October 19, 2025 11:10 pm
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ऐसी घिनौनी साजिशों के बीच दलितों को कैसे मिलेगा न्याय!

हरियाणा में IPS पूरन कुमार और ASI संदीप लाठर की आत्महत्याओं ने पुलिस और सत्ता के भ्रष्टाचार को उजागर कर दिया है। पत्रकार मंदीप पुनिया बताते हैं कि कैसे ‘खुल्लर डॉक्ट्रीन’ के ज़रिए सरकार जातीय तनाव पैदा कर असली मुद्दों को दबा रही है।

📰 हरियाणा में दो आत्महत्याएं या एक साज़िश? — पत्रकार मंदीप पुनिया से खास बातचीत

हरियाणा में पिछले कुछ दिनों में दो पुलिस अधिकारियों — IPS पूरन कुमार और ASI संदीप लाठर — की आत्महत्या ने पूरे राज्य को हिला दिया है। दोनों मामलों में कई सवाल उठे हैं — क्या यह दो स्वतंत्र आत्महत्याएं हैं या एक-दूसरे से जुड़ी घटनाएं? क्या यह भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज़ उठाने वालों की हत्या है या सत्ता की साज़िश का हिस्सा?
इन सवालों पर बात करने के लिए ‘गांव सवेरा’ के वरिष्ठ पत्रकार मंदीप पुनिया से बेबाक भाषा ने खास बातचीत की।

“आठ दिन बाद हुआ पोस्टमार्टम, सवाल अभी भी बाकी हैं”

मंदीप पुनिया बताते हैं कि,

“IPS पूरन कुमार का पोस्टमार्टम आठ दिन बाद हुआ और उसी शाम उनका अंतिम संस्कार किया गया। मामला तभी से पेचीदा था, लेकिन अब ASI संदीप लाठर की आत्महत्या के बाद यह और उलझ गया है।”

मंदीप के अनुसार, संदीप लाठर उसी केस के इन्वेस्टिगेशन ऑफिसर थे जिसमें पूरन कुमार पर आरोप लगे थे कि उनके गनमैन सुरक्षा शुल्क (protection money) वसूलते हैं। यानी, जो अधिकारी जांच कर रहा था, उसने ही आत्महत्या कर ली — यह खुद में बड़ा सवाल है।

“क्या यह आत्महत्या, आत्महत्या की काट थी?”

पत्रकार मंदीप पुनिया सवाल उठाते हैं,

“अगर पूरन कुमार भ्रष्ट थे और उसी भ्रष्टाचार के विरोध में संदीप लाठर ने जान दी, तो जब पूरन कुमार पहले ही मर चुके थे, तब यह दूसरी आत्महत्या क्यों हुई?”

उनके मुताबिक़, संदीप लाठर के चार पन्नों के सुसाइड नोट में भाजपा सरकार और दो वरिष्ठ अधिकारियों — DGP सत्रुजीत कपूर और एसपी नरेंद्र विजारनिया — का नाम प्रमुखता से आता है।
“यही दो नाम पूरन कुमार के सुसाइड नोट में भी थे,” मंदीप बताते हैं। “एक अफसर ने इन्हें साजिशकर्ता कहा और दूसरे ने इन्हें ईमानदार बताया — यह विरोधाभास खुद बहुत कुछ कहता है।”

“भ्रष्टाचार और गैंग ऑपरेशन हरियाणा की पुलिस का नया चेहरा”

मंदीप पुनिया का आरोप गंभीर है:

“शत्रुजीत कपूर के कार्यकाल में हरियाणा में 80 से ज्यादा गैंग सक्रिय हैं। जेलों से ऑपरेशन चल रहे हैं, छोटे थानों से लेकर बड़े शहरों तक व्यापारियों से वसूली हो रही है। जिन पर रोक लगनी चाहिए थी, वही सिस्टम चला रहे हैं।”

वे आगे जोड़ते हैं —

“हरियाणा के बड़े गैंगस्टर विदेश भागे हुए हैं और उनके गुर्गे जेलों में बैठे ‘कमान’ संभाल रहे हैं। ऐसे में सरकार की चुप्पी ही सबसे बड़ा उत्तर है।”

“मुख्यमंत्री नहीं, ‘सुपर सीएम’ चला रहे हैं सरकार”

