड़ा करना चाहती है।
PMO की परछाईं में ‘हीरेन’, ‘जंगल बुक’ और ‘नवनीत सेहगल’
पवन खेड़ा ने जिस कहानी का ताना-बाना बुना, उसमें तीन प्रतीक बार-बार उभरते हैं— हीरेन, जंगल बुक और PMO।
सबसे पहले ज़िक्र हुआ हीरेन जोशी का—वही अधिकारी जिन्हें प्रधानमंत्री मोदी का “बायां हाथ और दायां हाथ” कहा जाता रहा है। कांग्रेस पहले भी उन पर सवाल उठा चुकी है, ‘बैटिंग ऐप’ से लेकर सत्ता के भीतर उनकी भूमिका तक।
लेकिन इस बार फोकस शिफ्ट हुआ है नवनीत सेहगल पर।
नवनीत सेहगल, उत्तर प्रदेश के रिटायर्ड IAS अधिकारी, जिनके बारे में हाल ही में न्यूज़लॉन्ड्री ने बड़ा खुलासा किया। रिपोर्ट के मुताबिक, उत्तर प्रदेश सरकार की एक गोपनीय जांच रिपोर्ट में सेहगल के खिलाफ बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार के तथ्य दर्ज थे।
यह रिपोर्ट न सिर्फ दबा दी गई, बल्कि कभी सार्वजनिक ही नहीं होने दी गई।
सवाल सीधा है—
अगर आरोप इतने गंभीर थे, तो कार्रवाई क्यों नहीं हुई?
और अगर रिपोर्ट झूठी थी, तो उसे छुपाने की ज़रूरत क्यों पड़ी?
गोपनीय रिपोर्ट, सार्वजनिक सवाल
कांग्रेस का दावा है कि उत्तर प्रदेश सरकार की यह गोपनीय रिपोर्ट बताती है कि किस तरह सत्ता के संरक्षण में भ्रष्टाचार को ढका गया।
बार-बार यही दोहराया गया कि रिपोर्ट में तथ्यों, दस्तावेज़ों और सबूतों का ज़िक्र था—फिर भी वह फाइल बंद रही।
अब कांग्रेस उसी “बंद फाइल” को खोलने की बात कर रही है।
यहीं से PMO फाइल्स का नैरेटिव जन्म लेता है।
दुष्यंत कुमार गौतम और उत्तराखंड सेक्स स्कैंडल
इस पूरे घटनाक्रम में एक और नाम जोड़ा गया है—दुष्यंत कुमार गौतम।
उत्तराखंड में सामने आए सेक्स स्कैंडल के बाद कांग्रेस ने दावा किया कि गौतम न सिर्फ बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव हैं, बल्कि उनका सीधा संबंध प्रधानमंत्री कार्यालय से बताया जा रहा है।
वीडियो जारी कर कांग्रेस यह संकेत देने की कोशिश कर रही है कि यह महज़ राज्य स्तर का मामला नहीं, बल्कि केंद्र की सत्ता से जुड़ी राजनीतिक संरचना का हिस्सा है।
कांग्रेस की रणनीति: कहानी नहीं, सिस्टम पर हमला
यह साफ दिखता है कि कांग्रेस किसी एक आरोप या एक चेहरे पर नहीं रुक रही।
हीरेन जोशी, नवनीत सेहगल और दुष्यंत कुमार गौतम—इन सबको जोड़कर एक बड़ी तस्वीर पेश की जा रही है।
यह तस्वीर कहती है कि:
- भ्रष्टाचार सिर्फ निचले स्तर पर नहीं है
- गोपनीय रिपोर्टें दबाई जा रही हैं
- और PMO की भूमिका पर सवाल पूछना “राष्ट्रविरोधी” नहीं, बल्कि लोकतांत्रिक ज़िम्मेदारी है
क्या खुलेंगी PMO फाइल्स?
कांग्रेस यह संकेत दे चुकी है कि उसके पास अभी और जानकारियाँ हैं।
कई परतें हैं, जो अभी खोली जानी बाकी हैं।
सूचनाएँ लगातार आ रही हैं, और यह लड़ाई सिर्फ प्रेस कॉन्फ्रेंस तक सीमित नहीं रहेगी।
अब असली सवाल यह नहीं है कि कांग्रेस क्या आरोप लगा रही है,
बल्कि यह है कि प्रधानमंत्री कार्यालय इन आरोपों का जवाब कब देगा?
