धांधलियों के बीच अच्छा हुआ मतदान, NDA नेताओं पर खूब फूटा लोगों का गुस्सा
“निष्पक्ष चुनाव करा के तो देखिए, कौन जीतता है!” — प्रियंका गांधी ने बिहार की धरती से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह को यह खुली चुनौती दी। बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चरण के मतदान के बाद यह चुनौती और भी अहम हो गई है, क्योंकि ग्राउंड रिपोर्टें बता रही हैं कि महागठबंधन फिलहाल मोदी तंत्र पर भारी पड़ा है।
6 नवंबर को हुए मतदान ने यह साफ कर दिया कि बिहार की राजनीति में अभी तक महागठबंधन की रणनीति और ज़मीनी तैयारी भाजपा-जेडीयू गठबंधन से मजबूत दिख रही है। जिस तरह से एक-एक वोट के लिए संघर्ष हुआ, और मतदाता सूची की तमाम अनियमितताओं के बावजूद जनता ने मतदान में हिस्सा लिया, उसने केंद्रीय चुनाव आयोग के दावों की पोल खोल दी।
वोट चोरी और ‘SIR’ का सच
इस चुनाव में सबसे बड़ा विवाद मतदाता सूची (SIR प्रक्रिया) को लेकर है। केंद्र के अधीन काम कर रहे अफसर ज्ञानेश कुमार द्वारा की गई मतदाता सूची की तथाकथित “शुद्धि” अब “अशुद्धि” साबित हो रही है।
बीजेपी के राज्यसभा सांसद राकेश सिन्हा सहित कई भाजपा नेताओं ने दिल्ली में वोट डालने के बाद बिहार में भी मतदान किया — यह तथ्य सोशल मीडिया पर स्वयं उनके पोस्ट से सामने आया। यह दोहरी वोटिंग न केवल चुनाव आयोग की विश्वसनीयता पर सवाल खड़ा करती है, बल्कि राहुल गांधी के उस आरोप को भी पुष्ट करती है कि “चुनाव चोरी और वोट चोरी” हो रही है।
प्रियंका गांधी की गरज और विजय सिन्हा की बौखलाहट
प्रियंका गांधी ने अपने भाषण में मोदी सरकार को “डरपोक” बताया — “वे आपके वोट से डरते हैं, आपकी शक्ति से डरते हैं,” उन्होंने कहा।
इसके उलट, बिहार के डिप्टी सीएम विजय सिन्हा की प्रतिक्रिया इस डर को और उजागर करती दिखी। लखीसराय में जनता के विरोध से घिरे विजय सिन्हा ने खुले मंच से कहा कि “इन गुंडों की छाती पर बुलडोज़र चलेगा।” इतना ही नहीं, वे अपने सुरक्षाकर्मी से पूछते नजर आए कि “इसने गोली क्यों नहीं चलाई?” — यह बयान लोकतंत्र में सत्ता की हताशा की तस्वीर बन गया।
मतदान केंद्रों पर अव्यवस्था और जनता का संघर्ष
दानापुर, खगड़िया, पटना से लेकर तरारी तक अनेक वीडियो और रिपोर्टें सामने आईं हैं, जिनमें लोगों ने बताया कि उनके वोट किसी और ने डाल दिए।
तरारी विधानसभा में भाकपा(माले) प्रत्याशी के खिलाफ सरकारी मशीनरी के दुरुपयोग के आरोप लगे। वहीं ग्रामीणों ने बाहरी लोगों के मतदान का विरोध कर यह साफ कर दिया कि बिहार का मतदाता अब चुप नहीं बैठने वाला है।
दानापुर में नाव बंद कर दी गईं ताकि महागठबंधन समर्थक मतदाता बूथ तक न पहुँच सकें, लेकिन लोगों ने हर बाधा पार कर मतदान किया।
मोदी बनाम राहुल: दो अलग दिशाएं
पहले चरण के बाद के प्रचार में प्रधानमंत्री मोदी ने “घुसपैठियों” का राग अलापा — जबकि राहुल गांधी ने रोजगार, शिक्षा और “हर आदमी की सरकार” का विज़न सामने रखा।
महागठबंधन का यह नारा, “हर घर की सरकार,” बिहार के ग्रामीण इलाकों में गूंज रहा है।
भाकपा(माले) सांसद राजू यादव का दावा है कि “मतदान संकेत दे रहा है — बिहार में महागठबंधन की सरकार बनने जा रही है।” हालांकि असली नतीजे 14 नवंबर को आएंगे, लेकिन माहौल यह बता रहा है कि बिहार का मतदाता इस बार “थाली में परोस कर” मोदी सरकार को बिहार नहीं देने वाला।
बिहार का जनमत और लोकतंत्र की लड़ाई
मतदान प्रक्रिया में तमाम गड़बड़ियों के बावजूद, बिहार की जनता ने लोकतंत्र की रक्षा के लिए लड़ाई लड़ी है। जीवीका दीदियों से लेकर ग्रामीण महिलाओं तक, हर वर्ग ने अपने वोट के अधिकार की रक्षा करने की कोशिश की है।
यह चुनाव केवल सत्ता का नहीं, बल्कि लोकतंत्र की आत्मा को बचाने की लड़ाई है — और बिहार की जनता इस बार पूरी सजगता से मैदान में है।