इस पूरी घटना के राजनीतिक पहलू पर बात करते हुए मंदीप पुनिया ने हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी की भूमिका पर सवाल उठाया।
वे बताते हैं कि जब IPS पूरन कुमार को न्याय दिलाने के लिए एक प्रतिनिधिमंडल मुख्यमंत्री से मिला, तो सीएम खुद यह कहते सुने गए कि वे ‘चपरासी तक को सस्पेंड नहीं कर सकते’।

“इससे साफ है कि सरकार की असली कमान किसी और के हाथ में है। वह व्यक्ति है — राजेश खुल्लर, खट्टर सरकार के समय का सबसे ताकतवर IAS अधिकारी।”

मंदीप कहते हैं —

“हरियाणा में अब ‘खुल्लर डॉक्ट्रीन’ चल रही है — यानी जब भी सरकार मुश्किल में होती है, वह जातियों के बीच संघर्ष भड़का देती है ताकि असली मुद्दा गायब हो जाए।”

‘खुल्लर डॉक्ट्रीन’ क्या है?

मंदीप पुनिया समझाते हैं:

“जब भी कोई मामला सरकार के खिलाफ उठता है — चाहे वह दलित अत्याचार हो या किसान आंदोलन — उसे दो जातियों की लड़ाई में बदल दिया जाता है। जैसे गनेश वाल्मीकि हत्या मामला दलित बनाम जाट बना दिया गया। जाट आरक्षण आंदोलन में सैनी बनाम जाट कर दिया गया। किसान आंदोलन को भी जाट बनाम गैर-जाट बना दिया गया।”

उनके मुताबिक़, “सरकार के खिलाफ उठने वाला हर आंदोलन, जातिगत टकराव में बदल दिया जाता है — यही है ‘खुल्लर डॉक्ट्रीन’।”

“दलित राजनीति हरियाणा में दबाई जा रही है”

हरियाणा की राजनीति में दलित समुदाय लगभग 22-25% आबादी रखता है। मंदीप पुनिया कहते हैं:

“पूरन कुमार दलित अधिकारी थे। उनकी मौत ने पूरे राज्य के दलित समुदाय को झकझोर दिया था। चिराग पासवान, रामदास अठावले जैसे केंद्रीय मंत्री तक उनके परिवार से मिलने पहुंचे। दबाव बढ़ रहा था। लेकिन जैसे ही संदीप लाठर की आत्महत्या हुई, मुद्दा बदल दिया गया।”

उनका कहना है कि अगर दूसरी आत्महत्या न होती, तो हरियाणा सरकार मुश्किल में आ सकती थी।

“भ्रष्टाचार हर सरकार में, पर अब बेखौफ है”

भ्रष्टाचार पर सवाल पूछने पर मंदीप कहते हैं:

“हर सरकार में भ्रष्टाचार रहा है, लेकिन आज यह खुल्लमखुल्ला है। हरियाणा में कोई अधिकारी सौ करोड़ से कम का नहीं है। यहां पुलिस चौकी से लेकर क्राइम तक सबकी ‘रेट’ तय है। गाली गलौज या थप्पड़ के मुकदमे के भी तीस हजार रुपए लगते हैं।”

वे जोड़ते हैं कि —

“जब तक स्वतंत्र न्यायिक जांच नहीं होगी, न IPS पूरन कुमार को न्याय मिलेगा, न ASI संदीप लाठर को।”

“यह मामला रोहित वेमुला की तरह लंबा चलेगा”

बातचीत के अंत में मंदीप पुनिया कहते हैं,

“पूरे सिस्टम को देखकर यही लगता है कि IPS पूरन कुमार भी रोहित वेमुला की तरह न्याय के इंतज़ार में रह जाएंगे। जब सत्ता खुद सवालों के घेरे में हो, तो न्याय केवल भाषणों तक सीमित रह जाता है।”

भाषा सिंह

1971 में दिल्ली में जन्मी, शिक्षा लखनऊ में प्राप्त की। 1996 से पत्रकारिता में सक्रिय हैं।
'अमर उजाला', 'नवभारत टाइम्स', 'आउटलुक', 'नई दुनिया', 'नेशनल हेराल्ड', 'न्यूज़क्लिक' जैसे
प्रतिष्ठित मीडिया संस्थानों

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