October 6, 2025 10:13 am
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नेपाल में राजशाही का खतरा, लेकिन जीत लोकतंत्र की होनी चाहिए

भाकपा (माले) महासचिव दिपांकर भट्टाचार्य से बेबाक बातचीत—नेपाल के जनविद्रोह, भ्रष्टाचार, बिहार SIR विवाद, वोटर अधिकार यात्रा और विपक्षी गठबंधन पर गहन विश्लेषण।

बिहार से नेपाल तक: भाकपा (माले) महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य का बेबाक इंटरव्यू

दिल्ली स्थित भाकपा (माले) के दफ़्तर में पार्टी महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य से लंबी बातचीत में कई बड़े मुद्दों पर चर्चा हुई—नेपाल में हालिया विद्रोह और वहां लोकतंत्र की चुनौतियां, भारत में विशेष मतदाता सूची पुनरीक्षण (SIR) को लेकर उठे सवाल, विपक्षी गठबंधन की संभावनाएं, और बिहार की राजनीति में भाकपा (माले) की भूमिका।

नेपाल में नौजवानों का विद्रोह और लोकतंत्र का संकट

नेपाल में हालिया जनविद्रोह, जिसमें केपी ओली को इस्तीफा देना पड़ा, पर बोलते हुए दीपांकर ने कहा:

“ये आंदोलन अचानक नहीं था, इसके पीछे नौजवानों की भारी नाराज़गी और बेरोज़गारी है। सोशल मीडिया बैन ने इसे और विस्फोटक बना दिया। 19 नौजवानों की गोली से मौत नेपाल के इतिहास की बड़ी त्रासदी है।”

उनका मानना है कि यह सिर्फ ओली या सत्ताधारी पार्टियों के खिलाफ गुस्सा नहीं था, बल्कि पूरे राजनीतिक ढांचे और भ्रष्टाचार के खिलाफ आक्रोश था।

भ्रष्टाचार और ‘नेपो किड्स’ (वंशवाद) को निशाना बनाए जाने पर उन्होंने कहा:

“नेपाल में सबसे पारदर्शी चीज़ भ्रष्टाचार है। यही वजह है कि आंदोलन में सभी पार्टियों के नेता निशाने पर आए।”

राजशाही की वापसी की संभावना पर दीपांकर ने साफ कहा कि खतरा तो है, लेकिन जनता लोकतंत्र को इतनी आसानी से छोड़ने को तैयार नहीं होगी।

भारत पर असर और वाम आंदोलन के लिए सबक

नेपाल की हलचल के भारत में असर पर उन्होंने कहा:

“इसका सीधा असर भारत पर नहीं होगा। लेकिन सबक जरूर लेना चाहिए—लोकतंत्र में नौजवानों से संवाद ज़रूरी है। सोशल मीडिया बैन और दमनकारी कदम वाम दलों के लिए चेतावनी हैं।”

बिहार में वोटर अधिकार यात्रा और SIR विवाद

बिहार में भाकपा (माले) द्वारा निकाली गई 16-दिन की वोटर अधिकार यात्रा पर दिपांकर ने कहा कि इसने विपक्षी राजनीति को नया आयाम दिया है:

“2020 में केवल सीट शेयरिंग थी, पर इस बार आंदोलन के ज़रिए विपक्षी एकता को ज़मीन पर राजनीतिक रूप मिला है।”

सीट शेयरिंग पर माले का रुख

दिपांकर ने साफ कहा कि पार्टी 40 सीटों पर तैयारी में है, पर अंतिम संख्या पर जल्द ही विपक्षी दलों में सहमति बनेगी।

“हमारा संगठन 20 से अधिक जिलों में मजबूत है—शाहाबाद, मिथिला, सीमांचल और मगध में हमारी गहरी पकड़ है।”

SIR और आधार विवाद

विशेष मतदाता सूची पुनरीक्षण (SIR) पर उन्होंने गंभीर सवाल उठाए:

  • 65 लाख नाम काटे गए।
  • 22 लाख लोगों को मृत घोषित किया गया।
  • 3 लाख को नोटिस भेजा गया।

“गोपलगंज में एक बुथ पर 124 लोगों को मृत घोषित कर दिया गया। चुनाव आयोग की विश्वसनीयता पूरी तरह खत्म हो चुकी है।”

सुप्रीम कोर्ट की भूमिका पर उन्होंने कहा:

“कोर्ट ने आधार को जोड़ने पर सुनवाई टाल दी। हमें लगा कि उनका सुझाव ही काफी होगा, लेकिन ऐसा नहीं है। चुनाव आयोग जिम्मेदारी से भाग रहा है।”

2025 के चुनाव और विपक्षी गठबंधन

दिपांकर ने कहा कि भाजपा वोट चुराकर चुनाव जीतना चाहती है, लेकिन जनता बदलाव के मूड में है:

“वोट चोरी रोकने की लड़ाई कठिन है, लेकिन इससे जनता और ज्यादा गुस्से में है। बिहार बदलाव चाहता है और यही इस बार चुनाव का एजेंडा बनेगा।”

निष्कर्ष

इस इंटरव्यू में साफ दिखता है कि भाकपा (माले) न केवल बिहार की राजनीति में, बल्कि व्यापक लोकतांत्रिक विमर्श में अपनी केंद्रीय भूमिका को लेकर आश्वस्त है। दिपांकर भट्टाचार्य के लिए नेपाल का संकट और बिहार की लड़ाई दोनों ही लोकतंत्र की रक्षा की चुनौतियों से जुड़े हैं।

भाषा सिंह

1971 में दिल्ली में जन्मी, शिक्षा लखनऊ में प्राप्त की। 1996 से पत्रकारिता में सक्रिय हैं।
'अमर उजाला', 'नवभारत टाइम्स', 'आउटलुक', 'नई दुनिया', 'नेशनल हेराल्ड', 'न्यूज़क्लिक' जैसे
प्रतिष्ठित मीडिया संस्थानों

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