October 6, 2025 2:36 pm
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बिहार में वोटबंदी? दो करोड़ वोटरों के नाम काटने की तैयारी

बिहार में विधानसभा चुनावों से ऐन पहले मतदाता सूचियों के संशोधन को लेकर उठा विवाद चरम पर है और निर्वाचन आयोग का रुख साफ बता रहा है कि वह किसके इशारे पर काम कर रहा है और क्यों व विपक्षी दलों की कोई दलील न सुनकर एकदम निरंकुश व्यवहार पर उतारु है, जिसका कड़ा विरोध सभी विपक्षी दल कर रहे हैं.

कोई दलील नहीं सुन रहे चुनाव आयोग के रुख से विपक्ष हुआ निराश और नाराज़

🚨 क्या हो रहा है बिहार में?

बिहार में इस समय एक गंभीर लोकतांत्रिक संकट खड़ा होता दिख रहा है।
राज्य में आठ करोड़ मतदाता हैं, लेकिन इनमें से दो करोड़ लोगों के नाम मतदाता सूची से हटाने की प्रक्रिया शुरू हो गई है।
यह दावा सिर्फ मीडिया का नहीं, बल्कि देश की ग्यारह प्रमुख विपक्षी पार्टियों का भी है।

📌 क्या है मुद्दा?

  • 25 जून से बिहार में ‘Special Intensive Revision’ (SIR) यानी वोटर लिस्ट का सघन पुनरीक्षण शुरू हुआ है।
  • इसमें 2003 के बाद मतदाता सूची में शामिल हुए लोगों को फिर से प्रमाण देना होगा
  • उन्हें न केवल अपना जन्म प्रमाण पत्र, बल्कि माता-पिता का जन्म प्रमाण पत्र भी देना होगा।
  • आधार कार्ड मान्य नहीं है, बल्कि 17 डॉक्यूमेंट की सूची दी गई है, जिसमें से दस्तावेज देने होंगे।

🔴 सबसे ज्यादा असर किन पर?

  • बिहार के युवा वोटर (अंडर 40) – लगभग चार करोड़ सत्रह लाख
  • दलित, मुस्लिम, गरीब मजदूर, खासकर वे लोग जो बिहार से बाहर काम करने जाते हैं
  • प्रवासी मजदूर, जो बिहार की अर्थव्यवस्था चलाते हैं, उनका नाम सूची से कटने का खतरा है।

🗣️ क्या कह रहे हैं विपक्षी दल?

ग्यारह दलों का प्रतिनिधिमंडल दिल्ली में चुनाव आयोग से मिला, जिनमें शामिल थे:

✔️ कांग्रेस
✔️ RJD
✔️ TMC
✔️ DMK
✔️ समाजवादी पार्टी
✔️ झारखंड मुक्ति मोर्चा
✔️ NCP
✔️ शिवसेना (उद्धव)
✔️ CPM
✔️ CPI
✔️ CPIML (लिबरेशन)

इनका कहना है:

“यह वोटबंदी है।
यह गरीबों, दलितों, मुसलमानों और प्रवासी मजदूरों को
वोट देने से वंचित करने की साजिश है।”

इतनी जल्दबाज़ी क्यों?

विपक्ष ने सवाल उठाए:

  1. 2024 लोकसभा चुनाव में इन्हीं वोटरों ने मतदान किया, तो अब क्यों अयोग्य?
  2. क्या चुनाव आयोग मानता है कि 2024 की वोटर लिस्ट गलत थी?
  3. अगर घुसपैठिए ही मुद्दा हैं, तो पूरे देश में यह प्रक्रिया क्यों नहीं?
  4. बिहार को गिनी पिग क्यों बनाया जा रहा है?

⚠️ NRC की तर्ज पर?

कई विश्लेषकों का कहना है कि यह प्रक्रिया NRC जैसी है, जिसमें कागज़ न होने पर लाखों लोगों को नागरिकता से बेदखल किया जा सकता है।

🏳️ तेजस्वी यादव और वाम दलों का विरोध

तेजस्वी यादव ने कहा:

“अगर तुम्हें जांच ही करनी थी तो 2024 लोकसभा चुनाव के बाद शुरू करते।
इतनी जल्दी क्यों, और सिर्फ बिहार में क्यों?”

भागपा माले (CPIML) महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य ने इसे लोकतंत्र की हत्या करार दिया।

📝 प्रक्रिया इतनी कठिन क्यों है?

  • चार पेज का फॉर्म
  • हर दस्तावेज संलग्न कर अपलोड करना
  • जन्म, निवास और माता-पिता के जन्म प्रमाण पत्र देना

यह सब एक महीने के अंदर, मानसून, बाढ़ और प्रवासी मजदूरी के बीच, ग्रामिण बिहार में करना होगा।

🔥 क्या होगा असर?

यदि दो करोड़ वोटर हट जाते हैं, तो यह लगभग 25% मतदाताओं का एक्सक्लूजन होगा।
यह सीधा असर राजनीतिक समीकरणों पर पड़ेगा, खासकर BJP को लाभ होगा, जो बिहार में JDU की बैसाखी के सहारे ही सत्ता के करीब रही है।

⚖️ चुनाव आयोग की भूमिका पर सवाल

नेता प्रतिपक्ष मनोज झा ने कहा:

“चुनाव आयोग को लोकतंत्र के संरक्षक के बजाय
‘सरकार का मास्टरमाइंड’ बनता देखना दुखद है।”

💡 CTA

👉 क्या यह लोकतंत्र की हत्या है?
बिहारियों के वोट काटे गए तो कौन ज़िम्मेदार होगा?
अपनी राय कमेंट में ज़रूर दें।

भाषा सिंह

1971 में दिल्ली में जन्मी, शिक्षा लखनऊ में प्राप्त की। 1996 से पत्रकारिता में सक्रिय हैं।
'अमर उजाला', 'नवभारत टाइम्स', 'आउटलुक', 'नई दुनिया', 'नेशनल हेराल्ड', 'न्यूज़क्लिक' जैसे
प्रतिष्ठित मीडिया संस्थानों

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