दीघा से चुनावी मैदान में दिव्या गौतम: माले प्रत्याशी बोलीं — “निकम्मी सरकार को उखाड़ फेंकेंगे”
बिहार विधानसभा चुनावों की सरगर्मी अब तेज़ होती जा रही है। सभी पार्टियां और गठबंधन अपने-अपने उम्मीदवारों के नामांकन में जुटे हैं। राजधानी पटना की दीघा विधानसभा सीट से वाम गठबंधन के घटक भाकपा (माले) ने अपनी छात्र इकाई की पुरानी कार्यकर्ता दिव्या गौतम को प्रत्याशी बनाया है।
बेबाक भाषा के लिए अक्षत शिखर ने दिव्या गौतम से दीघा क्षेत्र के मुद्दों और चुनावी रणनीति पर एक संक्षिप्त बातचीत की।
“हम दीघा की बेटियां हैं, निकम्मी सरकार को जवाब देंगे”
दिव्या गौतम ने बातचीत की शुरुआत इन शब्दों से की —
“भाकपा (माले) और जनता ने हम पर जो विश्वास जताया है, वह हमारे लिए बड़ी जिम्मेदारी है। यह लड़ाई केवल चुनाव की नहीं है, यह दीघा की महिलाओं, नौजवानों और गरीब बस्तियों की लड़ाई है। हम इस निकम्मी सरकार को उखाड़ फेंकने का काम करेंगे।”
दीघा के असली मुद्दे: जलजमाव, टूटी सड़कें और अव्यवस्थित यातायात
दिव्या ने बताया कि दीघा क्षेत्र में बुनियादी समस्याएं जस की तस हैं —
“नालियां खुली पड़ी हैं, जगह-जगह जलजमाव की समस्या है, ट्रैफिक की स्थिति बदहाल है, और गली-मोहल्लों की सड़कों की हालत बेहद जर्जर है। लोगों का जीना मुश्किल हो गया है, लेकिन सत्ताधारी विधायक कभी इन इलाकों में दिखते ही नहीं।”
उनका कहना था कि राजीव नगर और नेपाली नगर जैसे इलाकों में विकास कार्यों के नाम पर सिर्फ घोषणाएं हुईं, धरातल पर कुछ नहीं।
“सरकार उनकी थी, काम बहुत पहले हो जाना चाहिए था, लेकिन कुछ हुआ नहीं। अब जनता हिसाब मांग रही है और उनके पास कोई जवाब नहीं है।”
“जो बीजेपी के गढ़ कहे जाते थे, वहां भी आक्रोश है”
दिव्या का दावा है कि इस बार दीघा समेत कई इलाकों में माहौल पूरी तरह बदल चुका है।
“जो लोग कहते हैं कि यह क्षेत्र बीजेपी का गढ़ है, उन्हें मैं बताना चाहती हूं कि जनता अब नाराज़ है। दस साल में विधायक नज़र नहीं आए। लोगों के मुद्दे वही हैं, सिर्फ झूठे वादे बदलते रहे। अब बदलाव की आंधी चल रही है।”
उन्होंने कहा कि “जहां जनता में गुस्सा है, वहां भाकपा (माले) के कार्यकर्ता लगातार सक्रिय हैं, संघर्ष कर रहे हैं और जनता के बीच मौजूद हैं।”
युवाओं, महिलाओं और गरीबों के सवाल पर चुनाव
दिव्या गौतम ने साफ़ कहा कि उनकी प्राथमिकता रोजगार और युवाओं के भविष्य से जुड़ी है —
“यहां बेरोज़गारी 70% से ज़्यादा है। सरकार संविदा पर नौकरियां देकर युवाओं का भविष्य अंधेरे में धकेल रही है। जब तक पक्की नौकरियां नहीं मिलेंगी, हम मानेंगे नहीं।”
साथ ही उन्होंने कहा कि उनका अभियान सिर्फ़ रोजगार नहीं, बल्कि झुग्गी-झोपड़ी में रहने वाले गरीबों, महिलाओं की सुरक्षा, कानून-व्यवस्था, और दलित-आदिवासी अधिकारों के सवालों पर केंद्रित रहेगा।
“हम यहीं की हैं, दीघा के दर्द को बचपन से देखा है”
दिव्या ने कहा —
“मैं इसी विधानसभा की निवासी हूं। बचपन से यहां की समस्याओं को देखा है। नालियों का गंदा पानी, जलजमाव, टूटी सड़कें और सरकारी बेरुख़ी — यही असली दीघा की तस्वीर है। विधायक सिर्फ़ पोस्टरों पर दिखते हैं, ज़मीनी स्तर पर कहीं नहीं।”
उन्होंने कहा कि वे खुद मोहल्ले-मोहल्ले जाकर जनता से मिलेंगी, मुद्दों को समझेंगी और विधानसभा में उन्हें उठाने का काम करेंगी।
“हटाओ हिंदुत्व सरकार, बचाओ बिहार” — नारा गूंजा मैदान में
कार्यक्रम के अंत में दिव्या गौतम और उपस्थित कार्यकर्ताओं ने नारा लगाया —
“हिंदुत्व सरकार हटा, बिहार बचाओ!”
उन्होंने कहा कि भाकपा (माले) इस चुनाव में महागठबंधन के साथ मिलकर मैदान में है, और “इस बार बिहार में बदलाव तय है।”
“हमारी लड़ाई गरीबों की, नौजवानों की और महिलाओं की आवाज़ बनकर लड़ी जाएगी। इंकलाब ज़िंदाबाद!”