December 20, 2025 11:01 pm
Home » दुनियाभर की » बांग्लादेश में एक बार फिर बेकाबू हो रहे हैं हालात

बांग्लादेश में एक बार फिर बेकाबू हो रहे हैं हालात

शेख ओस्मान हादी की हत्या के बाद बांग्लादेश में भीड़ हिंसा, आगजनी, हिंदू अल्पसंख्यकों और पत्रकारों पर हमले तेज। भारत के लिए क्यों है यह चिंता की बात?

राजनीतिक हत्या, भीड़ हिंसा और अल्पसंख्यकों पर हमले

बांग्लादेश एक बार फिर गहरे राजनीतिक और सामाजिक संकट से गुजर रहा है। हालात इस कदर बिगड़ चुके हैं कि राजधानी से लेकर प्रांतीय इलाकों तक आगजनी, भीड़ हिंसा और भय का माहौल फैल चुका है। सबसे चिंताजनक बात यह है कि इस हिंसा का निशाना अल्पसंख्यक समुदाय, खासकर हिंदू, और स्वतंत्र मीडिया बनता जा रहा है।

यह पूरा घटनाक्रम उस समय विस्फोटक मोड़ पर पहुंचा, जब शेख ओस्मान हादी की हत्या की खबर सामने आई।

शेख ओस्मान हादी की हत्या और उसके बाद भड़की हिंसा

शेख ओस्मान हादी बांग्लादेश की राजनीति का एक उभरता हुआ नौजवान चेहरा थे। उन्होंने प्रधानमंत्री शेख हसीना के खिलाफ चले आंदोलनों में सक्रिय भूमिका निभाई थी और आगामी 12 फरवरी के चुनावों में बतौर उम्मीदवार प्रचार कर रहे थे।

कुछ दिन पहले उन्हें गोली मार दी गई। गंभीर हालत में उन्हें सिंगापुर ले जाया गया, जहां छह दिन तक इलाज चलने के बाद उनकी मौत हो गई। हादी की मौत की खबर के साथ ही बांग्लादेश के कई हिस्सों में हालात बेकाबू हो गए।

भीड़ हिंसा, आगजनी और अल्पसंख्यकों पर हमले

हादी की हत्या के बाद जिस तरह की मॉब वायलेंस सामने आई, उसने पूरे देश को दहशत में डाल दिया।

  • एक हिंदू व्यक्ति को पीट-पीटकर मार डालने और फिर जिंदा जलाने की घटना ने पूरे समाज को झकझोर दिया।
  • कई इलाकों में अल्पसंख्यकों के घरों और दुकानों को आग के हवाले किया गया।

यह हिंसा सिर्फ सामुदायिक नहीं रही, बल्कि धीरे-धीरे मीडिया विरोधी हिंसा में भी बदल गई।

मीडिया पर सीधा हमला: डेली स्टार और प्रथम आलो

बांग्लादेश के प्रमुख मीडिया संस्थानों — डेली स्टार और प्रथम आलो — की इमारतों पर भीड़ द्वारा हमला किया गया और आगजनी की गई।
रिपोर्ट्स के मुताबिक 28–29 पत्रकार जान के गंभीर खतरे में फंसे रहे।

यह हमला सिर्फ इमारतों पर नहीं था, बल्कि स्वतंत्र पत्रकारिता और अभिव्यक्ति की आज़ादी पर सीधा प्रहार था। जिस देश ने कभी जीवंत मीडिया परंपरा पर गर्व किया, वहां पत्रकारों का यूं निशाना बनना लोकतंत्र की सेहत पर बड़ा सवाल खड़ा करता है।

यूनुस की अपील और सरकार की मुश्किलें

इस बढ़ती हिंसा के बीच यूनुस ने राष्ट्र के नाम संदेश जारी कर कहा कि

  • भीड़ हिंसा की कोई जगह नहीं है
  • अल्पसंख्यकों और मीडिया की सुरक्षा सुनिश्चित की जाएगी

लेकिन ज़मीनी हकीकत यह है कि राज्य की पकड़ कमजोर पड़ती दिख रही है, और हिंसा की घटनाएं सरकार की अपीलों से थमती नजर नहीं आ रहीं।

एंटी-इंडिया सेंटिमेंट और क्षेत्रीय चिंता

इन घटनाओं के साथ-साथ बांग्लादेश में भारत विरोधी भावना भी तेजी से उभरती दिख रही है।

  • पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया के बेटे की संभावित वापसी की खबरें राजनीतिक माहौल को और गरमा रही हैं।
  • कुछ समय पहले शेख हसीना के बेटे का भारत में प्रकाशित इंटरव्यू भी इसी ओर इशारा करता है कि बांग्लादेश में एंटी-इंडिया सेंटिमेंट तेज़ी से बढ़ा है।

अगर बांग्लादेश जल रहा है, तो यह सिर्फ बांग्लादेश की समस्या नहीं है — यह भारत के लिए भी गंभीर चेतावनी है। दोनों देशों की सीमा, साझा इतिहास और सामाजिक ताने-बाने को देखते हुए अस्थिर बांग्लादेश पूरे क्षेत्र को प्रभावित कर सकता है।

बांग्लादेश किस मोड़ पर खड़ा है?

आज बांग्लादेश एक ऐसे मोड़ पर खड़ा है जहां

  • राजनीतिक हत्याएं आम होती जा रही हैं
  • भीड़ कानून से ऊपर खुद को समझने लगी है
  • अल्पसंख्यक और पत्रकार सबसे असुरक्षित हैं

यह संकट सिर्फ सत्ता परिवर्तन या चुनावी राजनीति का नहीं है, बल्कि लोकतंत्र, मानवाधिकार और क्षेत्रीय स्थिरता का संकट है।

भाषा सिंह

1971 में दिल्ली में जन्मी, शिक्षा लखनऊ में प्राप्त की। 1996 से पत्रकारिता में सक्रिय हैं।
'अमर उजाला', 'नवभारत टाइम्स', 'आउटलुक', 'नई दुनिया', 'नेशनल हेराल्ड', 'न्यूज़क्लिक' जैसे
प्रतिष्ठित मीडिया संस्थानों

Read more
View all posts

ताजा खबर