December 25, 2025 9:49 pm
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फरार ‘किंगमेकर’ और सत्ता के रिश्तों पर उठते सवाल

उत्तर प्रदेश में 500 करोड़ के कोडीन कफ सिरप घोटाले ने योगी सरकार के दावों पर सवाल खड़े कर दिए हैं। फरार किंगमेकर, राजनीतिक रिश्ते और STF की भूमिका पर बेबाक भाषा की पड़ताल।

योगी जी की नाक के नीचे कैसे हुआ 500 करोड़ का कोडीन कफ सिरप घोटाला!

उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ की सरकार खुद को ‘माफिया मुक्त राज्य’ बताने का दावा करती है। विधानसभा से लेकर चुनावी मंचों तक बुलडोज़र न्याय, सख्त कार्रवाई और ‘अपराधियों की फातिया पढ़ने’ जैसे बयान बार-बार दोहराए जाते हैं।
लेकिन इसी उत्तर प्रदेश में, योगी सरकार की नाक के नीचे कोडीन कफ सिरप का एक ऐसा रैकेट फलता-फूलता रहा, जिसने लाखों नौजवानों को नशे की गिरफ्त में धकेल दिया और जिसका कथित कारोबार 500 करोड़ रुपये तक बताया जा रहा है।

सबसे बड़ा सवाल यह है कि इस पूरे घोटाले का कथित किंगमेकर शुभम जैसवाल फरार कैसे हो गया?
और उससे भी बड़ा सवाल — क्या उसे भागने दिया गया?

नशे का जाल: उत्तर प्रदेश से नेपाल-बांग्लादेश तक फैला रैकेट

कोडीन कफ सिरप, जिसे मेडिकल उपयोग के नाम पर बेचा जाता है, उत्तर प्रदेश में सस्ते नशे का सबसे खतरनाक ज़रिया बन चुका है।
बताया जाता है कि 40–45 रुपये में बिकने वाली इस ‘नशे की पुड़िया’ ने कम उम्र के बच्चों और युवाओं को बड़ी संख्या में नशे का आदी बना दिया।

यह रैकेट केवल उत्तर प्रदेश तक सीमित नहीं रहा।
जौनपुर, गाजीपुर, गाजियाबाद, कानपुर से शुरू होकर यह नेपाल और बांग्लादेश तक फैल गया, लेकिन सरकार को पाँच साल तक इसकी भनक तक नहीं लगी — या फिर लगने नहीं दी गई?

500 करोड़ का कारोबार और 50 हजार का इनाम!

जिस व्यक्ति पर 500 करोड़ रुपये के अवैध कारोबार का आरोप है,
जिसके नेटवर्क ने हजारों-लाखों ज़िंदगियों को तबाह किया,
उस पर सरकार ने इनाम रखा — महज़ 50,000 रुपये

यह इनाम नहीं, बल्कि जनता की आंखों में धूल झोंकने की कोशिश लगती है।

सवाल साफ है —

  • भागने में किसने मदद की?
  • पाँच साल तक सरकार क्या कर रही थी?
  • क्या बुलडोज़र सिर्फ गरीबों और छोटे अपराधियों के लिए है?

राजनीतिक रिश्तों की परतें

दिल्ली में कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत द्वारा की गई प्रेस कॉन्फ्रेंस ने इस घोटाले को एक नया मोड़ दिया।
प्रेस कॉन्फ्रेंस में जिन नामों और रिश्तों का खुलासा किया गया, वे सीधे सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी और उसके सहयोगियों तक पहुँचते दिखाई देते हैं।

बताया जाता है कि शुभम जैसवाल का एक भाई धनंजय सिंह,
जनता दल (यू) — जो कि भाजपा की सहयोगी पार्टी है — में महासचिव पद पर रहा है
खुद सार्वजनिक रूप से यह कहा गया कि शुभम उसका छोटा भाई है।

तो सवाल उठना लाज़मी है —

  • क्या राजनीतिक संरक्षण के बिना इतना बड़ा रैकेट चल सकता है?
  • STF किन ‘बड़ी मछलियों’ को बचा रही है?

STF की जांच और ‘बड़ी मछलियों’ की सुरक्षा?

उत्तर प्रदेश STF की तारीफों के पुल बांधे जाते हैं,
लेकिन ज़मीनी हकीकत यह है कि —

  • छोटे लोगों की गिरफ्तारी हो रही है
  • बड़े नाम अब भी सुरक्षित हैं

STF की कार्रवाई पर सवाल इसलिए उठ रहे हैं क्योंकि
असल रसूखदारों पर अब तक कोई ठोस कार्रवाई नज़र नहीं आती।

बुलडोज़र न्याय पर तीखा सवाल

योगी आदित्यनाथ को बुलडोज़र बेहद पसंद है।
लेकिन इस मामले में सवाल उठता है —

“क्या बुलडोज़र का डीज़ल खत्म हो गया है?
या फिर बुलडोज़र का ड्राइवर भी कोडीन पीकर नशे में पड़ा है?”

जब अपराध सत्ता के करीब हो,
तो बुलडोज़र खामोश क्यों हो जाता है?

सिर्फ योगी नहीं, मोदी सरकार भी कटघरे में

यह सवाल केवल योगी सरकार से नहीं पूछा जाना चाहिए।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जे.पी. नड्डा भी इस पूरे मामले में जवाबदेह हैं।

  • मध्य प्रदेश में जहरीले कफ सिरप से 25 से ज्यादा बच्चों की मौत
  • राजस्थान में 9 बच्चों की जान गई
  • सैकड़ों ज़िंदगियाँ तबाह हुईं

इसके बावजूद केंद्र सरकार की चुप्पी क्या बताती है?

उत्तर प्रदेश में भले अभी मौतें सामने न आई हों,
लेकिन नशे की लत में धकेली गई पीढ़ियाँ क्या कम बड़ी त्रासदी हैं?

गोदी मीडिया की चुप्पी

इस पूरे घोटाले पर गोदी मीडिया खामोश है।
वह सरकार से सवाल पूछने के बजाय,
कार्रवाई के दावे और ‘जल्द होगी बड़ी कार्रवाई’ जैसे जुमलों को ही खबर बना रहा है।

लेकिन सवाल अब भी खड़ा है —

  • माफिया पनपा कैसे?
  • भागा कैसे?
  • और किसके संरक्षण में?

इन सवालों के जवाब योगी आदित्यनाथ को देने ही होंगे।

भाषा सिंह

1971 में दिल्ली में जन्मी, शिक्षा लखनऊ में प्राप्त की। 1996 से पत्रकारिता में सक्रिय हैं।
'अमर उजाला', 'नवभारत टाइम्स', 'आउटलुक', 'नई दुनिया', 'नेशनल हेराल्ड', 'न्यूज़क्लिक' जैसे
प्रतिष्ठित मीडिया संस्थानों

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