महिलाओं के खिलाफ गंदी राजनीति पर चुप क्यों हैं मोदी?
भारतीय जनता पार्टी से जुड़े नेता लगातार महिलाओं पर गंदी और अश्लील टिप्पणियां करते रहे हैं। हालिया उदाहरण बिहार के मोतिहारी से भाजपा विधायक प्रमोद कुमार का है। उनके बयान ने न सिर्फ राजनीतिक संवाद को गिराया है बल्कि महिलाओं के प्रति बेहद विकृत और हिंसक मानसिकता को उजागर किया है।
“कुत्ते के साथ सोती है…” – विधायक का बयान
वीडियो में भाजपा विधायक प्रमोद कुमार महिलाओं के बारे में बेहद गंदा बयान देते हैं। वे कहते हैं कि बहुत से लोग कुत्तों के साथ सोते हैं, और इस बयान को वे सीधे कांग्रेस सांसद रेनूका चौधरी से जोड़ते हैं। यह टिप्पणी स्त्री विरोधी, अश्लील और अपमानजनक है।
इतना भयानक बयान देने के बाद भी विधायक पूरी तरह आज़ाद घूम रहे हैं, और न प्रधानमंत्री की तरफ से कोई बयान आया, न ही पार्टी की किसी महिला नेता ने विरोध किया। यह चुप्पी खुद में कई सवाल खड़े करती है।
RJD की कड़ी प्रतिक्रिया: “मोहदी जी, आपको संतुष्टि मिलती होगी?”
इस पर RJD प्रवक्ता प्रियंका भारती ने सवाल उठाया:
“मोहदी जी, जब आपके नेता इस तरह से महिलाओं के ऊपर गंदी अश्लील टिप्पणियां करते हैं, तब क्या आपको संतुष्टि मिलती है? वरना क्या वजह है कि आपने कुछ नहीं कहा?”
उनका सवाल सिर्फ प्रधानमंत्री की चुप्पी पर नहीं, बल्कि भाजपा और सरकार की महिला विरोधी राजनीति पर है।
महिला विरोधी सोच: दल, व्यक्ति नहीं — एक विचारधारा
प्रमोद कुमार अकेले नहीं हैं। यह सोच भाजपा और RSS की राजनीतिक संस्कृति में गहराई से बसी हुई दिखाई देती है। जब कोई महिला अपनी आवाज उठाती है, सवाल पूछती है या सार्वजनिक जीवन में सक्रिय होती है, तो उसे निशाना बनाया जाता है।
रोजमर्रा की राजनीति में महिलाओं को अपमानित करना, उन्हें तुच्छ बनाना और उनकी गरिमा पर हमला — यह सब सामान्यीकृत हो चुका है।
रेनूका चौधरी पर अश्लीलता का हमला
कांग्रेस की सांसद रेनूका चौधरी ने संसद में एक कुत्ता लाया। यह सांकेतिक विरोध था। लेकिन उस पर प्रतिक्रिया में भाजपा विधायक ने कहा:
“औरतों को संतुष्टि मिलती है… ये कुत्ते के साथ सोते हैं… उसका वही कुत्ता ही उसका केंद्र है।”
यह बयान किसी भी स्तर पर स्वीकार्य नहीं। यह बताता है कि यह नेता महिलाएं नहीं, बल्कि अश्लील वीडियो देखते हैं और उसी नजर से समाज और राजनीति को देखते हैं।
“वीडियो देखो” – विकृत मानसिकता की स्वीकारोक्ति
विधायक ने बार-बार कहा:
“देखिए कितने वीडियो भरे पड़े हैं…”
यानी उनके लिए महिलाएं “वीडियो का विषय” हैं। यह मानसिकता सत्ता तक पहुंची है और कानून बनाने वाले लोग उसकी प्रतिनिधि हैं। यही सबसे खतरनाक बात है।
चुप्पी भी एक बयान है
जब कोई सत्ता में बैठा व्यक्ति महिलाओं के खिलाफ गंदी भाषा का इस्तेमाल करता है, और शीर्ष नेतृत्व चुप रहता है, तो यह चुप्पी समर्थन में बदल जाती है।
यह चुप्पी संकेत देती है कि:
- महिला विरोधी भाषा
- अश्लीलता
- अपमान
सत्ता के लिए स्वीकार्य है।
मोदी जी, गुस्सा नहीं आया?
अंत में यही सवाल बचता है:
क्या इस बयान से आपको संतुष्टि मिली या थोड़ा बहुत गुस्सा चढ़ा?
यदि यह सवाल भी असुविधाजनक है तो समझिए — समस्या केवल एक विधायक नहीं, पूरी व्यवस्था है।
