December 16, 2025 7:29 pm
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सोनम वांगचुक के काम की तारीफ़ कर रही संसदीय समिति

सोनम वांगचुक को सुप्रीम कोर्ट से फिलहाल राहत नहीं। NSA के तहत जोधपुर जेल में बंद शिक्षाविद पर सरकार का विरोधाभास—संसद समिति ने HIL की तारीफ की, फिर भी कार्रवाई।

लेकिन केंद्र सरकार व कोर्ट उन्हें जेल में रखने पर डटे, सुनवाई फिर टली

लद्दाख के मशहूर शिक्षाविद और पर्यावरण कार्यकर्ता सोनम वांगचुक को फिलहाल कोई राहत नहीं मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने उनकी पत्नी गीतांजलि की याचिका पर सुनवाई 7 जनवरी 2026 तक के लिए टाल दी है। सोनम वांगचुक इस समय राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA) के तहत जोधपुर जेल में बंद हैं।

पिछली सुनवाई के दौरान यह कहा गया था कि सोनम वांगचुक वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए अदालत में पेश होना चाहते हैं, लेकिन केंद्र सरकार ने इसका विरोध किया। नतीजतन, न तो उन्हें जमानत मिली और न ही तत्काल कोई अंतरिम राहत।

सरकार का विरोधाभास: खतरा भी और सराहना भी

यह एक अजीब और चिंताजनक विडंबना है कि एक ओर केंद्र सरकार सोनम वांगचुक को ‘राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा’ बताकर उन पर NSA लगाती है, उन्हें जेल में डालती है और सुप्रीम कोर्ट से भी उन्हें राहत नहीं मिलती। वहीं दूसरी ओर संसद की एक स्थायी समिति की रिपोर्ट में उनके शैक्षणिक संस्थान की खुले तौर पर सराहना की गई है।

इस संसदीय समिति में भाजपा के वरिष्ठ नेता—संबित पात्रा, रविशंकर प्रसाद और बांसुरी स्वराज—जैसे नाम शामिल हैं। हाल ही में संसद में पेश की गई इस रिपोर्ट में कहा गया है कि सोनम वांगचुक द्वारा स्थापित हिमालयन इंस्टीट्यूट ऑफ लर्निंग (HIAL) बेहतरीन काम कर रहा है।

रिपोर्ट में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) द्वारा HIAL को मान्यता न दिए जाने पर भी गंभीर चिंता जताई गई है। सवाल यह है कि जिस संस्थान के काम को संसद की समिति सराह रही है, उसी संस्थान को बंद करने पर सरकार आमादा क्यों है?

छठी अनुसूची की मांग और गिरफ्तारी

सोनम वांगचुक लंबे समय से लद्दाख को छठी अनुसूची में शामिल करने की मांग कर रहे हैं। इसी मांग को लेकर वे आमरण अनशन पर बैठे थे। इसी दौरान लेह में हिंसा की घटनाएं हुईं और 26 सितंबर को सोनम वांगचुक को इस हिंसा के सिलसिले में गिरफ्तार कर लिया गया।

तब से वे जोधपुर की जेल में बंद हैं। उनकी पत्नी ने NSA के तहत की गई इस गिरफ्तारी को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। उनका कहना है कि सोनम वांगचुक एक शांतिपूर्ण आंदोलनकारी, शिक्षाविद और पर्यावरण कार्यकर्ता हैं, न कि राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा।

अब 7 जनवरी तक इंतजार

फिलहाल सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई को 7 जनवरी 2026 तक टाल दिया है। इसका मतलब यह है कि सोनम वांगचुक को अभी और जेल में रहना होगा। एक ऐसे व्यक्ति के साथ यह सलूक हो रहा है, जिसने शिक्षा, पर्यावरण और स्थानीय समुदायों के लिए जीवन भर काम किया है।

अब सवाल यह है कि क्या अदालत इस मामले में सरकार के विरोधाभासों को देखेगी? क्या संसद की समिति की रिपोर्ट का कोई महत्व होगा? या फिर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के नाम पर असहमति की आवाजों को इसी तरह दबाया जाता रहेगा?

मुकुल सरल

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