December 14, 2025 2:18 pm
Home » देशकाल » टिब्बी हनुमानगढ़ में बवाल, हजारों किसान सड़क पर, लाठीचार्ज व गोलीबारी

टिब्बी हनुमानगढ़ में बवाल, हजारों किसान सड़क पर, लाठीचार्ज व गोलीबारी

हनुमानगढ़ के टीबी क्षेत्र में किसान 15 महीनों से एथेनॉल फैक्ट्री के विरोध में संघर्ष कर रहे हैं। पानी, पर्यावरण और जमीन बचाने की लड़ाई तेज।

एशिया की सबसे बड़ी एथेनॉल फैक्ट्री के खिलाफ किसानों का आंदोलन भड़का

राजस्थान के हनुमानगढ़ जिले के टीबी इलाके में पिछले 15 महीनों से किसान एक ही मांग को लेकर शांतिपूर्वक आंदोलन कर रहे हैं—
एथेनॉल फैक्ट्री नहीं चाहिए।

यह वही क्षेत्र है जहाँ तीन राज्यों—पंजाब, हरियाणा और राजस्थान—की सीमाएँ मिलती हैं, और जहाँ कृषि पूरी तरह नदी और भूमिगत जल पर आधारित है। किसानों का कहना है कि यदि यह फैक्ट्री बन गई तो—

  • भूमिगत जल नष्ट हो जाएगा,
  • हवा प्रदूषित होगी,
  • और पूरी कृषि व्यवस्था बर्बाद हो जाएगी।

किसानों के मुताबिक 1 लीटर एथेनॉल बनाने में करीब 5 लीटर पानी बर्बाद होता है, और “एशिया की सबसे बड़ी” बताई जा रही इस फैक्ट्री से पूरे इलाके का भूजल प्रदूषित होगा।

लेकिन राज्य सरकार और प्रशासन किसानों से संवाद करने के बजाय आंदोलन को “बाहरी लोगों का हिंसक विरोध” बताकर खारिज कर रहे हैं।

10 दिसंबर की महापंचायत के बाद तनाव: इंटरनेट बंद, 100 से ज़्यादा पर केस, कई गिरफ्तार

नवंबर और दिसंबर तक आंदोलन शांतिपूर्वक चल रहा था, पर 10 दिसंबर को आयोजित महापंचायत के बाद हालात अचानक बिगड़ गए

महापंचायत के बाद किसानों ने प्रशासन से लिखित आश्वासन माँगा कि—
एथेनॉल फैक्ट्री का आगे निर्माण नहीं होगा।
लेकिन आश्वासन के बजाय मिला—

  • लाठीचार्ज,
  • 100+ लोगों पर FIR,
  • और 40 से अधिक किसानों की गिरफ्तारी

कांग्रेस के स्थानीय विधायक तक घायल हुए, और पूरे इलाके में इंटरनेट बंद कर दिया गया

किसानों का कहना है कि जब वे शांतिपूर्वक लौट रहे थे तभी पुलिस ने लाठीचार्ज किया। इससे गुस्सा भड़का और तस्वीरों में दिख रहा उग्र विरोध सामने आया।

संगर्ष समिति के राव जोशी सिंह ने कहा:
“सरकार चाहती ही है कि किसान उग्र हों, ताकि पूरे आंदोलन को बदनाम किया जा सके।”

किसानों का सवाल: “हम अपनी जमीन और पानी क्यों कुर्बान करें?”

किसानों का कहना है कि—

  • हनुमानगढ़ में पहले ही अभूतपूर्व जल-संकट है।
  • एथेनॉल फैक्ट्री से भूमिगत जल पूरी तरह खराब हो जाएगा।
  • कुछ लोगों को रोजगार मिलेगा, लेकिन पूरे क्षेत्र की खेती खत्म हो जाएगी।
  • पर्यावरण संबंधी मंजूरी संदिग्ध है और पूरी प्रक्रिया की दोबारा समीक्षा जरूरी है।

किसानों का आरोप है कि यह परियोजना 450 करोड़ रुपए के निवेश और राजनीतिक-कॉर्पोरेट गठजोड़ का खेल है।
नितिन गडकरी के परिवार पर एथेनॉल कारोबार में विशेष रुचि रखने का आरोप भी किसानों के गुस्से का बड़ा कारण है।

सत्ता की चुप्पी: 15 महीने तक बातचीत तक नहीं की गई

किसानों का सबसे बड़ा सवाल यही है कि—

“क्या राजस्थान सरकार किसानों से बात करने के लिए भी तैयार नहीं?”

15 महीनों में एक बार भी सरकार ने उनसे बैठकर बातचीत नहीं की।
किसानों के मुताबिक यह वही पैटर्न है जो केंद्र सरकार के साथ भी दिखता है—

  • संसद में किसानों की आवाज़ नहीं सुनी जा रही,
  • किसान आंदोलन को बदनाम किया जा रहा,
  • और शांतिपूर्ण विरोध को “हिंसक” कहकर दबाया जा रहा है।

संसद में उठा मुद्दा: कांग्रेस और RLP सांसदों ने फैक्ट्री पर गंभीर सवाल उठाए

इस विरोध की गूँज संसद में भी सुनी गई।

  • गंगानगर से कांग्रेस के सांसद कुलदीप इंदोरा ने बताया कि यह फैक्ट्री “भयानक पर्यावरणीय प्रदूषण” करेगी।
  • नागौर से सांसद हनुमान बेनीवाल ने कहा कि किसानों की बात न सुनना अन्याय है और सरकार को परियोजना रोकनी चाहिए।

किसान संगठनों का समर्थन और BJP सरकार पर दबाव

हरियाणा और पंजाब के किसान संगठनों ने आंदोलन का समर्थन किया है।

स्थानीय लोगों का कहना है कि यह आंदोलन अब एक बड़े किसान आंदोलन का रूप ले सकता है।
और यदि हालात ऐसे ही बने रहे तो—
राजस्थान की BJP सरकार पर बड़ा राजनीतिक दबाव खड़ा हो सकता है।

निष्कर्ष

एथेनॉल फैक्ट्री को लेकर सवाल सिर्फ एक प्रोजेक्ट का नहीं है।
यह सवाल है—

  • किसके विकास को प्राथमिकता दी जाए?
  • किसानों का हित पहले आए या कॉर्पोरेट निवेश?
  • क्या पर्यावरण और जल-संकट जैसे मुद्दों को नज़रअंदाज़ किया जा सकता है?
  • और क्या शांतिपूर्ण आंदोलन की कीमत लाठीचार्ज, केस और इंटरनेट बंदी होनी चाहिए?

हनुमानगढ़ के किसानों की लड़ाई भूमि, जल और अस्तित्व की लड़ाई है—और यह लड़ाई अभी खत्म होने वाली नहीं दिखती।

भाषा सिंह

1971 में दिल्ली में जन्मी, शिक्षा लखनऊ में प्राप्त की। 1996 से पत्रकारिता में सक्रिय हैं।
'अमर उजाला', 'नवभारत टाइम्स', 'आउटलुक', 'नई दुनिया', 'नेशनल हेराल्ड', 'न्यूज़क्लिक' जैसे
प्रतिष्ठित मीडिया संस्थानों

Read more
View all posts

ताजा खबर