November 22, 2025 12:17 am
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जांच सामग्री ही बन गई हादसे की वजह

नौगाम पुलिस स्टेशन में 2900 किलो अमोनियम नाइट्रेट के विस्फोट से 15 मौतें। जांच सामग्री ही ब्लास्ट का कारण बनी। आखिर जिम्मेदारी किसकी?

नौगाम में विस्फोट से नष्ट हुआ फरीदाबाद में मिला सारा विस्फोटक, दिल्ली ब्लास्ट की जांच पर पड़ेगा असर!

जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर में स्थित नौगाम पुलिस स्टेशन में हुआ भीषण विस्फोट कई गंभीर सवालों को जन्म देता है। यह घटना सिर्फ एक “एक्सीडेंटल ब्लास्ट” नहीं है, बल्कि सुरक्षा तंत्र की ऐसी चूक है जिसने देशभर में चिंता बढ़ा दी है।

देश के इतिहास में शायद पहली बार ऐसा हुआ कि एक आतंकी घटना की जांच के लिए लाई गई सामग्री ही पुलिस स्टेशन के भीतर विस्फोट का कारण बन गई। इससे भी भयावह तथ्य यह है कि इस धमाके में जितने लोग मारे गए, वह संख्या उस मूल आतंकी घटना के पीड़ितों से अधिक है, जिसकी जांच के लिए ये विस्फोटक सामग्री लाई गई थी।

2900 किलो अमोनियम नाइट्रेट का ब्लास्ट: क्या कोई जवाबदेही नहीं?

सूत्रों के मुताबिक, फरीदाबाद से लगभग 2,900 किलो अमोनियम नाइट्रेट जब्त करके नौगाम पुलिस स्टेशन पहुंचाया गया था।
लेकिन पुलिस स्टेशन में ही हुए विस्फोट में 13 से 15 लोगों की मौत हुई, और 30 से अधिक लोग घायल हुए
इनमें अधिकांश वे लोग थे जो:

  • फोरेंसिक जांच के लिए मौजूद थे,
  • पुलिसकर्मी थे,
  • या विस्फोटक सामग्री को सुरक्षित रखने की प्रक्रिया में शामिल थे।

यह सवाल बेहद महत्वपूर्ण है कि इतनी बड़ी मात्रा में विस्फोटक सामग्री को इतनी दूर क्यों ले जाया गया?
क्या इसे सुरक्षित स्थान पर डिफ्यूज या नष्ट नहीं किया जा सकता था?
क्या स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोटोकॉल का पालन हुआ था?

J&K पुलिस की सफाई और उससे उठते नए सवाल

जम्मू-कश्मीर पुलिस ने बयान दिया कि इस धमाके में किसी आतंकी संगठन की भूमिका नहीं है और यह पूरी तरह “एक आकस्मिक घटना” (accidental incident) थी।
लेकिन इससे उल्टा बड़ा सवाल खड़ा होता है:

इतना बड़ा “एक्सीडेंट” आखिर कैसे हो सकता है? जिम्मेदारी किसकी बनती है?

जब देश के सबसे संवेदनशील इलाकों में सुरक्षा एजेंसियां विस्फोटक सामग्री के प्रबंधन में ऐसी बड़ी चूक कर रही हों, तो इसकी जवाबदेही सिर्फ “एक हादसा” कहकर खत्म नहीं हो सकती।

दिल्ली के लाल कुआँ विस्फोट की तरह ही जांच सामग्री का गायब होना

वीडियो में उठाया गया एक और अहम मुद्दा यह है कि दिल्ली के लाल कुआँ क्षेत्र में हुए ब्लास्ट (5–10 नवंबर) के बाद:

  • कई लोग मारे गए,
  • कई घायल हुए,
  • और उससे जुड़े महत्वपूर्ण साक्ष्य (evidence) आज तक स्पष्ट नहीं हैं।

सूत्रों के अनुसार, उस घटना से जुड़े आवश्यक सबूत भी नष्ट हो गए या गायब हैं।

यानी सिर्फ कश्मीर में नहीं, देश के अलग-अलग हिस्सों में सुरक्षा और फोरेंसिक प्रोटोकॉल की भारी चूक सामने आ रही है।
और इसका सीधा फायदा उन असली गुनाहगारों को मिल रहा है जो जांच की पकड़ से लगातार दूर होते जा रहे हैं।

अमित शाह की चुप्पी और केंद्रीय जिम्मेदारी

देश का गृह मंत्रालय ऐसे मामलों का सबसे बड़ा जिम्मेदार विभाग है।
वीडियो में एक महत्वपूर्ण टिप्पणी यह है कि:

“अब जबकि अमित शाह जी बिहार चुनाव से मुक्त हो गए हैं, उन्हें देश को बताना चाहिए कि ऐसी सुरक्षा चूकों पर वे क्या कार्रवाई कर रहे हैं?”

जब इतने बड़े विस्फोट में दर्जनों जानें चली गईं हों,
और इसे महज “एक्सीडेंट” कहकर मामले को हल्का कर दिया जाए,
तो सवाल उठना स्वाभाविक है:

  • क्या केंद्र सरकार और गृह मंत्रालय इस मामले पर कोई उच्च-स्तरीय जांच कराएंगे?
  • क्या सुरक्षा प्रोटोकॉल में बदलाव होंगे?
  • सबसे बढ़कर—जिम्मेदारी तय होगी या नहीं?

निष्कर्ष

नौगाम पुलिस स्टेशन विस्फोट सिर्फ एक हादसा नहीं, बल्कि देश की सुरक्षा प्रणाली में मौजूद गंभीर खामियों की ओर इशारा करता है।
जब विस्फोटकों को सुरक्षित ले जाने और संभालने की प्रक्रिया में ही इस स्तर की लापरवाही हो, तो यह किसी भी राज्य की कानून-व्यवस्था के लिए गंभीर संकट का संकेत है।

अब सबसे जरूरी है:

  • पारदर्शी जांच,
  • जवाबदेही तय होना,
  • और यह स्पष्ट करना कि इतनी बड़ी सुरक्षा चूक कैसे हुई और भविष्य में इसे कैसे रोका जाएगा।

भाषा सिंह

1971 में दिल्ली में जन्मी, शिक्षा लखनऊ में प्राप्त की। 1996 से पत्रकारिता में सक्रिय हैं।
'अमर उजाला', 'नवभारत टाइम्स', 'आउटलुक', 'नई दुनिया', 'नेशनल हेराल्ड', 'न्यूज़क्लिक' जैसे
प्रतिष्ठित मीडिया संस्थानों

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