November 22, 2025 12:33 am
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ऐन बिहार की वोटिंग से पहले राहुल गांधी की The H-Files

राहुल गांधी के दावों में हरियाणा की वोटर-लिस्ट में बड़े पैमाने पर फर्जी एंट्री का आरोप — जानिए ये खुलासे बिहार चुनाव को कैसे प्रभावित कर सकते हैं।

वोट चोरी के इस नए खुलासे का कितना असर पड़ेगा बिहार चुनाव पर

राहुल गांधी ने हरियाणा के मतदान-सूची और वोटर-लिस्ट में बड़े पैमाने पर घोटाले का दावा करते हुए जो प्रेस कॉन्फ्रेंस—प्रेजेंटेशन पेश किया, उसे उन्होंने खुद एक तरह का “हाइड्रोजन-बम” बताया। उनके दावों के मुताबिक हर आठ वोट में से एक वोट फर्जी है और कुल मिलाकर करोड़ों की संख्या में नकली वोटर-एंट्री हैं। हमारा लाइव प्रोग्राम H-Files में इन दावों, उनके सबूतों और इनके बिहार चुनाव पर पड़ने वाले संभावित असर का विस्तृत विश्लेषण किया गया।

क्या कहा गया — प्रमुख दावे और सबूत

  • राहुल गांधी ने स्लाइड-शो और आंकड़ों के माध्यम से कहा कि हरियाणा में बड़ी संख्या में फर्जी वोटर-एंट्री (फरजी आई-डी/नाम) कर के वोट चोरी की गई। उनका दावा है कि यह केंद्र-स्तरीय (centralized) रूप से संचालित हुआ — यानी यह स्थानीय गड़बड़ी न होकर किसी बड़े सिस्टम-हैक जैसा मामला है।
  • उन्होंने कुछ具体 केस (एक ही पते पर असाधारण संख्या में वोटर, एक-एक फोटो पर बार-बार रिकॉर्डेड वोट इत्यादि) दिखाए और कहा कि कुल मिलाकर लगभग 25 लाख तक फर्जी वोटर एंट्रीज़ हुई हैं।
  • राहुल गांधी ने सीधे चुनाव आयोग और चुनावी तंत्र को निशाना बनाया; कहा गया कि “विवस्था” (व्यवस्था) के जरिए यह सब होता दिख रहा है।
  • कार्यक्रम में बताया गया कि यह हमला केवल हरियाणा तक सीमित नहीं — बिहार में होने वाले चुनाव के पहले ऐसे ‘बम’ फूटने का सीधा संबंध वहां के गृह-राजनीति और मतदाता-सूची की शुद्धि प्रक्रिया (SIR/स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन) से जोड़कर देखा जा रहा है।

बिहार पर संभावित असर — क्या बदल सकता है?

  1. लोक भरोसा और वोटर-सतर्कता बढ़ सकती है — राहुल के दावों के बाद स्थानीय पार्टियों और पोलिंग-एजेंट्स की सतर्कता बढ़नी चाहिए; पर झटपट सतर्कता से ही समस्या टली तो नहीं, यह बड़ा सवाल है।
  2. जनभावना पर धक्का — अगर जनता में यह धारणा बनती है कि वोटर-लिस्ट में छेड़छाड़ केंद्र-स्तर से हो रही है, तो चुनावी माहौल और तेज़-तर्रार और भावनात्मक हो सकता है।
  3. आरोप-प्रत्यारोप का चुनाव-प्रभाव — ऐसे खुलासे चुनाव के आखिरी कुछ दिनों में मतदाता रुझानों को हिला सकते हैं, खासकर उन जिलों में जहां मतसंख्या घनत्व और परंपरागत वोट-संघर्ष अधिक है।
  4. कानूनी/प्रशासनिक दबाव — विपक्षी पार्टियां इन दावों को लेकर चुनाव आयोग या अदालतों तक जा सकती हैं; इससे आख़िरी चरणों में कानूनी जद्दोजहद और भी तेज़ होगा।

निष्कर्ष — अभी तक जो कुछ दिखाया गया है वह दावे और सबूतों के रूप में सार्वजनिक किए गए। पत्रकारों और स्थानीय जांचकर्ताओं की रिपोर्टें, तथा चुनाव आयोग की प्रतिक्रिया अगले कुछ घंटों/दिनों में निर्णायक होंगी कि इन दावों का वास्तविक प्रभाव क्या रहा।

किन-किन मामलों को हमने H-Files में उठाया

  • हरियाणा के किस्तों में एक ही पते पर काफी अधिक संख्या में मतदाताओं के नाम।
  • एक-एक फोटो को बार-बार वोटर-एंट्री में दर्ज करने के उदाहरण।
  • बिहार में SIR के दौरान मिली रिपोर्टें और जमीन पर मिले केस-स्टडी।
  • मीडिया-इंवेस्टिगेशन (उदाहरण: दैनिक भासकर) पर उठ रहे सवाल और उन रिपोर्टों के हवाले से उठे गंभीर आरोप (इस आर्टिकल में हम इन आरोपों को उनकी रिपोर्टिंग के रूप में पेश कर रहे हैं)।

भाषा सिंह

1971 में दिल्ली में जन्मी, शिक्षा लखनऊ में प्राप्त की। 1996 से पत्रकारिता में सक्रिय हैं।
'अमर उजाला', 'नवभारत टाइम्स', 'आउटलुक', 'नई दुनिया', 'नेशनल हेराल्ड', 'न्यूज़क्लिक' जैसे
प्रतिष्ठित मीडिया संस्थानों

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