दीपांकर भट्टाचार्य का बेबाक इंटरव्यू: SIR, सीट बंटवारा, राहुल गांधी संग यात्रा और बिहार में बदलाव की राजनीति
दिल्ली स्थित CPI(ML) (भाकपा माले) के दफ्तर में पार्टी महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य से हमारी विशेष बातचीत हुई। हाल ही में बिहार में स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) प्रक्रिया और इसके खिलाफ छेड़े गए आंदोलन ने पूरे राज्य का माहौल गरमा दिया है। माले ने न सिर्फ 16 दिनों की यात्रा के जरिए विपक्षी INDIA गठबंधन को एक नई ऊर्जा दी, बल्कि SIR को लेकर जनता की चिंताओं को भी मुखर किया। बातचीत में दीपांकर ने सीट बंटवारे से लेकर राहुल गांधी की यात्रा तक, और बिहार की जातीय समीकरण से लेकर महिला आंदोलनों तक, हर अहम मुद्दे पर अपनी राय रखी।
SIR और मतदाता सूची में गड़बड़ियां
दीपांकर का कहना है कि SIR प्रक्रिया ने जनता के बीच गहरी आशंका पैदा की है।
“65 लाख लोगों के नाम काटे गए हैं, 22 लाख को मृत घोषित कर दिया गया है। कई बूथों पर तो जीवित लोग मृतक सूची में दर्ज हैं। प्रवासी मजदूरों और महिलाओं पर सबसे ज्यादा असर पड़ा है। चुनाव आयोग का काम निष्पक्ष सूची तैयार करना है, लेकिन वह अपनी जिम्मेदारी से भाग रहा है।”
भाकपा माले ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। कोर्ट ने आधार को मान्यता देने का अंतरिम आदेश दिया, जिससे लोगों को थोड़ी राहत मिली। दीपांकर कहते हैं:
“बिना आधार के मतदाता सूची अधूरी थी। सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने कुछ डैमेज कंट्रोल किया है, लेकिन हर वोट के लिए लड़ाई जारी रहेगी।”
सीट बंटवारा और INDIA गठबंधन
आगामी चुनावों को लेकर दीपांकर ने साफ कहा कि माले 40 सीटों पर तैयारी कर रही है।
“2020 और 2024 के बाद जनता का यह भी मानना है कि माले को और सीटें मिलें तो INDIA गठबंधन का प्रदर्शन बेहतर होगा। हमने कई जिलों—जैसे नालंदा, गया, दरभंगा, पुर्णिया, कैमूर—में मजबूती से काम किया है। हमें उम्मीद है कि इस बार सीट बंटवारा यथार्थवादी और न्यायपूर्ण होगा।”
राहुल गांधी संग 16 दिन की यात्रा
राहुल गांधी के साथ की गई यात्रा को दीपांकर ने महत्वपूर्ण करार दिया।
“यह सिर्फ रोड शो नहीं था, बल्कि जनता के आंदोलनों से सीधा संवाद था। जीविका, आशा, आंगनबाड़ी, मिड-डे मील कर्मियों से लेकर विस्थापन और रोजगार जैसे मुद्दों पर आंदोलनरत लोगों ने इस यात्रा में अपनी भागीदारी दिखाई।”
राहुल गांधी पर टिप्पणी करते हुए दीपांकर बोले:
“वह एक ईमानदार और संजीदा इंसान हैं। पुराने स्टीरियोटाइप नेताओं से अलग, आंदोलन और संवाद की राजनीति को अपनाने की कोशिश कर रहे हैं। देश को ऐसी राजनीति की ज़रूरत है।”
जातीय समीकरण और महिलाओं की नाराज़गी
दीपांकर मानते हैं कि NDA के पास अभी भी जातीय समीकरण का आधार है, लेकिन यह स्थाई नहीं है।
“बेरोजगारी, महंगाई, भ्रष्टाचार और अपराध से कोई जातीय समीकरण बचा नहीं रह सकता। महिलाएं, जिन्हें पहले नीतीश कुमार का समर्थन माना जाता था, अब भारी नाराज़ हैं। रसोइया, आशा, आंगनबाड़ी और जीविका समूहों की महिलाएं आंदोलनों के जरिए बदलाव की चेतना लेकर आई हैं।”
‘बदलाव’ ही चुनावी एजेंडा
बिहार में आगामी चुनाव का नारा माले और INDIA गठबंधन के लिए साफ है—“बदलो सरकार, बदलो बिहार”।
दीपांकर कहते हैं:
“लोगों को रोजगार चाहिए, भागीदारी चाहिए, अपराध और भ्रष्टाचार से मुक्ति चाहिए। यह बदलाव की लड़ाई है। जनता का मूड है कि अब बहुत हो गया—इस बार सरकार बदलनी है।”
निष्कर्ष
यह इंटरव्यू बताता है कि CPI(ML) सिर्फ सीटों की राजनीति नहीं कर रही, बल्कि आंदोलन और जनता की भागीदारी को चुनावी एजेंडा बना रही है। दीपांकर भट्टाचार्य का मानना है कि SIR के खिलाफ लड़ाई, सीट बंटवारे में न्याय, महिलाओं की सक्रिय भागीदारी और विपक्षी गठबंधन की एकजुटता ही बिहार में बदलाव का रास्ता खोलेगी।