संसद का शीतकालीन सत्र शुरू: 10 नए बिल, बड़े बदलावों की आहट
संसद का शीतकालीन सत्र शुरू हो चुका है। यह सत्र 1 दिसंबर से 19 दिसंबर तक चलेगा और इसमें कुल 10 नए बिल पेश किए जाने हैं। इसके साथ ही कई पुराने बिलों को पास कराने की भी तैयारी है। पहले ही दिन वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने लोकसभा में तीन अहम बिल पेश किए—
- Health Security to National Security Safety Bill 2025
- Central Excise Amendment Bill 2025
- Manipur Goods and Services Tax (Second Amendment) Bill 2025
लेकिन पूरे सत्र का सबसे बड़ा राजनीतिक सवाल यही है कि इस बार संसद को चलने कौन देगा और रोकने कौन वाला है?
परमाणु ऊर्जा क्षेत्र में निजी कंपनियों की एंट्री — विपक्ष का बड़ा विरोध
सत्र का सबसे विवादित और महत्वपूर्ण बिल है Atomic Energy Bill 2025।
इस बिल के जरिये देश के परमाणु ऊर्जा क्षेत्र में पहली बार निजी कंपनियों—दोनों भारतीय और विदेशी—को प्रवेश देने का रास्ता खोला जा रहा है।
अब तक देश के सभी परमाणु संयंत्र सरकारी नियंत्रण वाली कंपनियों, खास तौर पर NPCIL (Nuclear Power Corporation of India Ltd.), द्वारा बनाए और संचालित किए जाते हैं।
विपक्ष की मुख्य आपत्तियाँ
- इससे राष्ट्रीय सुरक्षा को गंभीर खतरा हो सकता है।
- परमाणु दुर्घटनाओं की आशंका बढ़ सकती है।
- नागरिक सुरक्षा दायित्व कानून (Civil Liability for Nuclear Damage Act) को कमजोर किया जा सकता है।
- विदेशी कंपनियों को परमाणु संयंत्र लगाने की अनुमति देना “जोखिम भरा प्रयोग” बताया जा रहा है।
यह बिल आने वाले दिनों में संसद के भीतर बड़ी टक्कर का कारण बनने वाला है।
उच्च शिक्षा व्यवस्था में भारी बदलाव: HECI बिल पर विवाद
दूसरा बड़ा विवादित प्रस्ताव है Higher Education Commission of India Bill।
इसके तहत वर्तमान के प्रमुख उच्च शिक्षा नियामक संस्थान—
- UGC
- AICTE
- NCTE
को खत्म कर एक एकीकृत राष्ट्रीय उच्च शिक्षा आयोग बनाया जाएगा।
सरकार का तर्क
सरकार कह रही है कि इससे शिक्षा व्यवस्था अधिक सुगम, कुशल और प्रभावी होगी।
विपक्ष की चिंताएँ
- राज्यों की भूमिका कम हो जाएगी, केंद्र का नियंत्रण बढ़ जाएगा।
- UGC जैसी संस्थाओं का खत्म होना शिक्षा ढांचे में असंतुलन पैदा करेगा।
- निजीकरण को बढ़ावा मिलेगा और उच्च शिक्षा और महंगी हो सकती है।
इस बिल पर भी गहरा राजनीतिक विभाजन दिखाई दे रहा है।
चंडीगढ़ पर केंद्र का बढ़ता नियंत्रण? — 131वां संविधान संशोधन बिल
तीसरा बड़ा और संवेदनशील प्रस्ताव है 131वां संविधान संशोधन विधेयक।
इसमें चंडीगढ़ को संविधान के अनुच्छेद 240 के दायरे में लाने का प्रावधान है।
इसका प्रभाव क्या होगा?
- केंद्र सरकार चंडीगढ़ में उपराज्यपाल या प्रशासक नियुक्त कर सकेगी।
- पंजाब और हरियाणा के साझा राजधानी के रूप में चंडीगढ़ की मौजूदा संवैधानिक स्थिति बदल जाएगी।
- इससे केंद्र का चंडीगढ़ पर सीधा नियंत्रण बढ़ जाएगा।
क्यों है विवाद?
चंडीगढ़ पर पहले से पंजाब का नैतिक और प्रशासनिक दावा माना जाता है।
पंजाब के राज्यपाल ही उसके प्रशासक होते हैं।
संशोधन के बाद यह व्यवस्था बदल जाएगी।
इसलिए:
- पंजाब के सभी प्रमुख दल इस बदलाव के खिलाफ हैं।
- यहां तक कि भाजपा के भीतर भी विरोध की आवाज़ें उठ रही हैं।
- इसे पंजाब के अधिकारों में “सीधी कटौती” के रूप में देखा जा रहा है।
निष्कर्ष
शीतकालीन सत्र की शुरुआत से ही यह साफ दिखाई दे रहा है कि सरकार जहां बड़े संरचनात्मक बदलावों को आगे बढ़ाने को तैयार बैठी है, वहीं विपक्ष इन बिलों को राष्ट्रीय सुरक्षा, राज्यों के अधिकार और संघीय ढांचे पर हमला मान रहा है।
आने वाले दिनों में संसद में तीखी बहस और भारी राजनीतिक टकराव तय है।
