बिहार में गठबंधन की यात्रा और दिल्ली में सभी विपक्षी दलों की प्रेस कांफ्रेंस
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चुनाव आयोग की कथित तानाशाही पर विपक्षी दलों ने अब बड़ा मोर्चा खोल दिया है। राजधानी दिल्ली के संविधान क्लब में INDIA गठबंधन समेत वे दल भी एक मंच पर नज़र आए, जो अब तक दूरी बनाए हुए थे। आम आदमी पार्टी, तृणमूल कांग्रेस और CPM का एक साथ बैठना अपने आप में संदेश है कि हालात गंभीर हैं और विपक्ष लोकतंत्र बचाने की लड़ाई को अब निर्णायक मोड़ देना चाहता है।
चुनाव आयोग पर विपक्ष का सीधा हमला
चुनाव आयोग की हालिया प्रेस कॉन्फ्रेंस को विपक्षी नेताओं ने “भाजपा प्रवक्ता की ब्रीफिंग” करार दिया। RJD सांसद मनोज झा ने कहा –
“कल हम मुख्य चुनाव आयुक्त को ढूंढ रहे थे, वो तो मिले नहीं। लेकिन भाजपा का नया प्रवक्ता ज़रूर मिल गया।”
उनके अनुसार आयोग अब जनता के सवालों का जवाब देने के बजाय सत्ता पक्ष की मंशा को आगे बढ़ा रहा है।
CPM सांसद जॉन ब्रिटास ने साफ शब्दों में कहा कि यह लड़ाई किसी दल विशेष की नहीं बल्कि लोकतंत्र बचाने की है। तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा ने याद दिलाया कि ममता बनर्जी सबसे पहले इस मामले में आयोग का दरवाज़ा खटखटा चुकी थीं, लेकिन सुनवाई तक नहीं हुई।
अखिलेश यादव का बड़ा आरोप
समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव ने दावा किया कि उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में 18,000 वोटरों के नाम जानबूझकर काटे गए। इसके प्रमाणस्वरूप उन्होंने एफिडेविट तक चुनाव आयोग को सौंपे थे, लेकिन कार्रवाई आज तक नहीं हुई। अखिलेश ने यह भी कहा कि –
“अगर वोट बनवाने का प्रोसेस है, तो वोट कटवाने का भी पारदर्शी प्रोसेस होना चाहिए। आयोग हमारी इस बुनियादी मांग को भी मानने को तैयार नहीं।”
शिवसेना (उद्धव गुट) और DMK का दर्द
शिवसेना उद्धव ठाकरे गुट के सांसदों ने बताया कि महाराष्ट्र में वोट चोरी से सबसे ज़्यादा नुकसान उनकी पार्टी को हुआ। DMK सांसद तिरुचि शिवा ने कहा कि यह केवल एक राज्य या एक पार्टी की समस्या नहीं, बल्कि देशभर में लोकतंत्र पर हमला है।
बिहार से उठी ‘वोटर अधिकार यात्रा’
विपक्षी एकजुटता का असली चेहरा बिहार की सड़कों पर दिख रहा है। सासाराम से शुरू होकर गया तक चल रही ‘वोटर अधिकार यात्रा’ में राहुल गांधी, तेजस्वी यादव और CPI(ML) महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य जनता से सीधे संवाद कर रहे हैं।
लोग खुलकर बता रहे हैं कि कैसे उनके नाम वोटर लिस्ट से काटे गए और बाहरी लोगों के नाम जोड़े गए।
एक ग्रामीण ने बताया –
“हमारे वार्ड में 600 वोट थे, अब 1000 हो गए। लेकिन 70-80 असली मतदाता हटा दिए और बाहर से 200-300 नए नाम जोड़ दिए गए।”
2023 का विवादित कानून और विपक्ष का शक
राहुल गांधी ने बिहार यात्रा में याद दिलाया कि मोदी सरकार 2023 में एक ऐसा कानून लाई, जिससे चुनाव आयोग के खिलाफ किसी भी तरह का केस दर्ज नहीं हो सकता।
राहुल के अनुसार –
“मोदी और शाह ने यह कानून इसलिए बनाया ताकि चुनाव आयोग के खिलाफ कोई कार्रवाई न हो सके। क्योंकि आयोग उनकी मदद से वोट चोरी कर रहा है।”
क्या विपक्ष लाएगा चुनाव आयोग पर महाभियोग?
सबसे बड़ा सवाल यही है। विपक्षी दलों ने साफ संकेत दिए हैं कि संसद में चुनाव आयोग के खिलाफ महाभियोग लाने की तैयारी की जा रही है। अगर ऐसा हुआ तो यह भारतीय लोकतंत्र के इतिहास में पहली बार होगा, जब पूरा विपक्ष मिलकर “तानाशाही चुनाव आयोग” को चुनौती देगा।
फिलहाल विपक्ष ने संसद के भीतर और बाहर सरकार व चुनाव आयोग को घेरने की रणनीति बना ली है। एक तरफ सड़क पर जनसैलाब और दूसरी तरफ संसद में आवाज़— यह डबल दबाव मोदी सरकार और चुनाव आयोग के लिए बड़ी चुनौती साबित हो सकता है।