मोदीजी, Best Director अवॉर्ड जीतने के बाद क्यों कहा अनुपर्णा रॉय ने- मेरा देश खुश नहीं होगा
8 सितंबर को बेबाक भाषा के लाइव कार्यक्रम में बड़ा सवाल उठाया गया – “मोदी जी, आपने कैसा देश बना दिया है?”
इस सवाल की पृष्ठभूमि है भारत की युवा फिल्म निर्देशक अनुपर्णा राय की ऐतिहासिक उपलब्धि। अपनी पहली ही फिल्म Songs of Forgotten Trees के लिए उन्होंने वेनिस फिल्म फेस्टिवल में बेस्ट डायरेक्टर अवॉर्ड जीता। लेकिन उनके स्वीकृति भाषण (Acceptance Speech) ने पूरी दुनिया को झकझोर दिया—उन्होंने कहा कि “दुनिया का कोई भी बच्चा जेनोसाइड का शिकार नहीं होना चाहिए” और इसे गाज़ा और फिलिस्तीन के बच्चों को समर्पित कर दिया।
अनुपर्णा राय: पहली फिल्म, ऐतिहासिक उपलब्धि
- फिल्म Songs of Forgotten Trees ने वेनिस में 18 अन्य प्रतिद्वंद्वियों को पछाड़कर जीत दर्ज की।
- यह किसी भारतीय फिल्ममेकर की पहली जीत थी इस श्रेणी में।
- अनुपर्णा राय ने मंच से ही यह कहते हुए दुनिया का ध्यान आकर्षित किया कि बच्चों की जान लेना किसी भी सूरत में स्वीकार्य नहीं है।
उनकी आंखों में आंसू और गला रुंधा हुआ था, लेकिन साहसिक शब्द साफ थे:
“गाज़ा के बच्चों को भी जीने का हक है। मैं चुप नहीं रह सकती।”
“दुनिया का कोई भी बच्चा जेनोसाइड का शिकार नहीं होना चाहिए। गाज़ा के बच्चों को भी जीने का हक है। मैं एक भारतीय ही नहीं, एक ग्लोबल सिटिजन हूँ और इस अन्याय पर चुप नहीं रह सकती।”
– अनुपर्णा राय, वेनिस फिल्म फेस्टिवल
भारत का मीडिया और सत्ता की चुप्पी
- अंग्रेजी अखबार Times of India ने इस खबर को फ्रंट पेज पर जगह दी, लेकिन हिंदी मीडिया और टीवी चैनल पूरी तरह खामोश रहे।
- यही हाल पहले कांस फिल्म फेस्टिवल में पायल कपाड़िया की जीत पर भी देखा गया था।
- सवाल साफ है – क्या भारत में अंतरराष्ट्रीय मंच पर सम्मान पाने वाली महिलाओं को सराहने की जगह, उनकी आवाज़ों को दबाने का माहौल बना दिया गया है?
गाज़ा, फिलिस्तीन और साहस की आवाज़
अनुपर्णा राय ने साफ कहा कि:
- वे केवल भारतीय ही नहीं, बल्कि ग्लोबल सिटिजन हैं।
- जब इज़रायल गाज़ा में जेनोसाइड कर रहा है, तब चुप रहना संभव नहीं।
- उनके भाषण ने वेनिस फेस्टिवल को एक तरह से सॉलिडेरिटी फेस्टिवल में बदल दिया।
भानु ताटक: आवाज़ दबाने की कोशिश
फिल्म की गूंज के साथ एक और घटना सामने आई—
- अरुणाचल प्रदेश की आदिवासी एक्टिविस्ट भानु ताटक, जो सियांग नदी पर बन रहे 11,500 मेगावॉट हाइड्रो प्रोजेक्ट के खिलाफ काम कर रही थीं, उन्हें सरकार ने डबलिन (आयरलैंड) जाने से रोक दिया।
- वह वहां एक अकादमिक कार्यक्रम के लिए तीन महीने के अध्ययन हेतु जा रही थीं।
- सवाल उठता है—क्या भारत में पर्यावरण और जन-जमीन-जंगल की रक्षा की आवाज़ उठाना अब अपराध है?
दो भारत की महिलाएं, दो कहानियां
- अनुपर्णा राय – जिन्होंने गाज़ा के बच्चों के पक्ष में दुनिया के सामने साहस दिखाया।
- भानु ताटक – जिनकी आवाज़ भारत की धरती पर ही कुचलने की कोशिश की गई।
दोनों की कहानियां मिलकर यही बताती हैं कि भारत में महिलाओं की असहमति और साहसिक आवाज़ सत्ता को असहज कर देती है।
बड़ा सवाल: मोदी जी आपने कैसा देश बना दिया?
- क्या अब फ्री स्पीच, सरकार की नीतियों की आलोचना, और मानवता की रक्षा की बात करना अपराध हो गया है?
- क्यों भारत की बेटियों की अंतरराष्ट्रीय उपलब्धियों पर सरकार और मीडिया चुप रहते हैं?
- क्यों पर्यावरण और न्याय की आवाज़ को दबाने के लिए राज्य मशीनरी का इस्तेमाल हो रहा है?
निष्कर्ष
अनुपर्णा राय की जीत और उनका भाषण भारत की असली ताकत का प्रतीक है। उन्होंने दुनिया को दिखाया कि भारतीय महिलाएं न केवल कला के क्षेत्र में अव्वल हो सकती हैं, बल्कि साहस और मानवता की आवाज़ भी बन सकती हैं।
भानु ताटक का संघर्ष याद दिलाता है कि इस आवाज़ को कुचलने की कोशिशें जारी हैं।
सवाल अब भी वही है—
“मोदी जी, आपने कैसा देश बना दिया है?”