October 6, 2025 8:18 am
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H1B वीज़ा शुल्क 6 लाख से बढ़कर 88 लाख: ट्रंप का बड़ा वार

अमेरिका ने H1B वीज़ा शुल्क 6 लाख से बढ़ाकर 88 लाख कर दिया। भारतीय आईटी सेक्टर और युवाओं के अमेरिकी सपने पर संकट। मोदी-ट्रंप दोस्ती और सरकार की चुप्पी पर सवाल।

50% टैरिफ की मार के बाद वीजा फीस में आग लगाकर ट्रंप क्या चाहते हैं भारत से, मचेगा हाहाकार

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन ने भारतीय आईटी प्रोफेशनल्स और टेक्नोलॉजी सेक्टर पर बड़ा झटका देते हुए H-1B वीज़ा शुल्क को 6 लाख रुपये से बढ़ाकर 88 लाख रुपये (1 लाख अमेरिकी डॉलर) कर दिया है। इस फैसले से भारत के लाखों युवाओं के अमेरिकी सपनों पर गहरी चोट लगी है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 75वें जन्मदिन पर जहां “नमस्ते ट्रंप” वाली दोस्ती की बातें हो रही थीं, वहीं ट्रंप का यह “गिफ्ट” भारतीय मिडल क्लास और टेक सेक्टर के लिए संकट का संदेश लेकर आया है।

क्यों है H-1B वीज़ा अहम?

H-1B वीज़ा अमेरिकी कंपनियों को भारत समेत दुनिया भर से विशेषज्ञ और प्रोफेशनल्स को नौकरी पर रखने की अनुमति देता है।

  • भारत इस वीज़ा का सबसे बड़ा लाभार्थी है।
  • अमेरिका में H-1B वीज़ा के 71% से अधिक आवेदक भारतीय होते हैं।
  • भारतीय आईटी, सॉफ्टवेयर और टेक इंडस्ट्री का बड़ा हिस्सा इसी वीज़ा पर टिका हुआ है।

लेकिन अब, 88 लाख रुपये सालाना की फीस भारतीय इंजीनियर, अध्यापक और तकनीशियन के लिए असंभव बोझ है। अमेरिकी कंपनियां भी इतनी भारी रकम चुकाकर भारतीय प्रोफेशनल्स को नौकरी पर रखने से पीछे हटेंगी।

मोदी-ट्रंप दोस्ती और चुप्पी

प्रधानमंत्री मोदी अक्सर डोनाल्ड ट्रंप को “दोस्त” कहकर संबोधित करते रहे हैं और “नमस्ते ट्रंप” जैसे आयोजनों के जरिए दोस्ती का प्रचार किया। लेकिन अब वही ट्रंप भारतियों को अमेरिकी कंपनियों से बाहर करने का रास्ता बना रहे हैं।

कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा का आरोप है कि “मोदी एक कमजोर प्रधानमंत्री हैं, जो समय रहते अमेरिका से H1B वीज़ा पर बातचीत नहीं कर पाए।” राहुल गांधी की 2016-17 की चेतावनी को सोशल मीडिया पर लोग बार-बार याद कर रहे हैं, जब उन्होंने कहा था कि मोदी सरकार अगर H1B वीज़ा पर मजबूती से बातचीत नहीं करेगी तो भारत को भारी नुकसान उठाना पड़ेगा।

डबल मार: टैरिफ और वीज़ा

  • पहले ही अमेरिका ने भारत पर 50% तक टैरिफ लगा दिया है, जिससे भारतीय उद्योग कराह रहे हैं।
  • अब H-1B वीज़ा शुल्क बढ़ोतरी भारतीय युवाओं और आईटी सेक्टर को रोक देगी।
  • भारत से अमेरिका जाने वाले छात्रों और प्रोफेशनल्स का रास्ता लगभग बंद हो जाएगा।

बेरोजगारी और “डंकी रूट” का खतरा

भारत में जब रोजगार की स्थिति पहले से खराब है, तब यह झटका और बड़ा संकट बनकर आया है। गुजरात समेत कई राज्यों से सबसे बड़ी संख्या में युवा अमेरिका जाते हैं। अब वैध रास्ते महंगे होने के बाद “डंकी रूट” जैसी खतरनाक प्रवास पद्धतियों की ओर रुझान और बढ़ सकता है।

छोटा राहत

साथ ही, ट्रंप प्रशासन ने एक निर्णय लिया है कि अब H1B वीज़ा को रिन्यू कराने के लिए अमेरिका से बाहर जाने की जरूरत नहीं होगी। हालांकि, यह राहत इतनी बड़ी फीस बढ़ोतरी के मुकाबले बहुत छोटी साबित हो रही है।

निष्कर्ष

यह साफ है कि ट्रंप का यह फैसला भारत की अर्थव्यवस्था, रोजगार और अमेरिकी सपनों पर बड़ा प्रहार है। मोदी सरकार की चुप्पी और “नमस्ते ट्रंप” दोस्ती अब सवालों के घेरे में है।

भाषा सिंह

1971 में दिल्ली में जन्मी, शिक्षा लखनऊ में प्राप्त की। 1996 से पत्रकारिता में सक्रिय हैं।
'अमर उजाला', 'नवभारत टाइम्स', 'आउटलुक', 'नई दुनिया', 'नेशनल हेराल्ड', 'न्यूज़क्लिक' जैसे
प्रतिष्ठित मीडिया संस्थानों

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