December 25, 2025 7:58 pm
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एक कटोरी, दो समोसा, योगी तेरा क्या भरोसा!

लखनऊ में आशा वर्कर्स का जबरदस्त प्रदर्शन योगी सरकार के ‘सुशासन’ पर सवाल है। 50–75 रुपये की दिहाड़ी और सम्मान की लड़ाई।

लखनऊ में आशा वर्कर्स का प्रदर्शन और योगी सरकार की हकीकत

“एक कटोरी, दो समोसा
योगी तेरा क्या भरोसा
बाबा तेरे राज में
कटोरा लिये हाथ में”

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में गूंजे ये नारे सिर्फ़ एक विरोध प्रदर्शन नहीं थे, बल्कि योगी आदित्यनाथ सरकार के तथाकथित “डबल इंजन सुशासन” पर सीधा सवाल थे। चारबाग रेलवे स्टेशन के पास हजारों की तादाद में जुटीं आशा वर्कर्स ने जिस अंदाज़ में अपनी आवाज़ बुलंद की, उसने यह साफ़ कर दिया कि अब डर का दौर खत्म हो रहा है।

योगी सरकार जिस भाषा में “ठोकने” और “ठिकाने लगाने” की बातें करती रही है, उसी राज में दो लाख से ज़्यादा आशा वर्कर्स आज खुद को अपमानित, असुरक्षित और शोषित महसूस कर रही हैं। ये महिलाएं खुलकर कह रही हैं—हम धमकियों से डरने वाली नहीं हैं, हम वही हैं जो अधिकार छीनना जानती हैं।

50–75 रुपये की दिहाड़ी और 2000 रुपये महीना: यही है ‘रामराज’?

उत्तर प्रदेश सरकार आशा वर्कर्स से दिन-रात स्वास्थ्य सेवाओं का बोझ उठवाती है—टीकाकरण, प्रसव, मातृ-शिशु स्वास्थ्य, सर्वे, चुनाव, कोविड जैसे संकट—लेकिन बदले में देती है

  • रोज़ाना 50 से 75 रुपये की दिहाड़ी
  • और महीने के नाम पर सिर्फ़ 2000 रुपये

सवाल सीधा है: क्या यही योगी सरकार का रामराज है?
क्या यही “नारी सशक्तिकरण” का मॉडल है?

लखनऊ की सड़कों पर उतरी ये महिलाएं दरअसल यह कहानी सुना रही थीं कि किस तरह “ग्रेट सुशासन” का दावा करने वाली सरकार उनके जीने के अधिकार को ही छीनने पर आमादा है।

75 जिलों से आईं महिलाएं, लाखों की आवाज़

इस प्रदर्शन की सबसे अहम बात यह थी कि यह कोई स्थानीय या सीमित विरोध नहीं था। उत्तर प्रदेश के 75 जिलों से आईं आशा वर्कर्स ने इसमें हिस्सा लिया। उनकी संख्या लाखों में बताई जा रही है। यह अपने आप में संकेत है कि असंतोष गहरा है और संगठित भी।

आशा वर्कर्स की प्रमुख मांग साफ़ है—
उन्हें सम्मानजनक स्वास्थ्यकर्मी का दर्जा दिया जाए, न कि सस्ती और अस्थायी मज़दूर समझा जाए।

“एक कटोरी, दो समोसा” अब सिर्फ़ नारा नहीं

जिस तरह से यह नारा वायरल हुआ है, उसने योगी सरकार को भीतर तक हिला दिया है। यह नारा अब सिर्फ़ एक पंक्ति नहीं, बल्कि उस आर्थिक-सामाजिक अपमान का प्रतीक बन चुका है जिसे करोड़ों महिलाएं झेल रही हैं।

संभावना है कि आने वाले दिनों में आशा वर्कर्स की यह लड़ाई सिर्फ़ उत्तर प्रदेश तक सीमित नहीं रहेगी। जिस तरह से यह गुस्सा सड़कों पर उतरा है, वह देश भर में गूंज सकता है।

एक बात साफ़ है—
“एक कटोरी, दो समोसा”
योगी सरकार नहीं चलेगा, नहीं चलेगा।

भाषा सिंह

1971 में दिल्ली में जन्मी, शिक्षा लखनऊ में प्राप्त की। 1996 से पत्रकारिता में सक्रिय हैं।
'अमर उजाला', 'नवभारत टाइम्स', 'आउटलुक', 'नई दुनिया', 'नेशनल हेराल्ड', 'न्यूज़क्लिक' जैसे
प्रतिष्ठित मीडिया संस्थानों

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